Chhath Geet Banaras Aisan Ghat Lyrics

Chhath Geet Banaras Aisan Ghat Lyrics|छठ गीत बानारस अइसन घाट

Chhath Geet Banaras Aisan Ghat Lyrics

Chhat Geet Banaras Aisan Ghat Lyrics- छठ पूजा का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह पर्व मुख्यतः सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है, और विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

🌞 छठ पूजा का धार्मिक महत्व:

1. सूर्य देव की उपासना:

सूर्य को जीवन का आधार माना गया है। छठ पूजा में उगते और डूबते दोनों सूर्य को अर्घ्य देकर धन्यवाद दिया जाता है।

सूर्य देव स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रतीक माने जाते हैं।

 

2. छठी मैया की पूजा:

छठी मैया को प्रकृति, संतान और परिवार की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।

महिलाएं खासकर संतान सुख, परिवार की सुख-शांति और आरोग्यता के लिए व्रत करती हैं।

 

3. पवित्रता और आत्मसंयम का पर्व:

यह पूजा पूरी तरह सात्विक होती है। व्रती बिना नमक और लहसुन-प्याज वाले शुद्ध भोजन करते हैं।

36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना कठोर तपस्या मानी जाती है।

 

🙏 छठ पूजा के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:

1. परिवार और समुदाय का एकजुट होना:

यह पर्व लोगों को एक साथ लाता है। घाटों पर सामूहिक पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं।

परिवार और पड़ोसी मिलकर व्रती की सेवा करते हैं।

 

2. प्रकृति से जुड़ाव:

पूजा नदी, तालाब या किसी जल स्रोत के किनारे होती है, जिससे जल, वायु और सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त होती है।

पर्यावरण की महत्ता को समझाने वाला यह पर्व प्रकृति संरक्षण का संदेश भी देता है।

 

🌾 छठ पूजा का आध्यात्मिक पहलू:

यह पर्व आत्मशुद्धि, संयम और श्रद्धा का प्रतीक है।

यह भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के बीच संतुलन सिखाता है।

 

📅 छठ पूजा कब मनाई जाती है?

यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक (दिवाली के 6 दिन बाद) मनाई जाती है।

कुछ जगहों पर चैत्र महीने में भी छठ मनाई जाती है।

 

1. छठ पूजा की विधि (क्रम):

छठ पूजा कुल 4 दिनों का होता है। हर दिन की अपनी विशेषता है:

🔸 पहला दिन – नहाय-खाय (चतुर्थी):

व्रती (ज्यादातर महिलाएं, लेकिन पुरुष भी कर सकते हैं) सुबह स्नान कर घर की सफाई करती हैं।

दिन में कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी और अरवा चावल) खाया जाता है। यह बिल्कुल सात्विक होता है।

🔸 दूसरा दिन – खरना (पंचमी):

दिन भर व्रत रखकर शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर व्रत तोड़ा जाता है।

इसके बाद 36 घंटे का निर्जल उपवास शुरू होता है।

🔸 तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (षष्ठी):

महिलाएं नदी, तालाब या घाट पर जाती हैं।

बांस की सूप में फल, ठेकुआ, नारियल आदि रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

व्रती जल में खड़े होकर सूर्य को प्रणाम करती हैं और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं।

🔸 चौथा दिन – उषा अर्घ्य (सप्तमी):

अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

इसके बाद व्रती अपना व्रत पारण (उपवास खोलना) करती हैं।

 

📖 2. छठ पूजा की कथा (संक्षेप में):

पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने छठ व्रत करके अपने परिवार की समस्याएं दूर की थीं।

एक अन्य कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी। उनकी पत्नी ने षष्ठी देवी (छठी मैया) की पूजा की, जिससे उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ।

इसी कारण यह व्रत संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।

 

🍎 3. छठ पूजा का प्रसाद:

छठ पूजा में प्रसाद भी बहुत पवित्रता और नियम से बनाया जाता है:

🌾 प्रमुख प्रसाद:

ठेकुआ (गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना मीठा पकवान)

कसार (पिठार या आटे का सूखा लड्डू)

सग्गे का केला (छठ में खासतौर पर यह केला चढ़ाया जाता है)

गन्ना, नारियल, सेब, संतरा, सिंघाड़ा, आदि फल

गाय के दूध से बनी खीर

चावल और दाल का पिठा (कभी-कभी)

> इन सभी प्रसाद को बांस की टोकरी या सूप में सजाया जाता हैऔर छठ मैया के लिए नदी के किनारे घाट बनाकर पूजा अर्चना किया जाता है |

छठ गीत

पटना अइसन पट नहर ये बानारस अइसन घाट
नियम से करब बरतिया आइब छठी मैया के घाट|

बनी न सुन्दर पापा कहरिया चली छठी मैया के घाट
केलवा सुथनिया ठेकुववा धरी केलवा के पात|

विनवबी छठी मैया चरनावा युगे युगे बनल रहे सुहाग
युगे युगे जियस ललनवा हमरो बनल रहे साथ|

बनी न सुन्दर भैया कहरिया चली छठी मैया के घाट
नारियल शरीफवा नेबुववा धरी केलवा के पात |

विनवबी छठी मैया चरनावा युगे युगे बनल रहे सुहाग
युगे युगे जियस ललनवा हमरो बनल रहे साथ|

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