Pardesiya song lyrics in hindi|परदेसिया सांग लिरिक्स हिन्दी में
Pardesiya song lyrics in hindi – Pardesiya (Param Sundari) 2025 का रोमांटिक हिंदी गाना है। इसके बोल (Lyrics) अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं और सोनू निगम ने गाया है। जानिए गीत का अर्थ, फिल्म, संगीतकार और निर्माता की पूरी जानकारी।
परदेसिया (Pardesiya) – परम सुंदरी
फ़िल्म: Param Sundari (2025)
गायक: सोनू निगम, कृष्णाकली साहा
संगीत: सचिन-जिगर
गीतकार: अमिताभ भट्टाचार्य
Lyrics
परदेसिया.. है तेरे प्यार में जब से
झंकार सी.. है दिल के तार में तब से
तुम हो मेरे जानता हूँ मगर
पहुँचाऊँ तुम तक ये कैसे ख़बर
कब से हूँ मैं उम्मीद में
है अनकहा जो सुन लो अगर
परदेसिया.. मिला है तू मुझे जब से
मैं क़ैद हूँ तेरे भी प्यार में तब से
परदेसिया.. हैं तेरी बाँतियों ने
किया परेशान परदेसिया
परदेसिया.. हैं तेरी अँखियों के
दिल पे निशाँ परदेसिया
हाँ छू के लबों से जैसे
जादू ही कर दिया
सावन ने मोरनी को
क़ाबू में कर लिया
हम दोनों की जुदा थीं हस्तियाँ
हों किनारा बिन जैसे कश्तियाँ
आसान हो आगे सफ़र
तुम साथ मेरा चुन लो अगर
परदेसिया.. मिला है तू मुझे जब से
मैं क़ैद हूँ तेरे भी प्यार में तब से
हो तुम हो मेरे जानता हूँ मगर
पहुँचाऊँ तुम तक ये कैसे ख़बर
कब से हूँ मैं उम्मीद में
है अनकहा जो सुन लो अगर
परदेसिया.. है तेरे प्यार में जब से
झंकार सी.. है दिल के तार में तब से
🎤 सोनू निगम की जीवनी (Sonu Nigam Biography in Hindi)
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई 1973 को फरीदाबाद, हरियाणा में हुआ। उनके पिता अगम कुमार निगम स्वयं एक गायक थे और माँ शोभा निगम भी संगीत में रुचि रखती थीं। बचपन से ही सोनू के घर में संगीत का माहौल था, जिसने उनके भीतर गायन का बीज बो दिया।
उन्होंने मात्र चार वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मंच पर पहला गीत “क्या हुआ तेरा वादा” गाया, जिससे उनकी अद्भुत प्रतिभा झलकने लगी।
शिक्षा और संगीत-प्रशिक्षण:
सोनू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फरीदाबाद से पूरी की और बाद में संगीत में प्रशिक्षण लिया। किशोरावस्था में ही वे अपने पिता के साथ विभिन्न स्टेज शो में भाग लेने लगे। संगीत को उन्होंने किसी विषय की तरह नहीं, बल्कि जीवन की भाषा बना लिया।
मुंबई की यात्रा और संघर्ष:
सोनू का सपना था कि वे बॉलीवुड में अपना नाम बनाएं। वे 1989 में मुंबई आ गए। शुरू में उन्हें छोटे-छोटे विज्ञापनों, जिंगल्स और स्टेज प्रोग्राम्स में काम मिला।
1990 के दशक की शुरुआत में उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे गीत गाए, लेकिन पहचान नहीं बन पाई। कठिन संघर्ष के दौर में वे “Rafi Ki Yaadein” जैसे स्टेज शो करते थे, जहाँ वे मोहम्मद रफ़ी के गीत गाते थे। इसी दौर ने उन्हें गायकी की गहराई सिखाई।
पहली सफलता:
1995 में फिल्म “बेजुबान” से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की, पर असली सफलता 1997 की फिल्म “बॉर्डर” के गीत “संदेसे आते हैं” से मिली। यह गीत न केवल सुपरहिट हुआ बल्कि सोनू निगम को राष्ट्रीय पहचान दिला गया।
इसके बाद उन्होंने “दिल से”, “कभी खुशी कभी ग़म”, “कल हो ना हो”, “साथिया”, “मैं हूँ ना”, “अग्नीपथ”, और “कभी अलविदा ना कहना” जैसी फिल्मों में एक से बढ़कर एक गीत दिए।
संगीत शैली और बहुमुखी प्रतिभा:
सोनू निगम की आवाज़ में एक अद्भुत रेंज और भावनात्मक गहराई है। वे रोमांटिक गीतों के साथ भक्ति गीत, सूफ़ी और देशभक्ति गीत भी समान सहजता से गाते हैं।
उनकी आवाज़ को अक्सर “भारत का माइकल जैक्सन” कहा जाता है क्योंकि वे लाइव परफॉर्मेंस में ऊर्जावान और प्रयोगशील हैं।
पुरस्कार और उपलब्धियाँ:
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (Filmfare Award) — “साथिया”, “कल हो ना हो”, “कभी अलविदा ना कहना” आदि गीतों के लिए।
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार — 2003 में फिल्म कल हो ना हो के लिए।
2022 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (Padma Shri) से सम्मानित किया गया।
उन्होंने 6000 से अधिक गाने 30 भाषाओं में गाए हैं।
व्यक्तित्व और प्रेरणा:
सोनू निगम सिर्फ गायक ही नहीं, बल्कि विचारशील व्यक्ति भी हैं। वे मानते हैं कि “संगीत ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है।”
उन्होंने युवाओं के लिए एक संदेश दिया —
> “कभी अपनी पहचान किसी की नकल से मत बनाओ, अपनी आवाज़ खोजो, वही तुम्हें महान बनाएगी।”
✍️ अमिताभ भट्टाचार्य की जीवनी (Amitabh Bhattacharya Biography in Hindi)
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
अमिताभ भट्टाचार्य का जन्म 16 नवंबर 1976 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनका बचपन एक साधारण बंगाली परिवार में बीता, जहाँ साहित्य और संगीत दोनों का वातावरण था। बचपन से ही उन्हें कविता और गाने लिखने का शौक था।
उन्होंने अपनी पढ़ाई लखनऊ से पूरी की और फिर अपने सपनों की तलाश में मुंबई चले आए।
मुंबई का संघर्ष और शुरुआत:
मुंबई पहुँचकर अमिताभ का उद्देश्य था — गायक बनना। लेकिन शुरुआती सालों में उन्हें मौके नहीं मिले।
कई साल तक उन्होंने छोटे-मोटे जिंगल्स और म्यूज़िक असिस्टेंट के तौर पर काम किया।
कहते हैं, एक बार उन्होंने संगीतकार अमित त्रिवेदी को अपनी कुछ कविताएँ सुनाईं, जिन्हें सुनकर अमित ने कहा —
> “तुम्हारी आवाज़ चाहे न चले, पर तुम्हारे शब्द ज़रूर चलेंगे।”
यही वह क्षण था जब अमिताभ ने अपने जीवन की दिशा बदली — गायक से गीतकार बनने की।
पहली पहचान:
2008 में फिल्म “देव.डी” के लिए अमिताभ ने गीत लिखे — “Emotional Atyachaar” और “Nayan Tarse” जैसे गीतों ने बॉलीवुड में हलचल मचा दी।
इन गीतों की भाषा बोलचाल की थी, पर भावनाएँ गहरी। यही उनका सिग्नेचर स्टाइल बन गया।
लोकप्रिय गीत और योगदान:
अमिताभ ने आगे चलकर “बैंड बाजा बारात”, “ये जवानी है दीवानी”, “ऐ दिल है मुश्किल”, “दंगल”, “ब्रह्मास्त्र”, और अब “पर्देसिया – परम सुंदरि” जैसे सुपरहिट गीत लिखे।
उनकी लेखनी में आम इंसान की भावनाएँ और आधुनिकता का मेल होता है।
शैली और विशेषता:
उनकी सबसे बड़ी ताकत है – सादगी में गहराई।
वे कठिन शब्दों की बजाय ऐसे बोल चुनते हैं जो सीधा दिल को छू लें।
उनके गीतों में प्यार, दर्द, संघर्ष और उम्मीद की झलक एक साथ मिलती है।
पुरस्कार और मान्यता:
फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड (Best Lyricist) – ऐ दिल है मुश्किल, चन्ना मेरेया, तेरा ज़िक्र आदि गीतों के लिए।
नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड – ऐ दिल है मुश्किल के गीत चन्ना मेरेया के लिए नामांकन।
कई IIFA और Screen Awards उनके नाम हैं।
व्यक्तित्व और विचार:
अमिताभ भट्टाचार्य बहुत शांत, विनम्र और अंतर्मुखी व्यक्ति हैं। वे मीडिया में कम दिखते हैं, पर उनकी कलम बहुत बोलती है।
वे मानते हैं —
> “अच्छे गीत वही होते हैं जो संगीत से नहीं, मन से निकले हों।”
प्रेरणादायक पहलू:
उनकी यात्रा यह सिखाती है कि अगर किसी रास्ते पर दरवाज़ा बंद हो जाए, तो अपनी नई राह बनाओ।
गायक बनने का सपना पूरा नहीं हुआ, पर आज वे भारत के सबसे सम्मानित गीतकारों में गिने जाते हैं।
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🌟 निष्कर्ष:
सोनू निगम और अमिताभ भट्टाचार्य — दोनों अपने-अपने क्षेत्र में कला, संघर्ष और ईमानदारी के प्रतीक हैं।
एक ने अपनी आवाज़ से दिल जीते, दूसरे ने अपने शब्दों से।
दोनों ने यह साबित किया कि “कला सिर्फ़ नाम कमाने का नहीं, आत्मा से जुड़ने का माध्यम है।”
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FAQ
1-सोनू निगम का जन्म कब और कहाँ हुआ
2-सोनू निगम कितने गाने अब तक गाये हैं ?

