इंकलाब जिंदाबाद सम्राज्यवाद का नाश हो
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है |मैं ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आजाद है |
व्यक्तियों को कुचल कर विचारों को नहीं मार सकते
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है |दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाते हैं
मेरा धर्म देश की सेवा करना है
जन संघर्ष के लिए ,अहिंसा आवश्यक है
क्रांति की तलवार तो सिर्फ विचारों की शान से तेज होती है
CLICK HEAR