Bhagat Singh Par Kavita|भगत सिंह पर कविता
Bhagat Singh Par Kavita- साथियों ऐसे सपूतों को आज हम सभी भूलते जा रहे हैं जिनके चलते हमें आजादी मिली |उन्होंने नहीं भरी जवानी का आनंद उठाया नहीं बालपन का आनंद लिया सोते जागते हर पल आजादी के सपने देखते रहे |देश कैसे आजाद हो ,सदैव योजनाएँ बनाते रहें और इसी तरह कम उम्र में ही देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी |
जिसका आनंद आज हम सभी उठा रहे हैं |मुझे किसी को आहात करने की मनसा नहीं है परंतु आप सभी से आग्रह है कि एक बार 24 घंटे में जरूर इन महापुरुषों को याद करें आर उसी जज्बे गो जगाएँ ताकि देश प्रेम का दीपक आप ,हम सभी के हृदय में जलता रहे |कृपया इस भावना को एक बार जरूर जगायेँ| देश सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं|मैंने इस रचना में भाई कुलतार सिंह के नाम पत्र में कुछ अपनी कल्पनाओं को स्थान दिया है और शायद मन :स्थिति यही रही होगी वर्णन किया है। त्रुटियों को नजर अंदाज करेंगे।आप सभी का प्यार अपेक्षित है।
कविता
शहीदे आजम भगत सिंह ने
अन्तिम पत्र लिखा था
नाम से भाई कुलतार सिंह के
उद्दगार मन का, व्यक्त किया था।
आज तुम्हारी आँखों में मैं
आंसू देख दु:खी हुआ ।
अब ए तेरे आंसू भाई
सहन नहीं मुझसे हुआ।
बरखुरदार, हिम्मत रखके शिक्षा पाना
शेहत को चंगा रखना ।
और क्या लिखूंँ क्या कहूंँ
हौसला हरदम रखना।
मैं भगत तेरा, तेरे स्पन्दन में सदा रहूंगा
मैं जिन्दा था मैं जिंदा हूं ,मैं जिन्दा सदा रहूंगा।
भारत माता की खातीर
हँसते-हँसते बलि चढूंगा ।
मेरी महक हवाओं संग
मेरे आंगन को महकायेगी|
खेतों की हरियाली से,
खुशबू तुझ तक आयेगी।
मत रोना मेरे मरने पर,
कई भगत मेरे जैसे होंगे।
जब फिरंगी घुटने टेकेंगे
तब स्वर्ग से हम हर्षित होंगे।
मानो अब वो दिन दूर नहीं
जब बिगुल बजेगी आजादी की।
भागो भागो छोड़ो भारत
दिन आये तेरे बर्बादी की ।
सीने पर गाड़ देना तिरंगा
तब फिरंगी सांस लेने को तरसेगा ।
मर जायेगा मिट जायेगा
तब भारत में खुशियों का लहर दौडेंगा।
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जय हिंद
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती कुमारी