Poem on World Population Day & History|क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस ?
By Krishnawati Kumari
Poem on World Population Day & History- दुनिया भर में बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए प्रति वर्ष 11 जुलाई को “विश्व जनसंख्या दिवस” मनाया जाता है |हालाकि जनसंख्या की रोक थाम के लिए परिवार नियोजन जैसी कारगर योजना समाधान के लिए मौजूद है |लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी के कारण लगातार जनसंख्या बढ़ती जा रही है |
कब हुई इसकी शुरुवात ?
विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने आम सभा में विश्वजनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया और इसका दिवस दिनांक 11 जुलाई 1989 को निश्चित किया |तभी से प्रति वर्ष 11 जुलाई को पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है |दरअसल 11 जुलाई 1987 तक विश्व जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार पहुँच गया था |तभी लोगों को जागरूक करने के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया |
क्या है वर्ल्ड पोपुलेशन डे की थीम?
विश्व जनसंख्या दिवस 2021 का थीम है : कोविड -19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर किस तरह प्रभाव पड़ेगा |इस वर्ष यह विश्व स्तर पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य ,प्रजनन व्यवहार पर कोविड -19 महामारी के प्रभाव पर सर्वाधिक जोड़ डालते हुए मनाया जाएगा |
किस तरह मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस ?
इस दिन पूरे विश्व भर में जगह-जगह जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए तरह-तरह के उपायों से लोगों को अवगत कराया जाता है | परिवार नियोजन के विषय में लोगों से चर्चा की जाती है और जगह-जगह पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए कार्यक्रम युवाओं और बुद्धिजीवियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है ताकि लोग इस विषय में जागरूक हो सकें|
कहीं ‘कविता पाठ ‘ का आयोजन होता है तो कहीं गायन प्रतयोगिता होती है, कहीं श्लोगन के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है तो कहीं निबन्ध लेखन का आयोजन कर जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने की सलाह दी जाती है|
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास क्या है ?
विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए पूरा विश्व चिंतित हो गया क्योंकि किसी भी देश का विकास जनसंख्या पर निर्भर होता है| लेकिन वहीं यदि जनसंख्या अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तो देश के लिए अभिशाप बन जाती है, और देश के विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|
इसलिए इसकी शुरुआत 11जुलाई 1989 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में हुई| चूंकि 11जुलाई 1987 को जनसंख्या 5 अरब के पार पहूँच गया था | तत्पश्चात प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाने लगा| ताकि लोग जागरूक हों और जनसंख्या नियंत्रण हो सके|
आइये जनसंख्या वृद्धि पर मैंने अपने विचारो को कविता के रूप में व्यक्त किया है जो निम्नावत है:-
बढ़ती जनसंख्या पर कविता
विवश हो गई दुनिया मेरी, जीवन हो गया दुर्लभ |
एक कमाए चौदह खाये, दुखी हैं भैया बल्लभ |
हर रोज बढ़ रही आबादी, घटती सारी सुविधाएँ |
लाचार हो गए युवा हमारे, सामने आ खड़ी दुविधाएं |
नहीं है रोजी सामने रोटी, कैसे चलाऊ घर संसार |
डिग्री लेकर मारे फिरता, बेरोजगारी की है बड़ी कतार |
चहुं ओर भुखमरी बीमारी चिंता हर घर जन को है ,
कहाँ से लाऊं रासन पानी दर्द यहाँ हर मन को है |
अब तो जागो प्रकृति बचाओ यह सबकी ज़िम्मेदारी है ,
पेड़, पानी ,खनिज, तेल बचाएं इसी में सबकी समझदारी है |
हम दो हैं जी, दो रहे हमारे, हो गए मिलके चार ,
इससे अधिक बढ़ाओगे तो नर्क हो जाएगा संसार |
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