देवताओं ने अपने शस्त्र देवी को दिये-ये हथियार भी सीखाते हैं जिंदगी में सफल होना|

शिव का त्रिशूल- तीन गुणों का प्रतीक है ,स्वभाव,ध्यान और वैराग्य|

काल की तलवार और फारसा - बंधनों को काटने की तैयारी रखें :अर्थात मन के बंधन को काटें |

भगवान विष्णु का चक्र- हमेशा गति शील रहें मन नियंत्रित रहेगा:इस चक्र से माता  ने रक्तबीज जैसे राक्षस को मारा था|  

इन्द्र का बज्रऔर घंटा - देव राज इंद्र ने अपना वज्र और हाथी के गले से घंटा दिया था:वज्र बलिदान का प्रतीक है |ये सांसरिक मोह से मुक्त होने का प्रतीक है

अग्नि देव का शक्ति दिव्यास्त्र- आग की रौशनी ही अंधेरे को दूर करती है :अग्नि यज्ञ का प्रतीक,यज्ञ वेदों का, और वेद ज्ञान का जो अंधेरे को दूर करता है 

वरुण देव का शंख -शुभ शुरुवातों का संकेत :मंदिर, घर में पूजा हो या रणभूभि शुरुवात शंख बजाकर ही की जाती है|

ब्रहमाजी जी का कमंडल: मन खाली बर्तन सा- इसे ज्ञान से भरते रहे|मन को काबू में रखना है तो इसे कमंडल की तरह ज्ञान से भरते रहें |

|पवन देव के धनुष बाण -लक्ष्य के प्रति एकाग्रता :ये धनुष बाण सीखाते हैं कि मन को साधने के लिए लक्ष्य प्रति एकाग्र रहना चाहिए ||

सरोवर ने दी कमल फूल की माला -मन हम पर तब हावी होता है, जब हम दुखी  रहते है |फूलों की तरह हस्ते रहें|