Importance Of Labour|मजदूरों का महत्व
Importance Of Labour- हमारे हिन्दी आर्टिकल में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। आज मैं टेलीविजन पर समाचार सुन रही थी। लोगों का सड़क के किनारे चलना। घर पहुंचने की लालसा , माथे पर गठरी,नंगे पांव, कंधे पर बच्चा, भूखे प्यासे कितने चलते चलते रास्ते में ही दम तोड़ दिये!
कभी नहीं सोचा था, मेरे प्यारे भारत का ऐसा हाल होगा! बहुत खुश थी। बड़े दिनों बाद भारत एक सुलझे हुए शासक के हाथ में आया है। भारत को विश्व गुरू बनने की इच्छा लिए सोचते हुए कल्पना कर रही थी।
मेरा भारत एक दिन दुनिया का नेता बनेगा।अग्रसर पथ पर देखकर हृदय हर्षित हो रहा था। यह सोच कर दिल खुशी से झूम उठता था कि मेरा भारत एक दिन महा शक्ति भी बन जायेगा। लेकिन कोरोना वायरस सबको सालों पिछे ढकेल दिया।
आज सबसे दुखद दृश्य सभी बड़े शहरों से मजदूरों का सड़क मार्ग से घर की ओर पैदल जाना है।जिन्हें भूखे प्यासे ही मार्ग तय करना पड़ रहा है।
Majdur |
शायद हम सभी भूल रहे है कि इन मजदूरों की भूमिका किसी भी देश के विकास के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान होता है। जीवन में छोटी इकाई का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जैसे -सफाई कर्मचारी।यह नाम ज्वलंत उद्दाहरण है।इनकी एक दिन की अनुपस्थिति से हम सभी परेशान हो जाते हैं।
यह समस्या अभी बड़े शहरों में ही आने वाली है।जब बारिश से जगह जगह जल जमाव से निपटने के लिए मजदूर नहीं मिलेंगे। ऐसे हमारी कविता सब कुछ बयान करने वाली है।
Importance Of Labour
आइए हमेशा की तरह मैंने अपनी भावनाओं को एक कविता का रुप दिया है, आप सभी का प्यार अपेक्षित है। जाने मजदूरों का महत्व J
कविता
जिन्दा बचे तो आयेंगे
तेरे शहरों को करने आबाद।
मिलेंगे फिर इम्मारतों के नीचे
पड़ेंगे प्लास्टिक और तिरपाल।
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औजारों संघ चौराहों पर
बर्तन माजते होटल ढाबों पर।
फेरियों संघ हर गली नुक्कड़ पर
खिचते रिक्सा सड़क नगर भर।
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जहां देखोंगे हमी दिखेंगे
गन्ना पेरते कपड़े धोते।
स्त्री करते कई – कई गठरी
फिर गठरी पहुचाये ढोते।
ईंट भट्ठे पर भी दिखेंगे
जेवरात धोते तेज़ाब से।
बर्तनों को पालिश करते
आप सदा बैठे नवाब से।
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ब्रास के करखानों से लेकर
मुरादाबाद से फिरोजाबाद तक।
चुड़ियाँ जो खनके हाथों में
सजे श्रृंगार सुबह से शाम तक।
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खेतों से लेकर मंडी तक
ढोते बोरी हमी दिखेंगे।
जहाजरानी से चाय बगान तक
चारों तरफ हमी दिखेंगे।
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बस! एक बार मुझे,
घर पहुंचा दो!
राह देख रही बुढ़ी अम्मा
तड़प हिया की प्यास बुझा दो!
मत रोको! मेरी राह जाने दो!
जिन्दा रहे तो फिर आयेंगे!
नहीं तो अपनी मिट्टी में हीं,
हिल मिल कर समा जायेंगे!
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती