Jane kaise pahuncha sansad men Ravan । जाने कब पहुंचा संसद में रावण।
Jane kaise pahuncha sansad men Ravan
Kaise Sansad Men Pahuncha Ravan – इस समय आप सभी लोग अपने घरों में रामायण सीरियल देख रहे हैं।जी हाँ, रामानंद सागर वाली रामायण सीरियल।
ऐसा रामायण जिसे देखने के बाद लगता ही नहीं है कि हम परदे पर देख रहे है। हर एक किरदार जीवंत है। जिसे देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि त्रेतायुग में सब कुछ ऐसा ही रहा होगा।
रामानंद सागर जी को अगर हम कलियुग का बाल्मीकि कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब जब हम रामायण की बात कर ही रहें है तो आइए रोचक बातें जाने —
जिस प्रकार राम के बिना रामायण अधूरी है ठीक उसी तरह रावण के बिना रामायण पूरी नहीं हो सकती। जी हाँ, आज हम बात करेंगे टी वी सीरियल के रावण की।
सीरियल देखते समय तो हम सभी चरित्र को जीवन्त महसूस करते है। हम सभी को ऐसा ही प्रतीत होता है कि त्रेतायुग का रावण ऐसा ही होगा।
रावण के किरदार को जीवंत करने का कार्य श्री अरविंद त्रिवेदी जी ने किया। टी वी के परदे पर जब अरविंद त्रिवेदी जी रावण के भेष में अट्टहास करते थे तो मानो रावण ही सामने खड़ा हो।
उनके चेहरे पर रावण जैसे अहंकार साफ दिखाई देता,जो उनके किरदार में जान फूंक देता है।
क्या आप जानते है कि टी वी का यह रावण लोकतंत्र के मंदिर में भी अपना स्थान बना चुका था ? आइए हम आपको बताते है कि अरविन्द जी किस प्रकार लोकसभा में पहुंचे थे।
बात है 1991की,देश में लोकसभा चुनाव होने थे। बी.जे. पी पहली बार सता में आने के लिए संघर्ष कर रही थी। ऐसे में अडवानी एण्ड कम्पनी ने टी.वी के रावण से सम्पर्क साथा।
Kaise Sansad Men Pahuncha Ravan
टी.वी के रावण की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुजरात के सुकान्ता संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का टिकट दे दिया। टी वी के रावण ने बी जे पी का भरोसा नहीं तोड़ा। उन्होनें भारी मतों से जीत हासिल कर लोक सभा पहुंचे।
1991 से लेकर 1996 तक बी जे पी से सांसद रहे। लेकिन एक अभिनेता को लम्बे समय तक राजनीति कहा रास आती। उन्होने अगली बार चुनाव नहीं लड़ा और फिर से फिल्मों की ओर रुख कर लिया।
इस समय आपके दिमाग में एक और बात चल रही होगी कि आखिर किस प्रकार अरविंद त्रिवेदी को रावण का किरदार मिला। इस संदर्भ में रामायण सीरियल के राम अरूण गोविल जी बताते हैं कि —
उन दिनों रामायण सीरियल के लिए रावण की खोज जारी थी। अधिकतर लोगों का मानना था कि अमरीस पुरी रावण के रोल में फिट बैठेंगे। यह बात रामानंद सागर तक पहुंच गई।
जब महान निर्माता निर्देशक रामानंद जी इस कहानी को लोगों के बीच लेकर आए तो इसके एक एक किरदार से लोग जुड़ते चले गये।
लेकिन इसी बीच गुजराती फिल्मो में चर्चित अरविन्द त्रिवेदी ने केवट के किरदार के लिए आडिसन देने स्टूडियो पहुँचे थे। रामानंद जी ने डायलौग दिया और टेस्ट लिए।
जब अरविंद त्रिवेदी जी टेस्ट देकर जाने लगे तब रामानंद सागर जी ने मुड़ने को कहा -फिर क्या था, रामानंद जी ने साफ शब्दों में कहा, उन्हें उनका रावण मिल गया।
अरविंद त्रिवेदी जी ने रावण के किरदार में जो जान फूँकी भला कौन नहीं जानता। 8 नवम्बर 1938 को मध्य प्रदेश के इन्दौर में जन्मे भले ही टेलिविज़न के विलन हों। लेकिन नीजी ज़िन्दगी में बड़े ही सरल व्यक्तित्व के है।
हां एक बात जरुर है कि वो रावण के तरह ही बड़े शिव भक्त हैं। रामायण के अलावा उन्होंने 250 से ज्यादा गुजराती फिल्मों में अभिनय किया है।
गुजरात सरकार ने इन्हें 7 (सात) बार सम्मानित भी किया। तो उम्मीद है आप सभी को कलयुग के रावण की कहानी पसंद आया होगा। कृपया इस पोस्ट को ज्यादे से ज्यादे शेयर करे।
धन्यवाद दोस्तों,
संग्रहिता-कृष्णावती
Note : sabhi janakariyan internet patika evm pepar se li gayi hai.
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