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सम्पूर्ण शब्द -विचार हिन्दी व्याकरण।

सम्पूर्ण शब्द- विचार हिन्दी व्याकरण परिचय। 

प्रश्न- शब्द किसे कहते हैं ?

उत्तर -वर्णो अथवा अक्षरों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ हो, शब्द कहलाता है । जैैैसे- प्+उ+स्+त्+क्+अ=पुस्तक।

प्रश्न- वर्ण विच्छेद से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-वर्ण विच्छेद अर्थात शब्द के वर्णों को अलग-अलग करके लिखना । जैसे- प्+उ+स्+त्+अ+क्+आ+ल्+अ+य्+अ=पुस्तकालय।

प्रश्न- शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर-शब्द दो प्रकार के होते हैं –
•१- सार्थकसार्थक वे शब्द हैं जिनका कोई अर्थ होता है। जैसे – बकरी ,दौड़ना आदि ।
• २- निरर्थक-  वह शब्द जिसका कोई अर्थ नहीं होता है। जैसे- फड़- फड़ , धर-धर आदि। व्याकरण में निरर्थक शब्दों का कोई महत्व नहीं होता।

प्रश्न – व्युत्पत्ति की दृष्टिकोण से शब्दों के  कितने भेद होते है ? उदाहरण सहित लिखिए। 

उत्तर-व्युत्पत्ति की दृष्टिकोण या दृष्टि से शब्दों के तीन भेद होते है ।
•१ रूढ़- जिन शब्दों के खण्डों का कोई अर्थ न हो वे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे- कलम, मेज़, कुर्सी,  दाल, कुत्ता आदि ।
•२ यौगिक- दो या दो  से अधिक शब्दों अथवा शब्दान्शों के योग से बने शब्द यौगिक कहलाते हैं । जैसे- जयमाला= जय+ माला, दाल+ रोटी = दाल-रोटी, विद्यालय = विद्या+आलय,   कुपुत्र = कु+पुत्र,   स्वदेश = स्व+देश।
•३ योगरूढ़- जो शब्द यौगिक होने पर भी किसी विशेष अर्थ को ही प्रकट करें। जैसे –  नीरज = नीर+ज । नीर का अर्थ है जल और ज का अर्थ है उत्पन्न अर्थात जल में उत्पन्न। जल में,अनेक चीजें उत्पन्न होती हैं, पर नीरज ‘कमल’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न – उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द कितने प्रकार के होते है ? उदाहरण(example) सहित लिखिए।

उत्तर – उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते हैं।
• १ तत्सम- जो शब्द संस्कृत से ज्यों के त्यों हिन्दी में आ गये हैं उन्हें तत्सम कहते हैैं।  जैसे- नेत्र, शरीर, विद्या,  फल, मनुष्य आदि ।
•२ तद्भव-जो शब्द संस्कृत से रूप बदलकर हिन्दी में आ गये हैं,उन्हेें तद्भव कहते हैं।   जैसे – दाँत (< दंत ),  माथा (< मस्तक), खेत (<क्षेत्र), बहू ( <वधू ), पूत (< पुत्र), दोहता (<दौहित्र) आदि ।

 कुछ अन्य तत्सम-तद्भव शब्द 

 •तत्सम- अंध, अंधकार,  अग्नि, अर्ध,  उपरि,  उष्ट्र,  उज्जवल,  कर्म,  कर्ण,  कुपुत्र, क्षेत्र,  ग्राम,  गृह।
•तद्भव- अंधा, अंधेरा, आग, आधा,  उपर, ऊँट, उजला,  काम, कान, कपूत,  खेत, गाँव,  घर।
तत्सम- घृत, चंद्र,  दंत, दीपक,  नव , नृत्य,  पत्र,  मयूर , बधू,  शिक्षा,  सर्प,  हस्त ,हास।
•तद्भव- घी, चाँद, दाँत,  दीया, नया, नाच,  पत्ता,  मोर, बहू सीख, साँप, हाथ, हँसी ।
•३ देशी या देशज- वे शब्द,  जो भारत की किसी भी भाषा से हिन्दी में आ गए हैं। जैसे- इडली, डोसा, समोसा, चमचम, गुलाबजामुन, लड्डू, लोटा, खिचड़ी आदि।
• ४ विदेशी – जो शब्द विदेशी भाषाओं से हिन्दी में मेंआ गए हैं ,  विदेशी कहलाते हैं । ये शब्द  अधिकतर उर्दू, अरबी, अंग्रेज़ी ,पुर्तगाली,  तुर्की,  फ्रांसीसी, ग्रीक, आदि अनेक भाषाओं से आये हैं। जैसे- जिस्म,  शरीफ, मदरसा, अमीर, बाल्टी, टिकिट, बटन, डाॅक्टर,  कालीन, कूपन, सुरंग आदि।

प्रश्न- प्रयोग के आधार पर शब्दों, के कितने भेद हैं?

उत्तर – प्रयोग के आधार पर शब्दों के दो भेद हैं।
•१ विकारी- वे शब्द जिनका रूप, लिंग, वचन, कारक, काल आदि के आधार पर बदल जाता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया ये विकारी शब्द है।
•अविकारी – वे शब्द, जिनके रूप में कभी कोई  परिवर्तन नहीं होता है। इन्हें,अव्यय भी कहते हैं। क्रिया- विशेषण, समुच्चय बोधक,  संबंध बोधक और विस्मयादि बोधक अविकारी शब्द है।
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सम्पूर्ण शब्द विचार व्याकरण परिचय

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