Varn Vichar Kise Kahate Hain| वर्ण- विचार
Varn Vichar Kise Kahate Hain-आज हम पढ़ेंगे वर्ण विचार |वर्ण माला क्या है ? वर्ण माला में कितने वर्ण होते है |आज हम निम्नवत सभी से अवगत होंगे –
प्रश्न- वर्ण किसे कहते है?
उत्तर-भाषा की छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े नहीं किए जा सके, ‘वर्ण ‘ कहलाती है।
प्रश्न- वर्ण माला किसे कहते हैं ?
उत्तर- वर्णों के क्रम बद्ध समूह को ‘वर्ण माला ‘ कहते है हिन्दी वर्ण माला में कुल 46 वर्ण होते है। जिसमें 11 स्वर एवं 35 व्यंजन हैैं।
स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (11)
व्यंजन –
कवर्ग- क्, ख्, ग्, घ्, ङ्।
चवर्ग- च्, छ्, ज्, झ्, ञ् ।
टवर्ग- ट्, ठ, ड्, ढ्, ण् , ।
तवर्ग- त्, थ, द्, ध्, न्, ।
पवर्ग- प्, फ्, ब्, भ्, म् ।
अंतःस्थ- य्, र्, ल्, व्, ।
ऊष्म- श्, ष् , स् , ह् । (33)
मान्य व्यंजन -ड़ , ढ़ (2)
कूल मिलाकर 33+11+2= 46 इस तरह कुल वर्ण माला की संख्या (46 )हुआ।
अनुस्वार- ( अं , अँ , ), विसर्ग (अः) अयोगवाह कहलाते हैं।
Varn Vichar Kise Kahate Hain-
विशेष-
अंग्रेजी और उर्दू भाषा को शुध्द शुध्द लिखने के लिए नीचे लिखी ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है-
जैसे- आॅ (अंग्रेजी)
ख़, ग़, ज़, फ़ ( उर्दू) ( वर्ण के प्रयुक्त बिन्दु (•) को नुक्ता कहा जाता है।
प्रश्न- स्वर किसे कहते है ? उसके कितने भेद है। उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर – स्वर वे ध्वनियां हैं, जो बिना किसी अन्य ध्वनि की सहायता से बोली जा सकती है। जैसे- अ,आ,इ,ई आदि स्वर हैं।
स्वरों के तीन भेद होते है।
• १ ह्रस्व- ये मूल स्वर कहलाते हैं। इनके उच्चारण में बहुत कम समय लगता है। अ,इ,उ और ऋण ये चार ह्रस्व स्वर हैं।
•२ दीर्घ स्वर- जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगना समय लगता है,वे ‘दीर्घ स्वर ‘ कहलाते हैं। जैसेे- आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ ये सात दीर्घ स्वर हैं।
• ३ प्लुत स्वर- जब किसी स्वर का उच्चारण लम्बा करके किया जाता है, तब वह प्लुत कहलाता है। यह उच्चारण प्राय: दूर से पुकारते समय होता है। जैसे- ओ३म, रा३म ।
प्रश्न- वर्णों के उच्चारण स्थान का वर्णन करें।
उत्तर- उच्चारण स्थानों के आधार पर वर्णनों को नौ वर्गों में रखा गया है जो निम्नवत क्रमानुसार है।
• १ कंठ्य- जिनका उच्चारण कंठ से होता है-अ,आ,अः,क्, ख्, ग् , घ् , ह्
• २ तालव्य- जिनका उच्चारण तालू से होता है।च्,छ्,ज् , झ् ,य्, श्, इ, ई , ज्
• ३मूर्धन्य- जिनका उच्चारण मूर्द्धा से होता है- ट् , ठ , ड् , ढ् , ड़ , ढ़ , र् , ऋ , ष्
•४ दंत्य- जिनका उच्चारण उपर के दाँतों पर जीभ के लगने से होता है- त् , थ , द् , ध् , ल् ,स्
•५ ओष्ठ्य – जिनका उच्चारण दोनों होोंठों की सहायता से होता है- उ, ऊ, प् , फ् , ब् , भ्
•६ नासिक्य- जिनका उच्चारण मुख और नासिका से किया जाता है- अं , ङ् , ञ , ण, न म्
•७ दंतोष्ठ्य- जिनका उच्चारण निचले होठों के साथ दाँतों के मिलने से होता है- व्
•८ कंठोष्ठ्य- जिनका उच्चारण कंठ और होठों द्वारा होता है- ओ, औ
•९ कंठ तालव्य- जिनका उच्चारण कंठ और तालु दोनों से होता है ए,ऐ
प्रश्न – मात्रा किसे कहते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- हिन्दी में स्वरों का प्रयोग दो प्रकार से होता है- स्वतंत्र प्रयोग और व्यंजनों के साथ मिलाकर प्रयोग। जैसे-आई, आइए, आओ में स्वरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया गया है। पर जब स्वरों का व्यंजनों के साथ प्रयोग करते है तो स्वरों को चिन्हों के रूप में दर्शाया जाता है। स्वरों के इसी बदले हुए रूप को ‘मात्रा ‘ कहते हैैं। प्रत्येक स्वर की मात्रा और उसका प्रयोग इस प्रकार है।
स्वर मात्रा प्रयोग
अ कोई मात्रा नहीं क्+अ= क
आ आ लाला, मामा
इ मि मिल , खिल
ई दी दीदी , ढीली
उ मु मुकुल, मुकुट
ऊ धू धूम घूम
ऋ कृ कृपा, मृग, कृष
ए ने नेक , मेरे
ऐ मै मैैना, रैना
ओ भो भोला , बोलो
औ पौ पौधा , कौआ ऑ काॅ कॉपी , कॉलेज
प्रश्न – व्यंजन किसे कहते है ?
उत्तर –जिन वर्णों के उच्चारण में किसी स्वर की सहायता लेनी पड़ती है, वे व्यंजन कहलाते है। जैैसे- क,ख,ग,घ,प,फ,ब आदि व्यंजन हैं।
प्रश्न – व्यंजन के कितने भेद (प्रकार) होते हैं ।
उत्तर – व्यंजनों के तीन भेद होते है।
•१ स्पर्श • २ अंतःस्थ •३ उष्म।
•१ स्पर्श- क से म तक २५(25) व्यंजन स्पर्श।
•२ अंतःस्थ- य,र,ल,व अंतःस्थ।
•२ उष्म- श, ष, स, ह उष्म। इनके अतिरिक्त चार संयुक्त व्यंजन भी हैं।
क्ष = क् + ष् + अ
त्र = त् + र् + अ
ज्ञ = ज् + ञ् + अ
श्र = श् + र् + अ
प्रश्न- अनुस्वार एवं अनुनासिका में क्या अंतर है?
उत्तर -अनुस्वार -जिस स्वर का उच्चारण करते समय हवा केवल नाक से निकलती है और उच्चारण कुछ जोर से किया जाता है और लिखते समय और लिखते समय वर्ण के उपर केवल बिन्दु लगाया जाता है, उसे अनुस्वार कहते है। जैसे-चंचल,कंठ,ठंड ,कंघा आदि।
अनुनासिका- जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है। इस स्वर को लिखने के समय वर्ण के उपर चंद्र बिन्दु का प्रयोग होता है। किन्तु यदि स्वर की मात्रा शिरोरेखा पर लगे तो चंद्र बिन्दु के स्थान पर केवल बिन्दु(नं) का ही प्रयोग किया जाता है । जैसे- आँख, कहीं आदि ।
प्रश्न – वर्ण संयोग किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पस्ट कीजिए।
उत्तर- वर्णों के परस्पर मेल को ‘वर्ण संयोग’ कहते हैं । यह प्रायः दो प्रकार से होता है।
1.व्यंजन और स्वर का संयोग।
2. व्यंजन तथा व्यंजन का संयोग।
1. व्यंजन और स्वर का संयोग- व्यंजनों का उच्चारण स्वरों के मेल के बिना नहीं हो पाता। व्यंजनों के साथ जब स्वरों को मिलाकर लिखा जाता है तो वह व्यंजन और स्वर का संयोग कहलाता है। जैसे- क् + ए = के; क+आ= का ।जब व्यंजन स्वर के बिना होता है तो व्यंजन के नीचे हैं लगा देते हैं । जैसे- क् , च् , ट् , त् आदि।
2. व्यंजन तथा व्यंजन का संयोग- व्यंजन से व्यंजन मिलाने के अनेक नियम है।-
(क)- कई व्यंजनों के अंत में एक छड़ी रेखा होती है,इसे पाई कहते है। ख, ग, घ, च, ज, झ आदि व्यंजन पाई वाले हैं। जब ऐसे व्यंजनों को आगे वाले व्यंजन से मिलाते है तो इनकी पाई हटा ली जाती है। जैसे- अस्त, स्तुति, किस्मत, सत्य ।
(ख ) – बिना पाई वाले व्यंजनों को जब किसी अन्य व्यंजन से मिलाते हैं,तो इनमें हलंत लगा देते हैं या दो व्यंजनों को मिलाकर लिखते हैं। जैसे- विद्यालय / विद्यालय, बुद्ध / बुद्ध , चिन्ह / चिन्ह, भद्दा / भद्दा ।
( ग)- ‘क’ और ‘फ’ को दूसरे व्यंजनों से मिलाने के लिए इन वर्णों की घुन्डी के झुके भाग को हटा दिया जाता है। जैसे- क्यारी, रक्त , भक्त, रफ्ता।
( घ) -‘र्’ अगले वर्ण से मिलाये जाने पर उसके उपर लग जाता है। जैसे- पर्वत, धर्म, कर्ण, कर्म, सौन्दर्य, सूर्य, सर्व।
(ङ) -‘ र’ से पहले यदि कोई स्वर रहित व्यंजन हो तो, ‘र’ उसके नीचे लगाया जाता है। जैसे- क्रम , चक्र, पत्र, चंद्र ग्रह ।
( च )-‘ट’ और ‘ड्’ में ‘र’ को,मिलाने पर ‘रख क्रमशः इस प्रकार जुड़ जाता है- ट्+र=ट्र (राष्ट्र) ड्+र=ड्र (ड्र्म)
(छ) – ‘श्’ के साथ ‘र’ के संयोग से स्त्र होता है। श्+र =श्री (श्रम)
(ज)- ‘स्’ के साथ ‘र’ के संयोग से स्त्र होता है। स्+र=स्र (स्रोत)
धन्यवाद पाठकों
संग्रहिता- कृष्णावती कुमारी,
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