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राम नवमी क्यों मनाते है

राम नवमी क्यों मनाई जाती है |Why Is Celibrated Ram Navami

राम नवमी क्यों मनाते है- शास्त्रों के मुताबिक जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ा है, तब तब धरती पर मनुष्य के रूप में भगवान विष्णु का अवतार हुआ है। उनके जन्म का उद्देश्य एक मात्र मानव जाति का कल्याण करना था।

मानव समाज के लिए एक आदर्श पुरुष के रूप में मिशाल पेश करना था। अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। महाकाव्य रामायण में वर्णन के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की तीन रानियां थीं।परन्तु किसी सेे कोई संतान नहीं हुई। राजा ने पुत्र की कमाना से यज्ञ करवाया।

उस यज्ञोंपरान्त  सातवें अवतार में भगवान विष्णु ने त्रेता युग में   चैत्र   मास    शुक्ल पक्ष   तिथि  रामनवमी के दिन  राजा दशरथ के पुत्र के रूप में रानी कौशल्या के गर्भ से जन्म लिए ।   इसलिए रामनवमी भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप मेें मनाया जाता है। माता कैकई  के गर्भ से भरत और माता सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण, शत्रुघ्न जन्म लिए। इस तरह राजा दशरथ को चारों  पुत्रों  की प्राप्ति हुई । 

तभी से भारत में हिंदू धर्म के लोग बड़े धूम धाम से राम नवमी का त्योहार मनाते हैं। इस दिन लोग व्रत करते है। जय श्रीराम का जय घोष करते हैं।

आज के समय में अयोध्या नगरी  सरयू नदी के किनारे उतर प्रदेश में स्थित है। आज माननीय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के सानिध्य में राम लल्ला का भव्य मंदिर निर्माण अयोध्या में हो रहा है ।

 भगवान राम का संक्षिप्त जीवन काल

भगवान राम के सम्पूर्ण जीवन काल को मैंने चंद पंक्तियों में कविता का रूप दिया है, उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगा। आप सभी का प्यार और उत्साहपूर्ण शब्द अपेक्षित है।अब आइए निम्नवत कविता का आनंद लिया जाए।

राम नवमी पर कविता

 poem on Ramnavmi

कविता 

जब जब पाप धरा पर पसरा,

बढ़ गया अत्याचार ।

मुझे बचा लो हे प्रभो,

धरती करें पुकार।

 

कौशल्या के गर्भ से,

प्रभो लियो अवतार।

भाग्य बड़ो दशरथ पिता के,

जाने  सारा संसार।

 

मास चैत्र तिथि   नवमी,

जन्मे दशरथ घरे लाल।

नाचत गावत हर्षित प्रजा,

बीच आँगन बजे थाल।

 

राम जन्म से सूर्यवंश में,

भयो नवल प्रभात ।

राम लाला के नाम से ,

हुआ अवध विख्यात।

 

पावन पर्व है राम जन्म दिन,

चहूं दिशा गूंजे राम नाम।

राम नाम जो जपत है,

पूरण हो सब काम ।

 

गले मिले जब नर वानर

जग में बज गया  डंका ।

धर्म धरा पर जब उतरा तब,

हुई भष्म दानव की लंका।

 

भले असत्य की जोर चल जावे,

एक दिन चूर चूर हो जाता है।

धर्म के कदमों में गिरकर,

असत्य नतमस्तक हो जाता है।

धन्यवाद पाठकों 

रचना- कृष्णावती कुमारी

और पढे:https://krishnaofficial.co.in/

नोट– अधर्मी रावण जब माता सीता को उठाकर  लेकर जा रहा तो माता सीता से बोला कि अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता है सुंदरी। माता सीता बिलखती हुई बोली, दुष्ट तुमने मेरे पति भगवान राम से बैर करके अच्छा नहीं किया। लगाता है तुम्हारा अंत समय नजदीक आ गया है।

अयोध्या  जाने का मार्ग-

वायु मार्ग-

खनऊ हवाई अड्डा अयोध्या से सबसे निकटतम (near),हवाई अड्डा है। गोरखपुर, प्रयाग राज, और वाराणसी हवाई अड्डे से भी यहां पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग- 

उतर प्रदेश परिवहन निगम की बस सेवा 24 घण्टे उपलब्ध है।

दूरी- 

लखनऊ से 130 km, गोरखपुर से 142 km,वाराणसी से 200km, इलाहाबाद से 165km.

🚃🛤   रेल मार्ग- अयोध्या फैजाबाद जनपद में स्थित है, जहाँ से सभी ट्रेने महानगरों व नगरों से जुड़ी हुई हैं।रेल मार्ग द्वारा लखनऊ ,गोरखपुर,  वाराणसी एवं प्रयाग राज से ट्रेन उपलब्ध है। 

Read more:https://krishnaofficial.co.in/

 

नमस्कार, साथियों मैं Krishnawati Kumari इस ब्लॉग की krishnaofficial.co.in की Founder & Writer हूं I मुझे नई चीजों को सीखना अच्छा लगता है और जितना आता है आप सभी तक पहुंचाना अच्छा लगता है I आप सभी इसी तरह अपना प्यार और सहयोग बनाएं रखें I मैं इसी तरह की आपको रोचक और नई जानकारियां पहुंचाते रहूंगी।

 

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