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हिन्दू मंदिरों के अजीबो गरीब रीति रिवाज |

हिन्दू मंदिरों के अजीबो गरीब रीति रिवाज हिन्दू मंदिरों का रहस्य  |

हिन्दू मंदिरों के अजीबो ग-आज इस पोस्ट में हिन्दू मंदिरों के रीति-रिवाज और उनके रहस्य के विषय में हम जानेगें जो परंपरागत मंदिरों से बिलकुल भिन्न है | यहाँ होने वाली पूजा-पाठ और मान्यताएं और कहीं देखने और सुनने को नहीं मिलेगी |

  • चाइनीज काली मंदिर

पशिम बंगाल में ऐसे तो ढेरों काली  मंदिर मौजूद है और यहाँ के लोग अधिकतर काली माँ  की पूजा करते है |लेकिन वेस्ट बंगाल के कांगड़ा में मौजूद है एक ऐसा  चाइनीज  काली मंदिर , जो  कलकत्ता में रह रहे चाइनीज लोगों के लिए बनवाया गया था |

यहीं नहीं यहाँ माँ काली की पूजा करने वाले पुजारी सांग चइंग भी चाइना मुल्क के रहने वाले हैं |यहाँ लगभग 2000 चाइनीज व्यक्ति प्रति -दिन पूजा करते हैं,जो चाइनीज पूजा विधि के अनुसार किया जाता है |

इतना ही नहीं यहाँ देवी काली को भेंट के रूप में नूडल ,चौपसी और चाउमीन अर्पित की  जाती है |प्रसाद के रूप में नूडल ,चौपसी और चाउमीन भक्तों को बांटा जाता है |

Weird Rituals & Mysteries of Hindu Temple 
  • लकम्मा देवी का मंदिर –

जहां हिन्दू मंदिरों में लोग प्रवेश करने से पहले चप्पल उतार कर जाते हैं ,वहीं कर्नाटका  के कुलबरगा जिले में लकम्मा देवी का मंदिर मौजूद है|यहाँ दूर दूर से माता के दर्शन के लिए लोग आते हैं और भेंट में माता को चप्पल चढ़ाते हैं |

ऐसा माना जाता है कि जिन भक्तों के घुटने या पैर में दर्द रहता है, उन्हें यहाँ देवी माता को चप्पलों का माला चढ़ाने से उनका दर्द ठीक हो जाता है | यानि देवी माँ भक्तों के दर्द को हर लेती हैं |यहाँ  चप्पलों की माला को चढाना देवी माँ के लिए सबसे उत्तम भेंट माना जाता है |

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गुजरात में भगवान शिव का एक ऐसा नायाब मंदिर है जो दिन में दो बार गायब होता है | फिर कुछ ही समय बाद दिखने लगता है| यह बात सुनकर हम सभी कुछ समय के लिए अचंभीत हो जाएंगे

|गुजरात के कबी कम्बोली गाँव के समुद्री तट पर स्थित  यह मंदिर भगवान शिव के मंदिरों में से एक है |जिसका जिक्र स्कन्ध पुराण में भी मिलता है | दर असल हाइटाइट यानि समुन्द्र की उच्ची लहरों के समय  यह पूरी तरह समुद्र में डूब जाता है |फिर कुछ समय बाद वापस दिखाई देने लगता है |

शेष दो गुंबज के  आलवा पूरा मंदिर पानी में यूं डूब जाता है, मानो वर्षों पहले इस मंदिर को समुद्र निगल चुका हो |लेकिन कुछ ही क्षणों में यह फिर से दिखाई देने लगता है |गुजरात आने वाले प्रयटकों के बीच यह मंदिर आकर्षण का केंद्र है |

यहाँ हजारों लोग इस नजारे को देखने आते हैं |ऐसा माना जाता है कि , भगवान कार्तिके ताड़का सुर  के बद्ध करने के पश्चात इस शिव लिंग को स्थापित किया |जिसके कारण इस स्थान का श्र्द्धालुओं में काफी मान्यता है|

हिन्दू मंदिरों का रहस्य का रहस्य क्या है  ?

  • काल भैरव मंदिर

उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर बाकी मंदिरों से एक बिलकुल  अलग परम्पराओं के लिए माना जाता है |यहाँ भगवान शिव को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है |हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद पाने के लिए शराब चढ़ाते हैं|जिस शराब को गलत माना जाता है |

वहीं प्रसाद के रूप में चढ़ाया हुआ शराब प्राप्त करने के लिए  भक्तों की  भारी भीड़ उमड़ती है |यहीं नहीं यहाँ लगने वाले सिंहस्थ मेले के समय सरकार द्वारा शराब कि काउंटर लगाई जाती है |जहां से कोई भी श्रद्धालु शराब खरीद कर भगवान को चढ़ता है |

  • भूतों वाला मंदिर

कानपुर से 50 किलो मीटर दूर गाँव कानपुर नगर में स्थित एक गुप्त कालीन मंदिर है |कहते हैं कि,इस मंदिर का निर्माण  समाप्ति तिथि आमवास की रात थी |एक समय था जब यहाँ मूर्तियाँ थीं और विधि विधान से पूजा अर्चना होती थी | लेकिन मुगलों के शासन काल में यहाँ अष्ट धातु की मूर्तियाँ चोरी हो गई |

तभी से यह मंदिर विरान है |इस समय मंदिर में एक भी मूर्ति नहीं है |यहाँ से गुजरने वाले लोगों को अक्सर कुछ अजीब और डरावनी आवाजें सुनाई देती है |ऐसा लगता है ,मानों कोई ज़ोर ज़ोर से चिलाकर पूजा कर रहा हो |

परंतु अंदर जाने पर कुछ नही होता | मंदिर खाली होता है |ऐसा माना जाता है कि, यहाँ भूतों का वास है|यहां सात 7बजे रात्री के बाद जाना मना है क्योंकि यहाँ रात के समय जाने वाले लोगों की असमय मृत्यु हो जाती है |

  • कहाँ होती है कुत्तों कि पूजा  ?

कुत्तों को सबसे वफादार माना जाता है और प्रिय मित्र माना जाता है |अक्सर आपने देखा  होगा कि ,कुत्तों को मंदिरों में जाने से रोका जाता है , भगाया जाता है | लेकिन कर्नाटक के चन्नापट्टा रमन गारा जिले में एक ऐसा मंदिर है ,जहां कुत्तों का आना जाना नहीं मना है |

यहाँ कुत्तो की पूजा होती है |गाँव वालों का कहना है कि,उनके पुरखों को माँ कंपा ने दो कुत्तों के गाँव से गायब होने पर ढुढ़कर लाने की अनुमति दी थी |ताकि वे दोनों कुत्ते कंपा देवी की रक्षा कर सकें|

लेकिन गाँव वालों के  लाख कोशिशों के बाद भी गाँव वाले  उन दोनों कुत्तों को नहीं ढूंढ पाये |उसके बाद गाँव वालों ने उन दोनों कुत्तों की मूर्ति स्थापित कर दिया |तभी से यहाँ के लोग इन कुत्तों के मूर्तियों की देवी देवताओं की तरह पूजा करते हैं |

नोट -सभी जानकारियां  यानि मिस्ट्री इंटरनेट के मधायम से एकत्रित की गई है|

धन्यवाद ,

संग्रहिता -कृष्णावाती कुमारी

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