Dipika Kumari biography|तीरंदाज दीपिका कुमारी की जीवनी
Dipika Kumari biography- मंजिल पाने की चाहत हो ,तो चट्टान को भी तोड़ कर अपने मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है |कुछ इसी तरह दीपिका कुमारी के भी हौसले थे |आज भारत की आन बान शान बन चुकी दीपिका दुनिया की नंबर एक महिला तीरंदाज बन चुकी हैं |
आज यह भारत की बेटी दुनिया में भारत का मस्तक ऊंच्चा कर तीरंदाजों के श्रेणी में अपना नाम प्रथम श्रेणी में स्थापित किया है |दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाई है |आइये जानते हैं दीपिका का तीरंदाजी का सफ़र-
तीरंदाजी सफ़र की शुरुवात कैसे हुई दीपिका की?
ओ कहते है न कि ‘जिन पूत जन्मते ना होइहें त उ अबटले से ना होइहें ” दीपिका भी कुछ ऐसे हीं थी | एक दिन दीपिका अपने माँ के साथ कहीं जा रही थी |रास्ते में आम का पेड़ दिखा |बचपन होता ही है शरारती ,माँ से कहा : मां माँ मुझे आम चाहिए |
क्या मैं तोड़ लूँ ? माँ ने कहा : नही पेड़ बहुत ऊँचा है नहीं तोड़ सकोगी |परंतु दीपिका भी कहाँ रुकने वाली ,मारा एक पत्थर और आम आ गिरा सीधे जमीन पर |यहीं नही बचपन से बांस के डंडे का तीर धनुष अपने हाथों से बनाकर निशाना लगाने का अभ्यास करती थी |
दिल में चाहत थी तीरंदाज बनने की| एक दिन किसी ने बताया कि झारखंड के सरायकेला में तीरंदाजी प्रतियोगिता चल रही है| दीपिका अपने पिता के साथ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए शामिल हुई |लेकिन उस प्रतियोगिता में असफल रहीं|बेटी को निराश देख पिता ने निर्णय लिया कि मैं अपनी बेटी को कोचिंग करवाऊँगा |
इस वावत वे एक कोंच के पास गए |कोंच ने यह कहकर मना कर दिया कि वजन कम है | तुम तीरंदाजी नहीं कर सकती | तब दीपिका ने खुद को साबित करने के लिए कोंच से 6 महीने का वक्त मांगा |
उन 6 महीनों में दीपिका ने कठिन परिश्रम किया|तत्पश्चात वहाँ चयनित हो गईं |इसके बाद 2005 में झारखंड के माननीय मुख्य मंत्री रहे अर्जुन मुंडा कि पत्नी मीरा द्वारा शुरू की गई अर्जुन आर्चरी अकादमी जॉइन की |Dipika Kumari biography उनके कठिन परिश्रम और आत्मबिस्वश्वास की झलक मिलती है |
महज एक साल के बाद 2006 में टाटा तीरंदाजी अकादमी जॉइन की | इनके परिश्रम पर कुछ पंक्तियों को मैंने कविता का रूप दिया है ,आप सभी का प्यार अपेक्षित है :
दीपिका कुमारी पर कविता I poem on archer Dipika Kumari
कविता
डंडों से धनुष बनाकर देख रही थी सपना |
एक दिन पूरा करूंगी देखना मैं भी सपना अपना ||
लगा निशाना आम तोड़ती पत्थर से जब दीपिका |
गिरते आम जमीन पर तब हर्षित होती दीपिका ||
मन मश्तिष्क में सदा मचलता एक दिन नाम कमाऊँगी|
टूर्नामेंट हो या इन्टरनेशनल गेम स्वर्णपदक मैं लाऊँगी ||
एक दिन सूरज नई सुबह के, साथ में लाया नई भोर |
फिर क्या ,हुई विद्या बहन की कृपा, तकदीर बादल गई मोर ||
हो गई टाटा तीरंदाजी अकेडमी में मेरी दाखिला |
निकल गई दीपिका की प्रतिभा की काफ़िला ||
सिर्फ भारत में ही नहीं , सारी दुनिया तेरी गाथा गाने लगी |
जब 1 नहीं 2 नही एक दिन में 3 स्वर्ण पदक की झड़ी लगी ||
आज गर्व तुझपर है, नाज़ हो तुम हमारी |
तेरी तीरंदाजी की गाथा, गाये दुनिया सारी ||
आन बान शान देश की, है दीपिका कुमारी |
तेरी तीरंदाजी ऐसी, पड़ गई सब पर भारी ||
जय हो भारत माँ की बेटी, ज य हो तेरी लगन को।
जय हो झारखंड की माटी, नमन करूं तेरे चरण को।|
तू है भारत की मान, तू है भारत की शान|
तूझ पर है भारत को नाज़।|
भारत, माता की जय।
नोट-अब तो समझो भारत मां की बेटियों को मनचलों |
दीपिका कुमारी का संक्षिप्त जीवन परिचय :Dipika Kumari biography
जन्म | 13 जून 1994 |
नाम | दीपिका कुमारी महतो |
पिता का नाम | शिवनारायन महतो |
माता का नाम | गीता महतो |
जन्म स्थान | रातू, रांची झारखंड भारत |
ऊंचाई | 5फिट 3 इंच |
वजन | 56 केजी |
तीरंदाजी की शुरुवात | 2005 |
टाटा अकेडमी जॉइन | 2006 (अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया ) |
एशियन गेम्स में | कास्य पदक 2010 में |
कॉमन वेल्थ गेम में व्यक्तिगत स्पर्धा में | स्वर्ण पदक & महिला टीम को भी स्वर्ण पदक दिलवाया 2010 |
इस्तांबुल खेल में | रजत पदक 2011 |
टोकियो खेलों में | रजत पदक 2012 |
अंतल्या विश्वकप | स्वर्णपदक 2013 |
संघाई विश्व कप | रजत पदक 2013 |
कोपेन हेगन विश्व कप | रजत पदक (महिला टीम )2015 |
पद्मश्री | 2016 (द्वारा प्रवण मुखर्जी ) |
साल्ट लेक सिटी विश्व कप | स्वर्ण पदक 2018 |
तुर्की विश्वकप | कास्य पदक 2018 (महिला रिकर्व ) |
पेरिस आर्चरी वर्ल्ड कप | 3 स्वर्ण पदक 27 जून 2021 |
पति के साथ मिक्स इवेंट में | स्वर्ण पदक 2021 पेरिस आर्चरी वर्ल्ड कप में |
विवाह -30 जून 2020 को दीपिका और अतनु दास का विवाह संपन्न हुआ । जिसमें आर्शीवाद देने के लिए झारखंड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन भी पाहुचे थे |यह भी पढ़ सकते हैं |
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