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महाकाल का सच एवं कविता

Mahakal ka sach and peom

महाकाल का सच एवं कविता

Mahakal ka sach and poem

Mahakal ka sach

महाकाल का संक्षिप्त सच:-

यह हिन्दूओ का पवित्र स्थल है। यह भारत के 12बारह ज्योतिर्लिंगों में  से एक है। ज्योतिर्लिंग का मतलब, वह स्थान जहाँ भगवान शिव निवास करते हैं। महाभारत, पुराणों व कालिदास के रचनाओं में इस स्थान का बड़ा ही मनोहर वर्णन मिलता है।

 

पुराणों में भगवान शिव का रूद्र रुप का वर्णन मिलता है। रुद्र रुप संघार के देवता और कल्याणकारी है। भगवान विष्णु के भांति भगवान शिव का भी अनेक वर्णन पुराणों में मिलता है। भगवान शिव का महत्व सभी  देवताओं में सर्वश्रेष्ठ है। भगवान शिव सदा कैलाश धाम में वास करते हैं।

मेघदूत में कालिदासजी ने लिखा है :-

जब स्वर्ग लोक वासियों का पुण्य क्षीण होने लगा तब उन्हें धरती पर आना पड़ा तभी उन्होंने अपने साथ स्वर्ग से  एक खण्ड लेकर आये। आज वही खण्ड उज्जैन के नाम से जाना जाता है।

 

उज्जैन भारत के सप्त नगरियों में से एक है। यहाँ प्रत्येक 12 बारह वर्ष में सिंहस्थ मेला लगता है। इस अवसर पर देश विदेश से करोड़ों श्रधालु एवं साधु संत कल्प वास करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो यहाँ कल्प वास करता है वह मोक्ष को प्राप्त होता है

Mahakal ka sach and poem

Mahakal ka sach

महाकाल की आरती:-

इनकी आरती कपिला गाय के गोबर से बने कण्डे, शमी पीपल, पलाश ,बड़, अम्लताश और बेर वृक्ष को एक साथ जलाकर राख को कपड़े से छानकर भष्म बनाया जाता है। यही भष्म भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।

शिव पुराण के  अनुसार:-

 भष्म आरती श्रृष्ठि का सार है। एक दिन यह पुरी श्रृष्ठि इसी भष्म में विलीन हो जायेगी।श्रृष्ठि के सार को भगवान शिव सदैव धारण किये रहते हैं।अर्थात एक दिन सारी श्रृष्ठि शिव में विलय  हो जाएगी।

एक कथा आज भी प्रचलित है :-

महाकाल की नगरी में किसी  भी  राजा को ठहरने की अनुमति नहीं थी। मान्यता है कि एक रात अगर कोई भी राजा गुजार दें तो उन्हें अपने राज्य से हाथ धोना पड़ता था।

 

आज भी प्रधानमंत्री   व मुख्यमंत्री  उज्जैन में रात को नहीं रुकते हैं। एक ऐसेे सांसदनेता जिनका नाम लेना उचित नहीं है।  आज भी  इस नगरी में रात में  नहीं ठहरते हैं।यह कथा आज भी उस जमाने की तरह सच है। ऐसा वृद्धजनो से सुनने को मिलता है।

अब मैंने इनकी भेष भूषा और महिमा को शब्दों में बांधने की कोशिश किया है। त्रुटियों को कृपया टिप्पणी द्वारा अवगत करायें। आप सभी का प्यार व आशीर्वाद अपेक्षित है।

 

कविता 

जट्टा जुटी धारी सब कालों के काल है।

संकट  भक्तों पर आवे,  बनते महाकाल हैं।

 

कर में त्रिशूल सोभे जटा में गंगा ।

कटि में बाघाम्बर छाला, कोई ना ले पंगा।

 

महिमा अनन्त वेद पुराणों में वर्णित।

देवों के देव जिनकी, महिमा है अगणित

 

भोले भाले शिव इनकी महिमा निराली।

अपने पीते विष, भरते भक्तों की झोली  खाली।

 

प्रारंभ में हैं शिव अतीत में हैं शिव ।
वर्तमान में हैं  शिव भविष्य में हैं  शिव।

 

जहाँ अन्त वही शिव जहाँ अनंत वही शिव ।

जहाँ संत वही शिव जहाँ भक्त वही शिव।

 

अम्बर में शिव धरती पर शिव ।
हर कण कण में शिव हर क्षण क्षण में शिव ।

 

हर गीत में हैं शिव हर संगीत में हैं शिव ।
हर सुर  में  हैं शिव हर राग में हैं शिव ।

 

हर जीव में हैं  शिव हर निर्जीव  में शिव ।
हर पतझण में हैं शिव हर बहार में हैं शिव।

 

हर दु:खों में हैं शिव हर सुखों में हैं शिव ।
हर जोगी में शिव हर भोगी में शिव ।

 

ऊंँ नम:शिवाय जपत प्रकट शिव शीघ्र हों।
बाधा भक्तों का  हरें, शरण में जो पड़ें हों।

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                          ऊँ नमःशिवाय पाठकों

                        रचना -कृष्णावती कुमारी

 

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