वैश्वीक महामारी काल में चाणक्य के ये उपाय|कविता।
Mahamari kaal men chanaky ke upay kavita mein- महान अर्थशास्त्र ज्ञाता चाणक्य की एक एक बात आज सत्य सावित हो रही है |
1-सुरक्षा कैसे करें-
आचार्य चाणक्य के अनुसार आपदा के समय जानकारों द्वारा जो भी सुरक्षा के उपाय जनता को बताए जाते हैं, उन्हें उन सबका पालन सही ढंंग से करना चाहिए। इतना ही नहीं लोगों को इन उपायों के बारे में दूसरे लोगो को भी अवगत करना चाहिए। कोई भी देश अपने आस पड़़ोस के सहयोग से ही आपदा सेे इनसान आसानी से सामना कर सकता है। अपनी सुुुरक्षा व बचाव स्वयं केे अनुशासन सेे किया जा सकता है।
2- साफ सफाई का ध्यान-
आचार्य चाणक्य के अनुसार महामारी के केे समय लोगों को स्वच्छता का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए ।आचार्य चाणक्य का मानना था कि स्वच्छता एक ऐसा हथियार है जिससे किसी भी तरह की महामारी को इंंसान दूर भागा सकता है।
3-पौषक आहार लें-
आचार्य चाणक्य का मानना था कि कोई भी बीमारी व्यक्ति को तभी अपना शिकार बना सकती है जब उससे लड़ने के लिए शरीर कमजोर होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर में जब कम होती है। ऐसे में व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियम सेे पौष्टिक आहार लेना चाहिए । ताकि शरीर से महामारी कोशो दूूूर रह सके।
4- जीवन शैली को अनुशासन में रखे-
महामारी के दौरान व्यक्ति को अनुशासित जीवन जीना चाहिए। नियमित व्यायाम करना चाहिए। इसके लिए उसे समय पर खाना, सोना चाहिए। संकट के समय में कठिन जीवन शैली अपनाना चााहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को महामारी के प्रभाव से बचने में काफी मदद मिलती है।
5-घर से बाहर न निकलें-
हजारों साल पहले आचार्य चाणक्य नेे माना कि यदि किसी देश में महामारी का खतरा बढ़ जाता है, तो वहां के लोगों को अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। महामारी के दौरान घर पर ही रहना सही माना गया है। जो लोग घरों से बाहर निकलते हैं उन्हें संक्रमण होने का खतरा होता है। फिर दूसरे लोगों को संक्रमित करने का खतरा बढ़ जाता।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए आइए निम्नवत कविता से सीख लें। यह मेरी छोटी सी प्रयास आप को उम्मीद है सुरक्षित रहने में सहयोग करेगी।
कविता
आज समय की मांग है यारों
सजग रहो तुम अमल करो।
जागो भोर में करो व्यायाम तुम,
कर्म पथ पर अडिग रहो।
अनुशासित तुम करके यारों,
जीवन शैली करो कठोर।
नियमित खान पान पौष्टिक लो,
खूब लगाओ अपनी जोर।
साफ सफाई को अपना लो,
गंदगी पास ना आने दो।
महामारी के रण भूमि में,
खूद को व्यर्थ ना जाने दो।
कोना कोना साफ रखो तुम,
दूरी सबसे अपनाओ ।
दूर ही से तुम सबको भईया,
जागरूकता जन में फैलाओ।
खान पान के ध्यान से यारों,
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
महामारी के जुर्म से यारों,
सुरक्षित जनता रहती है।
माफ ना करना उपर वाले,
जिसने महामारी फैलाई।
नीद उड़ाई है दुनिया की,
जिसने दुनिया में रोग लगाई।
चहुं ओर हहाकार मचा है,
जीवन मौत से जुझे लोग।
वो अपनी मस्ती में झूमे,
ठाट बाट से करता भोग।
नोट -दोस्तों किसी ने सच ही कहा है बुराई कितना भी पैर पसारे एक दिन मिटना ही है।
धन्यवाद पाठकों,
रचना-कृष्णावती कुमारी,
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