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Hindu Mandiron ke Rochak Rahasy

Hindu Mandiron ke Rochak Rahasy- हिन्दू मंदिरों के रोचक रहस्य क्या हैं- साथियों आइए जानते हैं ,हिन्दू मंदिरों के रोचक रहस्य क्या हैं ?हमारे पूर्वज अपनी कला कृतियों को कैसे आसान तरीके से मजबूत और टिकाऊ  जो  हजारों साल  बाद भी धरोहर के रूप में हमारे समझ,   ज्ञानवर्धन और खोज की निरंतरता  को बरकरार रखने में सर्वोच्च सहायक हैं I

हमारे पूर्वजों के पास चट्टान पिघलाने  का सॉफ्टनिंग तकनीक का ऐसा समान  कुछ था जिसका पता लगाने में आज भी विज्ञान  सफल नहीं  है। नीचे कुछ कला कृतियां दी गई हैं जिन्हें आधुनिक विज्ञान भी  समझने  में असफल साबित हो  रहा है।

हालांकि प्रत्येक भारतीय प्राचीन हिंदू मंदिर अपने आप में कई तरह के आश्चर्यचकित रहस्यो को  समेटे हुए है। मैं कुछ यहां  ऐसे  पत्थर के   संरचनाओं को आप सभी के सामने प्रस्तुत कर रही हूं, जिसे आधुनिक तकनीक द्वारा भी समझाया नहीं जा सकता है।

Hindu Mandiron ke Rochak Rahasy | प्रथम प्रमाण 

 

यहां एक शेर की मूर्ति का एक चित्र है, जिसके मुंह के अंदर एक पत्थर की गेंद है। पत्थर की गेंद को बाहर नहीं निकाला जा सकता है। यह असंभव नहीं है। लेकिन मुख्य समस्या यह है कि पत्थर की गेंद मूर्ति को तराशने में प्रयुक्त मूल चट्टान की तुलना में अलग पत्थर की है। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे चट्टान को पिघलाए बिना इसे बनाया जा सके।

Hindu Mandiron ke Rochak Rahasy|दूसरा प्रमाण-

 

हम्पी भारत के उतरी कर्नाटक  का  एक शहर है, जिसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज का उतम दर्जा दिया है | हम्पी में हमें बहुत से ऐतिहासिक स्मारक और धरोहर दिखायी देते है।

हम्पी भारत के उत्तरी कर्नाटक में स्थित है। अपने समय में यह दुनिया के सबसे विशाल और समृद्ध गाँवों में से एक था। यह विजयनगर शहर के खंडहरों में ही स्थित है, और यह जगह अपने ज़माने में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी।

हम्पी धर्म के लोग भी विजयनगर में ही रहते थे और उन्होंने अपने साम्राज्य में विरूपाक्ष मंदिर और बहुत से ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण भी किया था। जिसमे संगीत मंदिर अति आश्चर्यचकित है।

उपरोक्त तस्वीर हम्पी में संगीत मंदिर की  ही है। मूल रूप से एक ही चट्टान से  स्तंभो का निर्माण किया गया है और एक ही लंबाई और व्यास के बावजूद, सभी  स्तम्भों  से अलग अलग ध्वनि उत्पन्न होती हैं। जो ध्वनि (सा रे गा मा पा ध नी सा) निकलती है।

ब्रिटिश लोग इस घटना पर इतने आश्चर्यचकित थे कि उन्हें लगा कि किसी तरह प्राचीन हिंदू उन्हें अलग ध्वनि बनाने के लिए स्तंभ में जरूर छेद करके बनाया  गया होगा। इसलिए वे एक कॉलम को काटते हैं और अनुमान लगाते हैं कि क्या, पूरा स्तंभ ठोस था और क्या कही  से भी खोखला नहीं था? यह चट्टान को पिघलाए बिना और इसकी आंतरिक संपत्ति को बदले बिना यह कार्य  सम्भव नहीं किया जा सकता है।

Hindu Mandiron ke Rochak Rahasy|तीसरा प्रमाण-

क्या आप सब छत के कोने के पत्थर में पत्थर के हुक देख रहे हैं?यह हम्पी में पाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन हुक से लटकने वाली पत्थर की चेन हुआ करती थी। और इस कथन को अन्य दक्षिण भारतीय मंदिरों में अन्य संरचनाओं में समान श्रृंखलाओं द्वारा मान्य किया जा सकता है।

उपरोक्त चित्र कांचीपुरम के एक मंदिर का है। अद्भूत कला  कौशल जिसे देखकर सहसा इंसान वाह! क्या कला कृति है?देखने के बाद बोल उठता है |य़ह कला कृतियां दक्षिण भारत की हैं |

भले ही पत्थर की चेन बनाना बेहद मुश्किल और महंगा है l लेकिन यह असंभव नहीं है। परंतु यह असंभव है कि पत्थर की श्रृंखला बलुआ पत्थर और छत के पत्थर से बनी हो, जिसे ग्रेनाइट से जोड़ा गया होगा। इसे आधुनिक विज्ञान भी हमे नहीं समझा सकता है।

साथियों  हमारे  पूर्वजों  की  कला कृतियां बड़ा ही रहस्ययम  और रोचक है साथ ही अति ज्ञानवर्धक  है |आज भी हम उनके रास्ते पर  चलकर भी उन जैसे  मुकाम हासिल करने में सक्षम नहीं है |

हिन्दू मंदिरो का अजीबो गरीबो रीति रिवाज़

नोट- सभी जानकारिया  इन्टरनेट और पत्रिका से एकत्र की गई है। 

धन्यावाद  पाठको 

संगृहीता- कृष्णावती कुमारी ।

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