Jane Navon Grahon ki Visheshtayein|जाने नवों ग्रहो की विशेषताएं
Jane Navon Grahon Ki Visheshtayein- नवों के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग है। भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में 9 ग्रह गिने जाते हैं I सर्व प्रथम क्रमशः हम ग्रहों के नाम से परिचित होंगे–
▪︎सूर्य, चंद्र, मंगल बुद्ध, गुरु शुक्र, शनि, केतु और राहु I
साथियों, अब हम सभी ग्रहों को एक एक करके उनके विषय में जानेंगे, कि इन ग्रहों की विशेषता क्या है? इनकी पहचान क्या है I पौराणिक कथा के अनुसार हिन्दू धर्म में इन्हें किस रूप में माना जाता है |
सर्वप्रथम हम सूर्य के विषय में जानेंगे-
साथियों, सात घोड़े खिंचते हैं सूर्य रथ को I सूर्य ग्रह सभी ग्रहों के मुखिया हैं I सौर्य देवता आदित्यो में से एक, कश्यप और उनकी पत्नियों में से एक अदिती के पुत्र, उनके बल और हाथ सोने के हैं I उनके रथ को सात घोड़े खिंचते हैं, जो सात चक्रों के प्रतिनिधित्व करते हैं I वे रवि के रूप में रविवार या इतवार के स्वामी हैं I
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य के संतानो में सबसे प्रसिद्ध हैं शनि अर्थात् Saturn, यम अर्थात् यानि मृत्यु के देवता, कर्ण अर्थात महाभारत वाले I साथियों, हिंदुओं में माना जाता हैं कि प्रति दिन सूर्य को जल से अर्घ देने वाला व्यक्ति निरोग रहता है I जिन जातक के स्वामी सूर्य होते हैं उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता है I यानि दुश्मन चाहकर भी उस जातक को हानि नहीं पहुँचा सकता II सुबह उठकर सूर्य को जो जातक नमस्कार करता है उसका तेज सदा बना रहता है I
दूसरे क्रम पर चंद्र ग्रह आते हैं –
साथियों, चंद्र ग्रह मन का प्रतिनिधित्व करता है I चंद्र को सोम के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें वैदिक चंद्र देवता सोम के साथ भी पहचाना जाता हैं I इन्हें गोरे रंग वाला जवान अति सुन्दर और दुरबाहु के रुप वर्णित किया जाता है I इनके हाथों में एक मुगधर और कमल रहता है Iवह पूरी रात अपना रथ अर्थात चांद चलाते हैं जिससे दस सफेद घोड़े अथवा मृग द्वारा खींचा जाता है I सोम के रूप में वे सोमवार के स्वामी हैं I वे सत्व गुण वाले हैं और मन माता की रानी का प्रतिनिधित्व करते हैं I
तीसरे क्रम में आते हैं मंगल-
ज्योतिष के अनुसार माना युद्ध के देवता हैं मंगल I यह लाल ग्रह मंगल के देवता हैं I मंगल ग्रह को संस्कृत में अंगारक अर्थात जो लाल रंग का है l भौम अर्थात् भूमि का पुत्र भी कहा जाता है I यह युद्ध के देवता हैं और यह ब्रह्मचारी हैं I इनकी प्राकृतिक तमस गुण वाली है I यह उर्जावान आत्म विश्वास कार्य करने वाले और अहंकार का प्रतिनिधित्व करते हैं I इनकी सवारी भेड़ है Iजाता है कि जिस जातक का जन्म सोमवार को होता है वह जातक सुन्दर सुकांत होता है I
चौथे क्रम में आते हैं बुद्ध –
साथियों एक पंखों वाली शेर की सवारी बुद्ध की है I बुद्ध चंद्र और तारा के पुत्र हैं I यह व्यापार के देवता हैं और व्यापार के रक्षक भी I यह रजोगुण वाले हैं और संवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं I इन्हें हरे रंग में प्रस्तुत किया जाता है I उनके हाथों में कृपाण, मुगधर और ढाल रहता है I ये रामनगर मंदिर में एक पंखों वाली शेर की सवारी करते हैं I जिस जातक के स्वामी बुद्ध होते हैं वह जातक बुद्धिमान होता है II
पांचवे क्रम में हैं वृहस्पति-
साथियों, वृहस्पति शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी हैं I वृहस्पति देवताओं के गुरु हैI शील और धर्म के अवतार हैं I प्रार्थनाओं एवं बलिदानों के मुख्य प्रस्तावक हैं I जिन्हें देवताओं के पुरोहित के रूप में प्रदर्शित किया जाता है I वे सत्व गुणी हैं I वे ज्ञान और शिक्षण का प्रतिनिधित्व करते हैं I
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार वे देवताओं के गुरु हैं I वे दानवों के गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी हैं I ये पीले और सुनहरे रंग के हैं I इनके हाथों में सदा एक छड़ी,कमल और माला रहता हैं I जिस जातक के स्वामी वृहस्पति होते हैं, वह सदैव सुखी व समृद्ध होता है I
छठे क्रम में आते हैं शुक्र ग्रह-
शुक्र ग्रह भृगु और उसान के बेटे हैं I वे दैत्यों के शिक्षक और असुरों के गुरु हैं I जिन्हें शुक्र ग्रह से पहचाना जाता है I शुक्रवार के स्वामी हैं I प्राकृति से य़ह राजसी हैं और धन खुशी और प्रजनन का प्रतिनिधित्व करते हैं I वे सफेद रंग माध्यम आयु वर्ग और भले चेहरे के हैं I
जाने शनि ग्रह का प्रभाव
सातवें क्रम में आते हैं शनि ग्रह-
शनि ग्रह की सवारी कौवा है I जिसपर पर शनि महाराज सवारी करते हैं I हिन्दू ज्योतिष में 9 मुख्य खगोलिय ग्रहों में एक हैं शनि I शनिवार के ये स्वामी हैं I यह जातक के कर्म फलसाथियों अब बात कर दाता हैं I इनकी प्रकृति तमस है I कठिन मार्गीय शिक्षण करियर और दीर्घ आयु को यह दर्शाता है I शनि शब्द की व्युक्ति ‘शनैः क्रमति सह’ से हुई है अर्थात वह जो धीरे धीरे चलता है I
शनि को सूर्य की परिक्रमा करने में 30 तीस वर्ष लगते है I उनका चित्रण काले रंग में एक तलवार दो तीर और खंजर लिए होता है I वे सदैव काले कौवे पर सवार रहते हैं I शनि जिस जातक के कुंडली में अशुभ घर में होते हैं उस जातक को किसी के साथ छल कपट नहीं करना चाहिए I कर्म फल दाता शनि सदैव अच्छे कर्म करने वालों से प्रसन्न रहते हैं I इसीलिए शनि की दशा में भूल कर भी बुरे कर्म नहीं करना चाहिए I
आठवें क्रम में आते हैं केतु-
साथियों सांप के पूछ के रूप में प्रभाव देते हैं केतु I आमतौर पर इन्हें एक छाया ग्रह के रूप मे जाना जाता है I उसे राक्षस सांप के रूप मे माना जाता हैं I माना जाता है कि मानव जीवन पर इसका एक जबरदस्त प्रभाव पड़ता है और पूरी सृष्टि पर भी I कुछ विशेष परिस्थितियों में यह किसी को प्रसिद्धि के शिखर पर भी पहुंचने में मदद करते हैं I य़ह प्राकृतिक में तमस हैं और परलौकिक प्रभावों का प्रतिनिधित्व करते हैं I
नौवें क्रम पर आते है राहु-
साथियों राहु तमस असुर है I राहु काल को अशुभ माना जाता है I राहु राक्षसी सांप का मुखिया हैं जो हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सूर्य और चंद्र को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है I चित्र कला में उन्हें एक Dragan के रूप मे दर्शाया गया है I जो बिना सिर के हैं I जो आठ काले घोड़ों के खींचे जाने वाले रथ पर सवार हैं I राहु काल को अशुभ माना जाता हैं I जिन जातक का राहु ग्रह खराब हो उन जातक का जीवन कष्ट से भरा होता है II राहु को सभी ग्रहों में अशुभ ग्रह माना जाता हैं I
नवों ग्रहों के मंत्र जाप विधि-
Note- टाइपिंग में अधिकतर मात्राएं लगाने में असुविधा के कारण स्व लिखित प्रस्तुत किया गया है ताकि मंत्रों में त्रुटि नहीं हो. I
धन्यवाद पाठकों,
संग्रहिता -कृष्णावाती कुमारी