सरस्वती पूजा मंत्र एवं पूजन विधि ।
सरस्वती पूजा मंत्र एवं पूजन विधि – हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के मध्य तक मुहूर्त व्याप्त रहता है, इसीलिए उस समय माँ सरस्वती की पूजा करना अति लाभदायक होता है I
विद्या की देवी माँ सरस्वती की कृपा जिनपर होती है, वह मनुष्य, विश्व स्तरीय प्रसिद्धि पाता है I इसीलिए तो, वसंत पंचमी के दिन सभी माता पिता अपने बालकों की अच्छी शिक्षा के लिए सरस्वती माता की पूजा अर्चना करते हैं I नीति श्लोक में कहा गया है-:
विदुत्वं च नृपत्वं च,नैव तुल्यं कदाचन । स्व देशे पुज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पुज्यते।
अर्थात विद्वान और राजा में कोई तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि राजा की पूजा सिर्फ राजा के राज्य तक ही की जाती है। परंतु विद्वान की पूजा सभी जगह होती है I इसीलिए भारत के लगभग सभी शिक्षण संस्थानों में भी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है, ताकि विद्या की देवी माँ सरस्वती प्रसन्न रहें और सदैव ज्ञान बुद्धि का दान प्रदान करती रहें I सभी व्यक्ति अपने श्रद्धा भक्ति के अनुसार माता सरस्वती के पूजन में तन्मयता से तल्लीन होकर विद्या प्रदान की याचना करते हैं I
पूजन विधि –
प्रात: काल अपने सभी दैनिक कार्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान गणेश का ध्यान करना करें I फिर माता सरस्वती का ध्यान इस मंत्र के साथ करें,।
“सरस्वती महाभागे विद्याकमल लोचने,विश्वरूपे विशालाक्षी विद्या देही विद्यांवरे”
स्कंदपुराण के अनुसार, सर्व प्रथम माता को गंगाजल से स्नान कराएं। उसके बाद, माँ का शृंगार करें, सफेद पुष्प यानि फूल, चंदन स्वेत वस्त्र, मिष्ठान आदि माता को अर्पित करें I अब पूजन के समय नीचे दिए गए मंत्रोचारण के साथ पूजा करें, जो निम्नवत क्रमानुसार दिया गया है-
सरस्वती पूजा मंत्र
•1 🕉 सरस्वती देवै नमः पादयो: पाद्यम् समर्पयामि।
•2 🕉 सरस्वती देवै नमः शिरसि अर्घ्य समर्पयामि।
•3 🕉 सरस्वती देवै नमः गंधाक्क्षतम समर्पयामि।
•4 🕉 सरस्वती देवै नमः पुष्पं समर्पयामि।
•5 🕉 सरस्वती देवै नमः धुपं घ्रापयामि।
•6 🕉 सरस्वती देवै नमः दीपं दर्श्यामि।
•7 🕉 सरस्वती देवै नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
•8 🕉 सरस्वती देवै नमः आचमनीयम समर्पयामि।
•9 🕉 सरस्वती देवै नमः ताम्बूलम समर्पयामि।
पूजापाठ सम्पूर्ण होने के बाद गीत संगीत और अनेकों वाद्यों सहित हर्षोल्लास के साथ सरस्वती वंदना गाई जाती है। आइए इस सूर की देवी मां सरस्वती की अराधना एक सुन्दर रचना के साथ किया जाय-:
सरस्वती वंदना
स्थाई
हे मां ऽऽऽऽऽऽ हे माँ ऽऽऽऽऽ वीणा विपुल बजा। ,तार तार के झंकारो से स्वर संसार सजा ऽऽऽऽऽ
वीणा विपुल •••••••••••••••••••।
अंतरा
गूंज उठे गीतों की कड़ियां ।
स्वत: स्मृति भावों की लाडियां।
फैले रंग हृदय वसंती ,
राग रागिनी की फूलझडिया।
व्योमा व्योमा सावन घन बन जा ।
वीणा •••••••••••
घर घर ब्रज मन मन वृंदावन।
प्रियतम साध्य प्रीति ही साधन ।
जन गोपी ग्वाल राधिका ।
वीणा पाणि सफल कर जीवन2
भीमा भीमा मनवांछित फल पा ऽऽऽऽऽ।
वीणा विपुल बजा•••••••••••••••••|
हे माँ हे माँ••••••••••••••••••|
यह भी पढ़ें :
2.श्रीकृष्ण ने इरावन से विवाह क्यों किया
3.वाराणसी का संक्षिप्त इतिहास कविता
4 वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है
धन्यवाद साथियों
वंदना रचना- कृष्णावती कुमारी
और पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें :https://krishnaofficial.co.in/
You tube chenal link जिस पर आप मन पसंद गीतसुने:https://youtube.com/c/KrishnaOfficial25