सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण सरल भाषा में सीखें
सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण सरल भाषा में पार्ट-1- इस पोस्ट में हम हिन्दी व्याकरण के बारे में एक एक करके जानेंगे |जिससे आपको हिन्दी भाषा सीखने मैनासनी होगी
भाषा किसे कहते है ?
उत्तर- भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने मन की भावों या विचारों को लिखकर या बोलकर दूसरों के सामने प्रकट करते हैं।
भाषा के दो रूप होते है- 1• मौखिक 2• लिखित।
मौखिक-
जब हम अपने विचारों या भावों को बोलकर प्रकट करते हैं तो यह भाषा का मौखिक रूप कहलाता है।जैसे-भाषण देना,कहानी सुनाना।
लिखित –
जब हम लिखना,अपने विचारों या भावों को लिखकर प्रकट करते है तो यह भाषा का लिखित रूप कहलाता है।जैसे- पत्रशिक्षक का श्यामपट पर लिखना यानि ब्लैकबोर्ड पर लिखना।
बोली-
किसी एक विशेष क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा ‘बोली’ कहलाती है। इसका क्षेत्र सीमित होता है। हर थोड़ी दूरी पर इसका रूप बदल जाता है।
लिपि-
भाषा ऐसी ध्वनियों का समूह होती है,जिसका कुछ अर्थ होता है। प्रत्येक सार्थक ध्वनि के लिए निश्चित किये गए चिन्हों को ‘लिपि’ कहते है। जैसे- हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।
भाषा लिपि
संस्कृत देवनागरी
अँग्रेजी रोमन
उर्दू फारसी
पंजाबी गुरूमुखी
व्याकरण-
जिस शास्त्र में भाषा के शुद्ध बोलने और लिखने के नियमों का वर्णन होता है उसे ‘व्याकरण’ कहते है।
व्याकरण के कितने चार प्रकार होते है ?
● व्याकरण के चार प्रकार होते हैं-
•१ वर्ण- विचार •२ शब्द-विचार •३ पद-विचार •४ वाक्य-विचार।
•१ वर्ण-विचार–
इसके अंतर्गत वर्णों के आकार,उच्चारण,वर्गीकरण, उनके संयोग और संधि आदि के नियमों पर विचार किया जाता है।
• २ शब्द विचार –
इसके अंतर्गत शब्दों के भेद, व्युत्पत्ति और रचना आदि से संबंधित नियमों की जानकारी होती है।
•३ पद विचार–
इसके अंतर्गत संख्या,सर्वनाम,क्रिया,विशेषण,अव्यय आदि पदों के स्वरूप तथा प्रयोग पर विचार किया जाता है।
•४ वाक्य विचार-
व्याकरण के इस विभाग में वाक्यों के भेद, उनके व्याकरणिक संबंध, वाक्य विश्लेषण, संश्लेषण, विरामवा चिन्हों आदि के बारे में विचार किया जाता है।
● व्याकरण के क्या लाभ है?
•१ व्याकरण भाषा को व्यवस्थित करता है।
•२ यह भाषा को मानक बनाता है।
•३ यह भाषा के नियमों को स्थिर करता है।
•४ ज्यों-ज्यों भाषा विकसित होती है , त्यों -त्यों वह व्याकरण ही उसे स्थिरता देता है अर्थात व्याकरण भाषा को शुध्द रूप में बोलना,पढ़ना व लिखना सिखाता है।
● भाषा,बोली एवं उप भाषा से आप क्या समझते है ?
•भाषा-
विचारों के आदान- प्रदान के साधन को भाषा कहते हैं।जैसे-हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी आदि।
•बोली–
बोली एक सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा को कहते है। इसमें साहित्य रचना नहीं होती है। हरियाणवी,कन्नौज,भोजपुरी,मैथिली,राजस्थानी आदि बोलियां होती है।
•उपभाषा-
बोली का जो रूप साहित्य के लिए प्रयुक्त होकर जिसे समाज का पढ़ा लिखा वर्ग बोलता है, उसे “उपभाषा“ कहते है। पहले ब्रजभाषा ,खड़ी बोली,अवधी एवं मैथिली आदि बोलियांं ही थी। लेेकि इनका प्रयोग साहित्य रचना करने मेें रहा इसीलिए ये ‘उपभाषाएँ’ बन गई।
● हिन्दी भाषा की उपभाषाएँ व उनकी बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
• भाषा- हिन्दी
उपभाषाएँ – पूर्वी हिन्दी,पश्चिमी हिन्दी,बिहारी हिन्दी, राजस्थानी हिन्दी,पहाड़ी हिन्दी।
बोलियाँ-
अवधी,बघेली, छत्तीसगढ खड़ीबोली, ब्रजभाषा,हरियाणवी, कन्नौज,बुंदेली, भोजपुरी ,मगही,मैथिली,जयपुरी, मारवाड़ी,मेवात, हिमाचली, कुमाऊँनी , गढ़वाली।