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Dipawali Ka Mahatv

Deepawali Ka Mahatv(2021)|दीपावली का महत्व

Dipawali Ka Mahatv-दीपावली भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है, जिसका धार्मिक हीं नहीं, सामाजिक महत्व भी अत्यधिक है |वैसे तो यह हिन्दुवों का पर्व है ,किन्तु आज भारत में हर धर्म के लोग मनाते है |दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है- दीपों की पंक्ति |इस त्यौहार में लोग दीपों को पंक्ति बद्ध रूप से अपने घरों के अंदर एवं बाहर सजाते हैं |

इस तरह यह प्रकाश का त्यौहार है |यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावश्या को मनाया जाता है| इस दिन लोग लक्ष्मी जी, जिन्हें पौराणिक हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार धन समृद्धि एवं ऐश्वर्य की देवी माना जाता है, की पूजा करते है | आजकल शहरों में बिजली के बल्बों का प्रयोग और मोमबत्तियों का बहुतायत प्रयोग किया जाता है |जिससे मनोहारी दृश्य चारों तरफ देखने को मिलता है |सारा शहर प्रकाशमान हो उठता है |

शहर की दीपावली भले ही चकचौध भरी होती है, परंतु गाँव की दीपावली कुछ अलग ही निराली होती है |गाँव में आज भी वहीं मिट्टी के दिये का प्रयोग होता हैं |लोग एक दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार बांटते हैं | घर-घर सुंदर रंगोली बनाई जाती है |बच्चों के लिए यह त्यौहार विशेष महत्व रखता है |बच्चे इस दिन पटाखे और फुलझरियों में मगन रहते हैं |

नर्क चतुर्दशी – 

लक्षमी पूजा के पूर्व का दिन नर्क चतुर्दशी कहलाता है |पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी|नर्क चतुर्थी के पूर्व का दिन धन त्रयोदशी या धनतेरस कहलाता है |धनतेरस के दिन लोग सोना चाँदी और बर्तन खरीदते हैं |ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोना चाँदी खरीदने से धन की वृद्धि होती है |

दीपावली मनाने के पीछे की  पौराणिक कथा

ऐसा माना जाता है कि 14वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे |उनके आगमन कि खुशी में अयोध्यावासी अपने घर और पूरे नगर को दीपों से जग मग कर दिया था |तभी से लेकर आजतक प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है|

लक्ष्मी पूजा एवं धनतेरस मनाने की पीछे की पौराणिक कथा

कहा जाता है की समुन्द्र मंथन के पश्चात इसी दिन लक्ष्मी जी की उत्तपति हुई थी |इसीलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा होती हैं |समुंदर मंथन के पश्चात धनवंतरि ,जिन्हें औसधी विज्ञान का प्रणेता माना जाता है की उत्तपति कार्तिक मास की त्रयोदशी को हुई थी |इसीलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है |

दीपावली का आर्थिक महत्व

इस त्योहार को मनाने के पीछे आर्थिक महत्व का अति महत्व माना जाता है |व्यापारी वर्ग इस दिन नए बही खाते आरंभ करते हैं बाकी उधार का समन्वय करते हैं|दुकानदार अपनि दुकानों को सुंदर ढंग से सजाते हैं |दसरि ओर लोग अपने घरों की साफ सफाइम करके घरों को सजाकर दीप प्रज्वलन के साथ मटा लक्ष्मी के आने का इंतजार करते हैं रात भर जागरण करते हैं |

दीपावली का सामाजिक महत्व –

दीपावली के सामाजिक महत्व की बात करें तो पता चलता है कि,कार्तिक मास कि अमावस्या के पहले ही किसान अपनी फसल के रूप में अपने परिश्रम का फल प्राप्त कर चुके होते हैं |फसल काटने के बाद उनके पास आनंद और उल्लास मनाने का पूरा समय होता है |इसीलिए इस समय को विभिन्न त्यौहारों के रूप में मानते हैं |

दीपावली मनाने का वैज्ञानिक महत्व

वर्षा ऋतु के समय पूरा पर्यावरण किट पतंगों से भर जाता है |साथ ही आस पास में जंगल – झड़ियों की बहुलता हो जाती है |दीपावली के पहले साफ सफाई करने से आस पड़ोस साफ सुथरा हो जाता है |लोग अपने घरों की रंगाई पोटाइ करवाते हैं |जिससे कई प्रकार के कीड़े मकौड़े ,मक्खी मच्छर मर जाते हैं |इसके बाद दीपावली के दिन दीपों की ज्वाला से बचे -खुचे कीड़े -मकौड़े जल कर मर जाते हैं |इस प्रकार दीपावली के बाद पूरा वातावरण साफ हो जाता है |

विशेष संदेश

दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्यौहार है |यह त्यौहार हमें भाई-चारा ,प्रेम और हर्ष का संदेश देता है |यह अमावस्या के अंधकार के बीच मनाया जाता है,फिर भी दीपों की सजी हुई माला से दुनिया इस तरह इस तरह जगमगा उठती हैं, मानों पुर्णिमा की रात्री हो |इस तरह यह त्यौहार हमें बताता है कि सामूहिक प्रयत्न किया जाय तो अंधकार को मिटाया जा सकता है |यह त्यौहार अज्ञान के अंधकार के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान के दीप जलाने की शिक्षा देता है|

दीपोत्सव |Dipotsav

आज अवध में फिर से जग-मग हुआ सभी का द्वार |

मानों जैसे राम लला का फिर से हुआ अवतार ||

सरयू के तट पर लाखों दीप से सजाय रहे सब भक्त|

राम नाम के भजन में कहाँ किसी को वक्त ||

एक देश का राजा है दूजा  राज्य का राजा |

मोदी योगी नाम है उनका असाध्य को दोनों साधा ||

कलयुग भागों आ गया त्रेता कभी लौट न आना जी |

 लौट आए प्रभु म्हारों घर आज दीप जलाओ जी ||

कोई काशी से आया है कोई मथुरा से आया |

राम नाम का दीप जलाकर अपने भाग्य पर इठलाया,||

वहीं विदेशी राम लीला का मंचन करें हो भाव विभोर |

डाली डाली पता पता राम रंग में सराबोर,राम रंग में सराबोर, रामरंग में सराबोर  ||

यह भी पढ़ें :

1.मकर संक्रांति का संक्षिप्त इतिहास और महत्व

2.होली पर निबंध कक्षा 6से 10 तक

3.माता रानी की उत्तपति कैसे हुई 

 

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