Garun Puran Kyon Padhana Chahiye| गरुण पुराण
Garun Puran Kyon Padhana Chahiye– यदि आप गरुँड़ पुराण के विषय में जानना चाहते हैं, तो आप उचित जगह आए हैं| इस पोस्ट में आपको गरुँड़ पुराण क्यों पढ़ना चाहिए के विषय में बताया जाएगा|यह पुराण वेद व्यास द्वारा लिखा गया 18 पुराणों में से एक है |अब हम निम्नवत जानकारी हासिल करेंगे की गरुँड़ पुराण क्यों पढ़ना चाहिए ?
आपको सर्व प्रथम ज्ञात हो की गरुँड़ पुराण वैष्णव संप्रदाय के 18 सभी पुराणों में से मुख्य और एक विशेष स्थान रखने वाला पुराण है | यह पुराण मानव जीवन का कल्याण है |कहते हैं की गरुँड़ पुराण पढ़ने से व्यक्ति सारे सुखों को भोगता है |गरुँड़ पुराण पढ़ने से व्यक्ति मोक्ष का भागीदार बनता है |
आपको बता दें कि गरुँड़ पुराण को पढ़ने से आपकी आत्मा को ज्ञान मिलता है | आपको कैसे कर्म करना चाहिए और किस तरह का कर्म नहीं करना चाहिये |गरुँड़ पुराण पढ़ने के बाद कहा जाता है कि व्यक्ति मृत्यु के बाद भटकता नहीं है |उसे सत गति प्राप्त होती है | इसके अनुसार बुरे कर्म करने पर मृत्यु के बाद आत्मा को मिलने वाली सजाओं का घोर वर्णन किया गया है |इसीलिए प्रश्न उठता है कि Garun Puran Kyon Padhana Chahiye.
यदि आप गरुँड़ पुराण में बताए गए कष्टों को भोगना नहीं चाहते तो आप अभी से अच्छे कर्मों को करना शुरू कर दीजिये |इस सभी का वर्णन इस पुराण में विस्तार से किया गया है |इसमें 84 नर्क का जिक्र किया गया है जो व्यक्ति अपने -अपने कर्मों के अनुसार मृत्यु के पश्चात भोगता है |
अब हम इन सभी के iबारे में संक्षिप्त में जानेंगे- ‘माया महा ठगनी हम जानी‘ माया के कारण ही जीव के हृदय में घोर अंधकार भरा रहता है |अतः जीव माया बंधन की गांठें सुलझाने में अक्षम सिद्ध होता है |जिसके लिए सभी साधना करनी पड़ती है |भक्ति मार्ग में चलने से काम ,क्रोध, मोह, लोभ और मात्सर्य के किट पतंग जलकर भस्म हो जाते हैं |
इसी ज्ञान दीप के प्रकाश में जब जीव को सहसा यह अनुभूति होती है, कि वह स्वयं ब्रहम है, तो वह सांसरिक बंधन से मुक्त हो जाता है |गरुँड़ पुराण में भगवान श्री हरि ने गरुँड़ के संदेह को मिटाने के लिए इन्हीं सब बातों को समझाया है |जिसमें प्रमुख बात यह है कि जीव संसार में किसलिए आया है? क्या करके जाना है ?
यदि हम अच्छे करम करेंगे तो हमारे वंश पर पड़ेगा |हमारी संतान सनातन धर्म की उन मर्यादाओं को समझेगी| जिसकी एक परिवार को आवश्यकता रहती है |आपको ज्ञात हो कि गरुँड़ पुराण हमें डराता नहीं है, हमें जीवन जीने की राह दिखाता है |इसे सुनने से हमें धैर्य मिलता है |
गरुँड़ पुराण का नाम सुनते हीं न जाने लोग क्यों भय से काँप उठते हैं |अधिकतर लोग यह समझते हैं, कि यह सिर्फ मृत्यु से संबन्धित है |परंतु इसमें लोगों की दैनिक कार्य व्यवहार और धर्म के विषय में बताया गया है |इसमें भगवान विष्णु जी ने स्वयं अपने श्री मुख से गरुँड़ को वर्णन करते हैं |इसलिए यह पुराण श्रद्धा के साथ सुनना चाहिए |
इस घोर कलियुग में केवल चारों ओर पाप ही पाप दिखाई देता है और लोगों के दुस्कृत्य के चलते ही आज हम सभी एक भयानक महामारी से जूझ रहे हैं |इस कलियुग में हर प्राणियों के मन में अनेकों प्रश्न उठाते हैं जो जीवन के आचरण और मृत्यु के बाद क्या होगा?
इस तरह के अनेकों प्रश्न के उत्तर आप गरुँ पुराण के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं | यदि अभी भी आपके मन में यह सवाल है किGarun Puran Kyon Padhana Chahiye तो आप को पूरा पोस्ट पढ्न होगा |
गरुण पुराण की 7 बातें याद रखने योग्य:
- संयम और सतर्कता: जीवन में मित्र और शत्रु दोनों होते है |ऐसे में गरुण पूरा न के अनुसार शत्रुओं से निपटने के लिए हमेशा सतर्क और सावधानी से रहना चाहिए |चतुराई से काम करना चाहिए |शत्रु हमेशा हमें नुकसान पाहुचने की कोशिश करता रहता है |ऐसे में यदि हम चतुराई नहीं रंखेंगे तो ,हमारा नुकसान हो सकता है |इसीलिए जिस स्वभाव का शत्रु हो उसी प्रकार नीति का उपयोग करके उसे काबू में रखना चाहिए |
2.कपड़े सदैव साफ और सुगंधित रखें : गरुण पुराण के अनुसार वैसे लोगों का भाग्य नष्ट हो जाता है जो लोग अपना डेली वियर कपड़ा गंदा रखते है |साफ कपड़ा नहीं पहनते हैं |उस घर में कभी भी लक्ष्मी नहीं रहती |जिसके कारण घर से दरिद्रता नहीं जाती |इसी लिए सदैव साफ और सुगंधित वस्त्र पहनना चाहिए |
3.प्रति दिन ज्ञान का अभ्यास करें : कितना भी कठिन से कठिन कोई भी विषय क्यों न हो ,यदि आप प्रति दिन अभ्यास करते हैं ,तो वह आपके पास सुरक्षित रहेगा | व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती रहती है | वह पारंगत हो जाता है |साथ हि वह कभी भूलता नहीं है | जैसे ” करत करत अभ्यास के जड़मति हॉट सुजान रसरी आवत जात से शील पर परत निशान ” अर्थात -जिसप्रकार रस्सी के बार बार रगड़ से पत्थर पर निशान पद जाता है |
यानि कि जब पत्थर रस्सी की रगड़ से घिस जाता है और निशान पद जाता है |उसी तरह निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है |अभ्यास के बिना इंशान चाहे विद्या हो या को भी काम भूल जाता है |इसीलिए अभ्यास निरंतर करना चाहिए |
4.निरोगी शरीर : स्वस्थ रहेने के लिए हमें संतुलित आहार लेना चाहिए |सुंदर और स्वस्थ हम तभी रह सकते हैं, जब हम अपने स्वास्थ्य के अनुकूल आहार ग्रहण करते है |स्वस्थ काया में हीं सुंदर मन बसता है | हम वो न खाएं जो हमें स्वादिष्ट लगता है |हम वो खाए जो हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखता हो | इस तरह हम रोगों से बचे रहते हैं | और जीवन भर स्वस्थ रहते है |
5.एकादशी व्रत : एकादशी व्रत को पुराणों और गरन्थोन में सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है |गरुण पुराण में इस व्रत के महिमा का खूब गुदगन किया गया है |जो व्यक्ति एकादशी व्रत को नेम धरम से रखता है |वह सभी कष्टों से बचा रहता है |इस दिन सिर्फ फल खाना चाहिए |
किसी तरह का व्यसन नहीं करना चाहिए |इतना हीं नहीं इस दिन जो व्रत नहीं रखता है उसे चावल नहीं खाना चाहिए |उसे एकादसी के दिन सैफ रोटी खाना चाहिए | ज्योतषियों का मानना है किइस व्रत को रखने से चंद्रमा का कितनी भी बुरी दृष्टि हो |वह नष्ट हो जाता है |
6.तुलसी का महत्व : गरुण पुराण के अलावा कई ग्रंथों ग्रन्थों में तुलसी जी का महत्व बताया गया है |तुलसी को घर में रखने से व्यक्ति निरोग रहता है |इतना हीं नहीं तुलसी के पत्तों को प्रति दिन खाने से पेट कि सारी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं | विष्णु जी की पूजा के बाद इनकी पूजा करने से बहुत फल मिलता है |
7. मंदिर और धर्मों का सम्मान करना चाहिए : किसी भी धर्म और देवी देवताओं का अपमान नहीं करना चाहिए |अन्यथा एक दिन पछताना पड़ता है | फिर वह नरक का भागी होता है |गरुण पुराण के अनुसार पवित्र स्तनों पर कभी भी कोई गलत काम नहीं करना चाहिए |
किसी के अहसान लेकर उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए धर्म,वेद पुराण और शास्त्रो पर कोई सवाल नहीं उठाएँ अन्यथा नरक के द्वार आपके लिए खुला है |इसे आपको कोई नहीं बचा सकता है |
गरुँड़ पुराण के कितने खंड है ?
उत्तर- गरुँड़ पुराण के दो खंड है –
1.पूर्व खंड- इस खंड में महर्षि उग्रश्रवा मुनि नैमि सारे नैम गरुँ पुराण की कथा करते हैं | इस में देवी देवताओं की पूजा अर्चना,दान,धर्म,सूर्य,चंद्र,वंश हर मास में होने वाला व्रत का नियम , हर रोगों का निदान और औषधि का परिचय और ब्रहम ज्ञान का सम्पूर्ण ब्याख्या है |
2. उत्तरा खंड- इस खंड में बागवान विष्णु हरी ने गरुँड़ को नरक का परिचय ,गरुँड़ को काल निर्णय प्रेत स्वरूप निरूपण यमलोक का मार्ग ,यम लोक का विस्तार, जीव उत्पति पापों के अनुसार जन्म का निर्णय और अनेकों व्रत के महत्व का इस उत्तर खंड में सम्पूर्ण व्याख्या की गई है |अब आप सभी को ज्ञात हो गया कि गरुँड़ पुराण क्यों पढ़ना चाहिए |
FAQ:
Q- गरुँड़ पुराण को लोग पढ़ने से क्यों डरते हैं ?
ANS- गरुँ पुराण के विषय में लोगो को भ्रांतियाँ है कि सिर्फ मरने के समय ही ,यानि कि जो व्यक्ति मरने वाला होता है उसी को गरुर पुराण सुनना चाहिए |जबकि ऐसा नहीं है |गरुँ पुराण सभी को पढ़ना चाहिए इसमें मनुष्य के दैनिक कार्य और धर्म के विषय में बताया गया है |
Q-मृत्यु के बाद गरुण पुराण क्यों पढ़ा जाता है ?
ANS-गरुड़ पुराण का पाठ मृतक की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। इस पाठ के समय एक लकड़ी का पीढ़ा या कुश का आसानी अलग से रख दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि, मारे हुए व्यक्ति की आत्मा 13 दिनों तक अपने परिवार के साथ ही रहती है। जहां गरुण पुराण का पाठ चलता है, वहीं मरने वाले व्यक्ति की आत्मा आती है और गरुण पुराण पाठ सुनती है।
Q- गरुण पुराण पाठ कितने दिन का होता है ?
ANS-हिंदूओं में जब घर के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो उस घर में 13 दिनों तक गरूड़ पुराण का पाठ किया जाता है| शास्त्रों अनुसार मरने वाले की आत्मा लगभग 13 दिनों तक उसी घर में रहती है|
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