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Bappi Lahiri Biography In Hndiबापी लहेडी जीवनी

Bappi Lahiri Biography In Hndi |बप्पी लहरी का जीवन परिचय

Bappi Lahiri Biography In Hndi- जब भी डिस्को Disko की बात आती है तो जेहन में एक ही नाम आता है, वो हैं बप्पी दा|डांस फ्लोर पर डिस्‍को कराने वाला संगीतकार जो राग की चाशनी में डूबी मेलोडी भी परोसता था, वो नाम हैं बप्पी लहरी |

बॉलिवुड की ‘डिस्को’ गानों से कराई थी पहचान, वो नाम है बप्पी लहरी |Bappi Lahiri Biography In Hindi 3 साल की उम्र में ही बजाते थे तबला वो नाम हैं बप्पी लहरी |आइए इनके विषय में निम्नवत जानते हैं …..

बप्पी दा ने बॉलिवुड को एक नया संगीत दिया था। उन्होंने हिंदी सिनेमा को रॉक और डिस्को म्यूजिक से रूबरू कराया था। 70-80 के दशक में उन्होंने सभी को उनके गानों पर थिरकने को मजबूर कर दिया था। उनका ‘यार बिना चैन कहां रे‘, ‘ऊ ला ला’ जैसे कई गानें आज भी लोगों की जुबां पर हैं।

बॉलिवुड में गायकों का एक अलग ही मुकाम रहा है. हर गायक का एक अलग ही तरीका होता है. लेकिन कई बार इन्हीं गायकों में से कोई गायक अपना एक ऐसा स्थान बनाता है जो बाकियों से बिलकुल जुदा होता है| ऐसे ही गायकों में से एक है हमारे बप्पी दा यानि बॉलिवुड के पहले रॉक स्टार बप्पी लाहिड़ी|

बप्पी लाहिड़ी 19 साल की उम्र में ही बॉलिवुड में नाम कमाने के लिए मुंबई चले गए| साल 1973 में उन्हें हिन्दी फिल्म “नन्हा शिकारी” में गाना गाने का मौका मिल गया| हालांकि उन्हें बॉलिवुड में असली पहचान 1975 की फिल्म “जख्मी” से मिली|इस फिल्म में उन्होंने मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे महान गायकों के साथ गाना गाया| इसके बाद तो जैसे बप्पी दा का गाना सबकी जुबान पर छाने लगा|

जब दौर आया बप्पी लाहिड़ी और मिथुन चक्रवर्ती की जोड़ी का तो इन दोनों की जोड़ी ने बॉलिवुड में ऐसी धूम मचाई, कि सब डांस और डिस्को म्यूजिक के दीवाने हो गए| उन्होंने मिलकर डिस्को डांसर, डांस डांस, कसम पैदा करने वाले जैसी फिल्मों को अपने गानों से ही हिट बना दिया|

चाहे किशोर की आवाज में ‘जलता है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में…’ हो या लता मंगेशकर के गले से निकला ‘अभी अभी थी दुश्‍मनी…’ इस फिल्‍म के गानों में वेस्‍टर्न मेलोडी समाई हुई थी। ‘जख्‍मी’ में ही लता मंगेशकर और पूर्णिमा ने ‘आओ तुम्‍हें चांद पे…’ गाया जिसमें बप्‍पी दा ने अपनी वर्सटैलिटी दिखाई है।

एक और फिल्‍म जिसमें बप्‍पी दा ने क्‍लासिकल म्‍यूजिक दिया, वह थी 1976 में आई चलते चलते। फिल्‍म का टाइटल गीत आज तक सुना जाता है। लता मंगेशकर की आवाज में ‘दूर दूर तुम रहे…’ में बप्‍पी दा पियानो पर अपनी बाजीगरी दिखाते हैं। ‘लहू के दो रंग’ का ‘जिद ना करो…’ भी ऐसा ही गाना है।

Bappi Lahiri Biography In Hndi

किस बीमारी से हुई बप्पी लहरी की मौत
बप्पी लहरी कुछ समय से बीमार चल हे थे. बताया जा रहा है कि ओएसए की वजह से उनके फेफड़ों में काफी कार्बन डाई आक्साइड जमा हो जाता था. यही वजह थी कि वो पिछले करीब 1 साल से अस्पताल आ-जा रहे थे| बीमारी ही इंसान को कमजोर कर देती है |जिसमें इंसान का खुद का हाथ शत प्रतिशत है | इंसान यदि अपने खान पान का ध्यान रखे तो उसे विमारियों से नहीं जूझना पड़ेगा |

बप्पी लहरी नेट वर्थ
दुनिया को अलविदा कहकर जाने वाले बप्पी लहरी की जायदाद की बात करें तो एक खबर के मुताबिक उनके पास 12 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिनमें उनके पास BMW और ऑडी कार भी शामिल है|

इसके अलावा बप्पी लहरी के पास टेस्ला की X कार भी है. वहीं अगर बप्पी लहरे के पास मौजूद सौने की बात करें तो उनके पास साढ़े चार किलो से ज्यादा सोना है. एक खबर के मुताबिक उन्होंने अपने घर में हिट गानों की याद में गोल्ड प्लेटेड डिस्क लगी है.

बप्पी लहरी फैमिली
वहीं अगर उनके परिवार की बात करें तो बप्पी दा अपने पीछे बड़ा परिवार छोड़कर गए हैं. उनके परिवार में उनकी चित्रानी लहरी, बेटा बप्पा लहरी, बेटी रीमा लहरी और पोते स्वास्तिक बंसल और बहू तनीषा वरमा हैं

बप्पी लहड़ि का संक्षिप्त जीवनी 

उनका  असली नाम आलोकेश लाहिड़ी था | महज़ 4 बरस की उम्र में लता मंगेशकर के एक गीत में तबला बजाकर मशहूर हुए थे| सपनों की नगरी मुंबई आने के बाद उन्हें पहला ब्रेक बंगाली फिल्म ‘दादू’ 1972 में मिल गया था| इसके बाद उन्होंने 1973 में फिल्म ‘शिकारी’ के लिए म्यूजिक कंपोज किया था| बप्पी लहरी को लेकर उन सिंगर्स में शुमार किए जाते हैं जिन्होंने बॉलीवुड में डिस्को के चलन की शुरुआत की| 

70 के दशक में फिल्मी जगत में आरडी बर्मन जी का जादू छाया हुआ था | जिन्हों ने बप्पी दा के टैलेंट को पहचाना और  मौका दिया |चाहे किशोर की आवाज में ‘जलता है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में…’ हो या लता मंगेशकर के गले से निकला ‘अभी अभी थी दुश्‍मनी…’ इस फिल्‍म के गानों में वेस्‍टर्न मेलोडी समाई हुई थी। ‘जख्‍मी’ में ही लता मंगेशकर और पूर्णिमा ने ‘आओ तुम्‍हें चांद पे…’ गाया जिसमें बप्‍पी दा ने अपनी वर्सटैलिटी दिखाई है।

एक और फिल्‍म जिसमें बप्‍पी दा ने क्‍लासिकल म्‍यूजिक दिया, वह थी 1976 में आई चलते चलते। फिल्‍म का टाइटल गीत आज तक सुना जाता है। लता मंगेशकर की आवाज में ‘दूर दूर तुम रहे…’ में बप्‍पी दा पियानो पर अपनी बाजीगरी दिखाते हैं। ‘लहू के दो रंग’ का ‘जिद ना करो…’ भी ऐसा ही गाना है। बाप्पी दा ऐसे सिंगर थे जिन्हें किसी भी क्षेत्र की गायकी हो फिट हो जाते थे |

बप्पी दा हिन्दी, कन्नड़,टेलगु और उड़िया सहित अलग-अलग भाषाओं में 5हज़ार से अधिक गीतों में संगीत दिया |इनके लोकप्रिय गीतों में यार बिना चैन कहाँ रे (साहेब ), आई एम डिस्को डांसर (डिस्को डांसर ),आज रपट जाएँ (नमक हलाल , दे दे प्यार दे( शराबी),तम्मा तम्मा (थानेदार), उ ला ला ( the durty पिक्चर ) शामिल है |

अंत में यही कहूँगी कि ‘ना भूतो न भविष्यते’ फिल्मी दुनिया में आज ऐसी हस्तियों को भूलाना नामुमकिन है | अतः बाप्पीदा को डिस्को का भगवान कहा जाय तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी |

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