बेघर शरणार्थी
Beghar Sharnarthi- देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम बिल पास होने के
के बाद बेेेेघर शरणार्थीयो की चर्चा इस समय मुख्य मुद्दा बना हुआ है।
जिनकेे पास रहने को छत नाहो उनका दर्द वही जानता है जो बिना छत का है। सब के बीच शरणार्थीयो पर मानवीय दृष्टि डालते हुए उनकी मन: स्थिति को एक छोटी-सी कविता के रूप में आप सभी के समक्ष व्यक्त किया है।
अतः आप सभी की प्रति क्रिया अपेक्षित है।
कविता
बेघर होकर कुछ लोग
मायूस चेहरों पर उदासी लिए हुए
भटकते शरहदों के कभी इस पार
तो कभी उस पार
बस, थोड़ी सी आश संजोए हुए
छोड़ आये अपनी जहां
अपना आसमान
बगल में दबाए एक पोटली
और कुछ सामान
अपनी धड़कन में जान बचाये हुए
परदेश में बस जाने की आश लगाए हुए
बेघर होने की पहचान को माथे लगाए हुए
अपनी मूल से उखड़े हुए कुछ लोग
अपनों से बिछड़े हुए कुछ लोग।
नमस्कार दोस्तों
रचना-कृष्णावती कुमारी
Read more: wwwwww.krishnaofficial.co.in