Ek Daud Aisi|एक दौड़ ऐसी भी थी ।
Ek Daur Aisi- कई साल पहले ओलंपिक खेलों के दौरान एक विशेष दौड़ होने जा रही थी |100 मीटर की इस दौड़ में एक गजब की घटना घटी|जिसमें नौ प्रतिभागी शुरुवात की रेखा पर खड़े थे |उन सभी को कोई न कोई विकलांगता थी |
सिटी बाजी ,सभी दौड़ पड़े |बहुत तेज तो नहीं पर सभी में जीतने की होड़ थी |सभी जीतने की उत्सुकता के साथ आगे बढ़े |बस, एक छोटे से लड़के को छोड़ कर |
तभी एक छोटा सा लड़का ठोकर खाकर लड़खड़ा कर गिर गया और रो पड़ा|उसकी आवाज सुनकर बाकी प्रति भागी दौड़ना छोडकर देखने लगे | इसलिए की आखिर पीछे क्या हुआ ?
फिर एक एक करके उस बच्चे की मदद के लिए सभी उसके पास आने लगे |सबके सब लौट आए |उसे दुबारा खड़ा किया |उसके आँसू पोच्छे ,धूल साफ की |वह छोटा लड़का ऐसी बीमारी से ग्रस्त था जिसमे शरीर के अंगों की बढ़त धीमी होती है |
मोटिवेशनल स्टोरी| Ek Daur Aisi (Motivetional)
फिर तो सारे बच्चों ने एक -दूसरे का हटह पकड़ा और एक साथ मिलकर दौड़ लगाई |सबके सब अंतिम रेखा तक एक साथ पहुँच गए |दर्शक मंत्र मुग्ध होकर देखते रहे |इस सवाल के साथ की, सबके सब एक साथ बाज़ी जीत चुके |
बुरी संगत |Stori in Hindi
एक समय की बात है ,एक गाँव में एक किसान रहता था |उसके पास एक छोटी सी जमीन थी |जिसमें वह कड़ी मेहनत करके अच्छी फसल उगाता था | परंतु कुछ समय से एक कौवा उसे बहुत परेशान करता था | वह कौवा उस किसान के फसल के निकट एक पेड़ पर रहता था |
जब फसल पक जाती थी| तब वह अपने साथियों के साथ आकार फसल को नुकसान कर देता था |किसान ऊबकर एक तरकीब सोचा |एक रात किसान अपने खेत के ऊपर जाल बिछा दिया और उसपर बहुत सारा दना दल दिया |
सुबह हुआ, कौवे ने ढेर सारा अनाज देखा और उसने अपने साथियों को अनाज पर धावा बोलने के लिए कांव-कांव करके पुकारा |थोड़े ही देर में सभी कौवे खेत में दाना देखकर उतर गए |दुर्भाग्य से एक कबूतर भी उन कौवों के साथ दाना चुगने आ गया और उन सभी कौवों के साथ जाल में फंस गया |
शाम को जब किसान अपने खेत पर आया तो, सभी कौवों को जाल में फंसे देखकर खुश हो गया | वह बोला: दुष्ट कौवों मेरी खून पसीने की कमाई पर हमेशा हाथ साफ करते हो |आज तुमलोगों को अपने किए की सजा मिल गई |
आज से अब तुम लोग कभी दुस्साहस नहीं करोगे |तभी किसान को गुटर्गु की आवाज सुनाई दी |आवाज सुनते हीं किसान ने एक नज़र दौड़ाई |कबूतर पड़ नज़र पड़ी, तो देखा कि कबूतर फंसा हुआ है |कबूतर बहुत डरा था |
किसान को बहुत दया आ गयी क्यों कि गलती से इन कौवों के साथ कबूतर आ गया था |किसान धीरे से कौवों के बीच से कबूतर को जाल से छुड़ाकर बाहर निकाल दिया |फिर कबूतर से बोला : कभी दुष्ट पक्षियों कि संगत में मत रहो |
ये कुसंगति का ही परिणाम था कि तुम भी जाल में फंस गए |आज तो मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ| पर दुबारा ऐसी गलती नहीं दुहराना |ऐसा कहकर किसान ने कबूतर को आसमान में छोड़ दिया |
उड़ते हुवे कबूतर ने किसान को धन्यवाद कहा |फिर किसान ने अपने खेत कि रखवाली करने वाले कूत्तों को बुलाया और उन्हें कौवों का अंत करने के लिए खेत में छोड़ दिया |कुत्तों ने कौवों को खाकर खूब दावत उड़ाई |
शिक्षा -बुरी संगत का बुरा परिणाम होता है |
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