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Sandhi In Hindi For All Exam संधि सभी परीक्षाओं के लिए

 Sandhi In Hindi For All Exam|संधि सभी परीक्षाओं के लिए

 Sandhi In Hindi For All Exam– आप यदि हिन्दी में संधि स्वर जानना चाहते हैं तो आज इस आर्टिकल में  सभी परीक्षाओं में आने वाले महत्वपूर्ण संधि  शब्दों को लेकर आई हूँ जिसकी आपको अति आवश्यकता है | संधि की परिभाषा,प्रकार ,नियम और उद्दाहरण  आइये निमन्वत जानेंगे ….

संधि किसे कहते हैं ?

सबसे पहले हम जानेगें संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ – संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है  ” मेल ” दो निकटवर्ती  वर्णो के परस्पर मेल से जो विकार यानि परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं |यानि दो ध्वनियों का मेल होता है |

  • संधि कितने तरह का होता है ?

उत्तर – संधि तीन तरह का होता है | 1. स्वर संधि   2.  व्यंजन संधि   3. विसर्ग संधि 

स्वर संधि – दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं|

स्वर संधि पाँच प्रकार के होते हैं –

1.दीर्घ संधि – दीर्घ संधि  का शाब्दिक अर्थ होता है बड़ा | जिन शब्दों के बीच ये अक्षर  अ,  आ,  इ,  ई,  उ,  ऊ   + अ  आ,  इ,  ई,  उ,  ऊ    आ,  ई,  ऊ   आए  दीर्घ संधि होता है | लेकिन आपको सिर्फ( आ,ई, ऊ ) इन तीनों को ही याद रखना है जिससे आप आसानी से शब्दों को पहचान जाएंगे |जैसे -धर्मार्थ,  स्वार्थी,  देवार्चना,  वीरांगना,  मतानुसार, देवालय,  नवागत,  सत्याग्रह,  देवगमन,  परीक्षार्थी,  सीमांत,  दिशांतर,  रेखांश, महात्मा, विद्यालय,  कवीन्द्र,  मुनीन्द्र,  कपीन्द्र,  रवीन्द्र,  गिरीश, परीक्षा, मुनीश्वर, हरीश,  महिंदर,  रजनीश, लक्ष्मीच्छा,  योगीश्वर,  जानकीश ,  भानूदर,  लघूतर,  लघूर्मि,  साधूर्जा,  वधूत्सव,  सरयूर्मी,  भूष्मा,  वधूर्मि ,  वधूपकार |

2.  गुण संधि  अ आ  +  इ / ई, उ / ऊ ,ऋ   +  ए  ओ   अर     परंतु आप सिर्फ याद रखें ए ओ और अर क्योंकि अधिकतर ए, ओ, ऋ,  अर की मात्रा जब बीच में आ जाय तो गुण संधि होता है | जैसे- नरेंद्र,  सुरेन्द्र,  पुष्पेंद्र,  सत्येन्द्र,  नरेश , परमेश्ववर, सोमेश कमलेश , रमेन्द्र,  महेंद्र  , यथेष्ट,  राजेन्द्र ,  महेश,  राकेश ,वीरोचित ,  परोपकार , हितोपदेश ,   सूर्योर्जा,  जलोर्मि, महोदय,  महोत्सव ,  देवर्षि,  सप्तर्षि,  राजर्षि ,  ब्रह्मर्षि,  महर्षि |अधिकतर परीक्षाओं में इसी तरह के संधि पूछे जाते हैं |

 3.  वृद्धि संधि–  जिन शब्दों के बीच में   अ / आ +   ए / ऐ,  ओ  / औ     ऐ ,औ       आ जाय वह वृद्धि संधि होता है | जैसे- एकैक ,  लोकैषणा ,  मतैक्य ,  धनैश्वर्य,  सदैव ,  महैश्वर्य,  रमैश्वर्य,  वनौषधि,  दन्तौष्ठ,  परमौदार्य,  परमौषध,  महौजस्वी,  महौज, महौषध ,  महौदार्य |इन सभी शब्दों में सिर्फ आपको औ कहा लगा है देखना है |बस आपको यही याद रखना है |जिस  भी शब्द के बीच औ दिखे आँख बंद करके वृद्धि संधि लिख देना है |

 4.  यण संधि – जिन शब्दों में कोई न कोई अधूरा शब्द हो वह यण संधि कहलाता है | इ / ई, उ /ऊ ,ऋ  + अ /आ / उ/ ऊ /ए/ ऐ य, या, यू,  यू, ये, यै ,व, वा, वि, वै र, रा, रि  |   य, व, र |   कोई न कोई अधूरा शब्द     यानि आपको सिर्फ अधूरे शब्दों पर ध्यान देना है |जैसे- अत्यधिक, यद्यपि, इत्यादि,  अत्याचार, उपयुक्त,  अत्युतम,  प्रत्यपकार,  न्यून ,  प्रत्येक,  अध्येषणा, देव्यागमन ,  संख्यागमन,  संख्यैश्वर्य,  नद्यैश्वर्य,  स्वच्छ,  अन्वय,  स्वागत, मध्वालय,  अन्विति,  अन्वेषणा,  पित्रनुमती, मात्राज्ञा,  मात्रिच्छा,  पितृच्छा

 5. अयादि संधि -जिन शब्दों के बीच में  ए/ ऐ , ओ /औ +  अ, ई ,उ ,इ  अय, आय, आयि, अव, आव, अवि, अवी , आवि,  आवु    आए  अयादि  संधि कहलाता है |अब अति महत्वपूर्ण याद रखने योग्य  (अय,  अव, अवी ) यह जिन शब्दों के बीच में दिखे वह है अयादि संधि  है |बाकी तो व्याकरण है | बस आप इन तीनों को याद रखें | जैसे- नयन, शयन,  नायक,  गायक,  गायन,  नायिका,  गायिका, पवन ,  भवन,  श्रवण,  पवित्र,  गाविनी,  पावन,  पावक,  भावन,  भाविनी,  भावुक | 

 2.  व्यंजन संधि-

व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं ।

उदाहरण : शरत् + चंद्र = शरच्चंद्र ।
उत् + हरण = उद्धरण ।
अनु + छेद = अनुच्छेद ।
सम् + लग्न = संलग्न ।

Vyanjan Sandhi Rules

(क) किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या किसी स्वर से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है । जैसे –
(क् + ग = ग्ग) दिक् + गज = दिग्गज ।
(क् + ई = गी) वाक् + ईश = वागीश ।
(च् + अ = ज्) अच् + अंत = अजंत ।
(ट् + आ = डा) षट् + आनन = षडानन ।
(प + ज + ब्ज) अप् + ज = अब्ज ।

(ख) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है । जैसे –
(क् + म = ड़्) वाक् + मय = वाड़्मय ।

च् + न = ञ्) अच् + नाश = अञ्नाश ।
(ट् + म = ण्) षट् + मास = षण्मास ।
(त् + न = न्) उत् + नयन = उन्नयन ।
(प् + म् = म्) अप् + मय = अम्मय ।

(ग) त् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर से हो जाए तो द् हो जाता है । जैसे –
(त् + भ = द्भ) सत् + भावना = सद्भावना ।
(त् + ई = दी) जगत् + ईश = जगदीश ।
(त् + भ = द्भ) भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति ।
(त् + र = द्र) तत् + रूप = तद्रूप ।
(त् + ध = द्ध) सत् + धर्म = सद्धर्म ।

(घ) त् से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल् हो जाता है । जैसे –
(त् + च = च्च) उत् + चारण = उच्चारण ।
(त् + ज = ज्ज) सत् + जन = सज्जन ।

त् + झ = ज्झ) उत् + झटिका = उज्झटिका ।
(त् + ट = ट्ट) तत् + टीका = तट्टीका ।
(त् + ड = ड्ड) उत् + डयन = उड्डयन ।
(त् + ल = ल्ल) उत् + लास = उल्लास ।

(ड़) त् का मेल यदि श् से हो तो त् को च् और श् का छ् बन जाता है । जैसे –
(त् + श् = च्छ) उत् + श्वास = उच्छ्वास ।
(त् + श = च्छ) उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट ।
(त् + श = च्छ) सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र ।

(च) त् का मेल यदि ह् से हो तो त् का द् और ह् का ध् हो जाता है । जैसे –
(त् + ह = द्ध) उत् + हार = उद्धार ।
(त् + ह = द्ध) उत् + हरण = उद्धरण ।
(त् + ह = द्ध) तत् + हित = तद्धित ।

(छ) स्वर के बाद यदि छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है । जैसे –
(अ + छ = अच्छ) स्व + छंद = स्वच्छंद ।
(आ + छ = आच्छ) आ + छादन = आच्छादन ।
(इ + छ = इच्छ) संधि + छेद = संधिच्छेद ।
(उ + छ = उच्छ) अनु + छेद = अनुच्छेद ।

(ज) यदि म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है । जैसे –
(म् + च् = ं) किम् + चित = किंचित ।
(म् + क = ं) किम् + कर = किंकर ।
(म् + क = ं) सम् + कल्प = संकल्प ।
(म् + च = ं) सम् + चय = संचय ।
(म् + त = ं) सम् + तोष = संतोष ।
(म् + ब = ं) सम् + बंध = संबंध ।
(म् + प = ं) सम् + पूर्ण = संपूर्ण ।

(झ) म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है । जैसे – (म् + म = म्म) सम् + मति = सम्मति ।
(म् + म = म्म) सम् + मान = सम्मान ।

(ञ) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है । जैसे –
(म् + य = ं) सम् + योग = संयोग ।
(म् + र = ं) सम् + रक्षण = संरक्षण ।
(म् + व = ं) सम् + विधान = संविधान ।
(म् + व = ं) सम् + वाद = संवाद ।
(म् + श = ं) सम् + शय = संशय ।
(म् + ल = ं) सम् + लग्न = संलग्न ।
(म् + स = ं) सम् + सार = संसार ।(ट) ऋ,र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है। परन्तु चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता । जैसे –
(र् + न = ण) परि + नाम = परिणाम ।
(र् + म = ण) प्र + मान = प्रमाण ।(ठ) स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष हो जाता है । जैसे –
(भ् + स् = ष) अभि + सेक = अभिषेक ।
नि + सिद्ध = निषिद्ध ।
वि + सम = विषम ।

 3. विसर्ग संधि – Visarg Sandhi Kise Kahate Hain: आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे विसर्ग संधि, उसके प्रकार एवं उदाहरण के बारे में। विसर्ग संधि से संबंधित सभी प्रश्नों को इस आर्टिकल में शामिल किया जाएगा। यदि आप भी विसर्ग संधि के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

जैसे

  • बहि: + अंग = बहिरंग
  • आशि: + वाद = आशिर्वाद

2. उत्व संधि

यदि किसी प्रथम पद के आखिर या अन्त मे “अ” आये उसके बाद मे विसर्ग आये तथा दूसरे पद के शुरुआत् क तीसरा, चौथा, पांचवा “य्, र्, ल्, व्” में से कोई आये तो “उ” बन जाता है, अतः अ+उ = ओ हो जाता है।

जैसे-

  • तप + वन = तपोवन
  • मन + हर = मनोहर

3. रूत्व संधि

यदि किसी पद के अन्त मे कोई भी स्वर आने के पश्चात विसर्ग आये तथा उसके बाद दूसरे पद के शुरुआत् मे “त/थ” आने पर “स” बन जाता है। यदि “च/छ्” आता है तो “श” बन जाता है, उसके बाद मे “ट/ठ” आने पर “ष” बन जाता है।

जैसे

  • चन्द्र: + तम् = चन्द्र्स्तम्
  • नि: + चय = निश्चय
  • धनु: + टकार = धनुष्टकार
विसर्ग संधि के नियम

विसर्ग संधि के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के नियमों को शामिल किया गया है, जिनमें से मुख्य नियम निम्नलिखित हैं:

नियम-1

जब कभी किसी शब्द में विसर्ग के बाद च, छ या श आए तो विसर्ग का श हो

जाता है एवं ट या ठ हो तो ष हो जाता है एवं त् या थ हो तो स हो जाता है।

उदाहरण

  • नि: + चल = निश्चल
  • धनु: + टकार = धनुष्टकार
  • नि: + तार = निस्तार
  • नि: + छल = निश्छल
  • दु: + शासन = दुश्शासन

नियम-2

विसर्ग संधि के अंतर्गत जब कभी संधि करते समय विसर्ग के बाद श, ष या स आए तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है, कोई परिवर्तन नहीं होता या उसके स्थान पर बाद वाला वर्ण हो जाता है।

उदाहरण

  • नि: + संदेह = निस्संदेह
  • दू: + शासन = दुशासन

नियम-3

विसर्ग संधि के अगले नियम के अंतर्गत जब विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हो तो विसर्ग में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है।

उदाहरण

  • रज: + कण = रज:कण
  • पय: + पान = पय:पान
  • अंतः + काल = अंतःकाल
  • अंतः + खण्ड = अंतःखण्ड
  • अंतः + करण = अंतःकरण
  • अधः + पतन = अधःपतन 

नियम-4

अगले नियम के अंतर्गत विसर्ग संधि में संधि करते समय यदि विसर्ग से पहले अ हो और बाद में घोष व्यंजन या ह हो तो विसर्ग ओ में परिवर्तित हो जाता है।

उदहारण

  • मनः + भाव = मनोभाव
  • यशः + दा = यशोदा
  • मन: + कामना = मनोकामना
  • मन: + हर = मनोहर

नियम-5

विसर्ग संधि के अंतर्गत संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर अन्य कोई भी स्वर हो तथा उसके बाद में कोई घोष वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘र’ हो जाता है।

उदाहरण

  • निः + गुण = निर्गुण
  • दु: + उपयोग = दुरूप नियम-6विसर्ग संधि के अगले नियम के अंतर्गत संधि करते समय विसर्ग के बाद त, श या स हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘स’ अथवा ‘श’ हो जाता है।उदाहरण
    • निः + संतान =  निस्संतान
    • निः + तेज़ = निस्तेज

    नियम-7

    विसर्ग से पहले या अ, आ आए और उसके बाद कोई भी अन्य स्वर आए तो विसर्ग का लोप हो जाएगा।

    उदाहरण

    अतः + एव = अतएव

    नियम-8

    जब “य्, र्, ल्, व्, ह्” में से कोई वर्ण हो तो “ओ” का विसर्ग बन जाता है, इसके कुछ उदाहरण निचे निम्नलिखित रूप से दिए गए है।

    जैसे

    • अधः + गति = अधोगति
    • पयः + धन = पयोधन
    • तपः + भूमि = तपोभूमि
    • मनः + योग = मनोयोग

    विसर्ग संधि के इस नियम में कुछ अपवाद भी है पुनः और अतः में विसर्ग का “र” बन जाता है।

    जैसे:

    • पुनः + मुद्रण = पुनर्मुद्रण
    • पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
    • अंतः + अग्नि = अन्तरग्नि
    विसर्ग संधि के अन्य उदाहरण

    योग

  • दू: + गुण = दुर्गुण
  • Visarga Sandhi Examples in Hindi
    • निः + चल = निश्चल
    • निः + ठुर = निष्ठुर
    • धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
    • मनः + ताप = मस्तान
    • निः + जन = निर्जन
    • निः + भर = निर्भर
    • निः + रोग = नीरोग
    • निः + पाप = निष्पाप
    • परिः + कार = परिष्कार
    • यशः + धरा = यशोधरा
    • पयः + द = पयोधर
    • सरः + ज = सरोज
    • दुः + ट = दुष्ट
    निष्कर्ष
  • उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और विसर्ग संधि से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल के  माध्यम से मिल गए  होंगे। आपको यह जानकारी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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