Sangya Uske Bhed Aur Uddaharan Sahit Paribhasha|संज्ञा उसके भेद और उदाहरण सहित परिभाषा
Sangya Uske Bhed Aur Uddaharan Sahit Paribhasha – इस पोस्ट में हम सभी संज्ञा उसके भेद उद्दाहरण के साथ जानेंगे |व्याकरण के विषय में यदि आप जानना चाहते तो उचित स्थान पर आए है |यहा आपको सही और उचित जानकारी प्राप्त कराई जाती है |आइये निम्नवत सभी जानकारियों से अवगत किया जाय|
प्रश्न- संज्ञा किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर- किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु अथवा भाव का बोध करवाने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं I जैसे मतलब उदाहरण- अब्दुल्ल कलाम, लालकिले, मेज़, ईमानदारी आदि।
हिन्दी में संज्ञा के मुख्य तीन भेद होते हैं –
•१ व्यक्तिवाचक- जिस संज्ञा शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- हैदराबाद,अनाचारी, राष्ट्रपति भवन, संसद, गीता, रामायण आदि।
•२ जातिवाचक – जिस संज्ञा से किसी जाति का बोध हो, उसे जाति वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- गाय, घोड़ा, शहर, नदी आदि।
• ३ भाववाचक -जिस संज्ञा शब्द सेेे किसी गुण, दोष, भाव या दशा का बोध हो , भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – बचपन, जवानी, बुढ़ापा, भलाई, बुुराई, ज्वर, स्वास्थ्य, महत्ता, भद्दापन, सुन्दरता आदि।
नोट- संज्ञा के दो अन्य प्रकार (भेद) भी माने जाते हैं –
(i)-समूहवाचक – जिन संज्ञा शब्दों से किसी समूह का बोध हो उसे ‘समूहवाचक’ संज्ञा कहते हैं। जैसे- गुच्छा, भीड़, सेना, कक्षा, सभा, मंडली आदि।
(ii) द्रव्यवाचक – जिन शब्दों से किसी ठोस या तरल पदार्थों व अनाजों आदि का बोध हो, द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाता है I जैसे – सोना, चांदी, पत्थर, पानी ,दूध, तेल, गेहूँ आदि I
प्रश्न- भाववाचक संज्ञाएं कितने प्रकार के शब्दों से बनती हैं? उदाहरण सहित लिखिए I
उत्तर- भाव वाचक संज्ञाएं चार प्रकार के विकारी शब्दों से बनती है –
(i)जातिवाचक संज्ञा से – जैसे- बच्चा से बचपन, मनुष्य से मनुष्यता, पशु से पशुता I
( ii) सर्वनाम से- जैसे- अहं से अहंकार, अपना से अपनापन I
(iii) विशेषण से- हरा से हरियाली, ऊँच्चा से ऊँचाई, लोभ से लोभी, चोर से चोरी, मोटा से मोटापा।
(iv)क्रिया से- जैसे- बिकना से बिक्री, चढ़ना से चढ़ाई, बनाना से बनावट, दिखना से दिखावा I
Sangya Uske Bhed Aur Uddaharan Sahit Paribhasha|भाववाचक संज्ञाओं की रचना
१• जातिवाचक संज्ञा से
बच्चा बच्चपन, लड़का लड़कपन , चोर चोरी,
पशु पशुता , युवक यौवन , सज्जन सज्जनता, गुरू गुरूता(गुरूत्व) , बाल बालपन , जवान जवानी, मनुष्य मनुष्यता
२•सर्वनाम से
आप अपनापन, अहं अहंकार , स्व स्वत्व ,
निज निजता (निजत्व) , मम ममत्व,
सर्व सर्वस्व ।
३• विशेषण से
कायर कायरता , कुशल कुशलता (कौशल),
गरीब गरीबी, गहराई गहराई, दुष्ट दुष्टता,
नीच नीचता , परतंत्र परतंत्रता ,
ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्य, भूखा भूख , महान महानता , अच्छा अच्छाई, ऊँच्चा ऊँचाई, आलसी आलस्य, कटु कटुता, कम कमी, काला कालापन (कालिमा) , वीर वीरता , लंबा लंबाई , स्वस्थ स्वास्थ्य, सज्जन सज्जनता, हिन्सक हिन्सा, हरा हरियाली,
४• क्रिया से
झुकना झुकाव, दौड़ना दौड़, पढ़ना पढ़ाई ,
बचना बचाव, हँसना हँसी, हारना हार,
उड़ना उड़ान , उतरना उतराई , कमाना कमाई, खोजना खोज, काटना कटाई, घबराना घबराहट।
प्रश्न- जातिवाचक संज्ञा कब व्यक्तिवाचक रूप में प्रयुक्त होती हैं?
उत्तर- जब जातिवाचक संज्ञा के शब्द को किसी एक व्यक्ति हेतु प्रयुक्त किया जाय तो वह जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक रूप कहलाता है। जैसेेेेेेेेे – भारत देश के स्वतंत्र होने पर सर्वप्रथम पंडितजी नेे लालकिले पर झंडा फहराया । ( नोट- यहाँ पंडितजी शब्द पण्डितजी जवाहरलाल नेहरू के लिए प्रयुक्त है। जबकि पण्डित जी जातिवाचक संज्ञा का रूप है।)
प्रश्न – व्यक्तिवाचक संग्या कब जातिवाचक बन जाती है ?
उत्तर- जब कोई व्यक्तिवाचक संग्या का शब्द व्यक्ति विशेष का बोध न करवाकर उस व्यक्ति के गुण- दोषों से युक्त व्यक्तियों की पूरी जाति का बोध करवाये तो वह व्यक्तिवाचक संग्या का जातिवाचक रूप होता है। जैसे- आज देश को भगतसिंहों की आवश्यकता हो।
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2.poem on world population day