नमस्कार पाठकों,
Jane Shiv Dhanush ka Itihas|जाने शिव धनुष की संक्षिप्त कथा
Jane Shiv Dhanush ka Itihas- महर्षि विश्वामित्र के यग्य का अंतिम दिन था। उसी समय मारिच और सुबाहु अपने राक्षसो के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया। राम लक्षमण ने तुरंत कारवाई शुरु कर दिया। राम के बाण से मारिच दूर समुद्र तट पर गिरा और भाग चला। वही लक्ष्मण के बाण से सुबाहु मारा गया। राक्षस सेना डर कर भाग चली।
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राम ने विश्वामित्र को प्रणाम करते हुए बोला, “अब हमारे लिए क्या आग्या है, मुनिवर? मुनिवर ने कहा अब हम मिथिला जायेंगे। मुनिवर राम लक्ष्मण के साथ मिथिलेश के सीता स्वयंम्बर में शामिल हुए। सभा में बड़े बड़े भूपति सामिल थे। पलभर में गुरु के आग्या से राम ने पलक झपकते ही धनुष खिलौने की तरह दो टुकडो़ में तोड़ दिया। और रामजी का विवाह सीता के साथ सम्पन्न हुआ।
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राम ने विश्वामित्र को प्रणाम करते हुए बोला, “अब हमारे लिए क्या आग्या है, मुनिवर? मुनिवर ने कहा अब हम मिथिला जायेंगे। मुनिवर राम लक्ष्मण के साथ मिथिलेश के सीता स्वयंम्बर में शामिल हुए। सभा में बड़े बड़े भूपति सामिल थे। पलभर में गुरु के आग्या से राम ने पलक झपकते ही धनुष खिलौने की तरह दो टुकडो़ में तोड़ दिया। और रामजी का विवाह सीता के साथ सम्पन्न हुआ।
जाने शिव धनुष की संक्षिप्त कथा
शिव धनुष को पिनाक भी कहा जाता हैं। जिसका निर्माण विनाश या प्रलय के लिए किया गया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान इंद्र ने दो धनुष का निर्माण किया। जिसमे एक धनुष शिव जी को व दूसरा विष्णु जी को दिया। इंद्र ने दोनो से अनुरोध किया कि वे आपस में युध्द करें । जिससे दोनो धनुष की क्षमता कितनी हैं, ज्ञात हो सके। ये एक प्रकार का परमाणु परीक्षण ही था।
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अतः शायद इसलिए भगवान परशुराम, शिव धनुष तोड़ने पर प्रभु श्रीराम पर क्रोधित हुए,क्योंकि ये एक महत्वपूर्ण शक्ति सयंत्र था। इसी का महत्व समझते हुए श्रीराम ने परशुराम जी को आदरपूर्वक समझाया, धनुष भंग करना क्यों आवश्यक था|
सीता जी अर्थात शक्ति, जहाँ शक्ति वहाँ ऊर्जा । अतः सीताजी के विवाह के उपरांत शिव धनुष का कोई महत्व भी नहीं रह गया था। उसे टूटना ही था।
Jane Shiv Dhanush ka Itihas
हमारे ग्रन्थों में लिखी प्रत्येक बातें सत्य हैं। लेकिन वे संकेतो में है। उसे समझने का प्रयास कीजिए। रामायण, महाभारत को भक्ति भाव से देखे। गर्व कीजिए, कि हमारे पूर्वजों का ज्ञान कितना उन्नत था।
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जग में सुन्दर सबसे प्यारा
मेरा भारत देश महान।
जहां वेद पुराण रिषि मुनि
जहां धनि है ग्यान विग्यान।
जग में सुन्दर सबसे प्यारा
मेरा भारत देश महान।
जहां वेद पुराण रिषि मुनि
जहां धनि है ग्यान विग्यान।
जहां सीता सावित्री अन्शुईया
राम कृष्ण गौतम गुरुनानक।
जहां देव बिराजे कण कण में,
वह है देश धन्य मेरा भारत। “
राम कृष्ण गौतम गुरुनानक।
जहां देव बिराजे कण कण में,
वह है देश धन्य मेरा भारत। “
जय श्री राम
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धन्यवाद पाठकों।
कृष्णावती कुमारी ।
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