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Who Is Owner Of Airtel India

Who Is Owner Of Airtel India|एयर टेल के फाउंडर कौन है

Who Is Owner Of Airtel India– वो कहते हैं ना ,कि “सब दिन होत ना एक समान|” जिसने हार नहीं मानी कामयाबी भी उसी की कदम चूमती है |जिसने हार मान कर कर्म करना छोड़ दिया |वह जीवन में कभी सफल नहीं होता है |आइये एक ऐसे शक्स के बारे में जानते है जिसे कौन नहीं जानता है |

बात उन दिनों की है जब साइकिल मालिक से 5हजार रुपये उधार मांगे थे |उन दिनों लोग चेक का प्रयोग बहुत कम किया करते थे |उन्हीं दिनों की बात है |जब एक बार हीरो साइकिल के संस्थापक बृजमोहन लाल मुंजाल के पास गए और कहा: 5000/-रुपये का एक चेक दीजिये |उन्होंने शीघ्र हामी भरी और चेक काट कर दे दिया |

लेकिन जैसे ही सुनील जी वहाँ से चेक लेकर चलने के लिए मुड़े,तो मुंजाल जी ने कहा: बेटा, इसकी ‘आदत नहीं डालना’ | बस क्या यह बात दिल को छु गयी |सुनील मित्तल जी ने अपनी प्रारम्भिक काल को याद करते हुवे यह वाक्या सुनाया था और वहीं सुनील जी ने इस बात को गांठ बांधा|

मेहनत का दामन ऐसे पकड़ा की आज 4.36लाख करोड़ की एयर टेल कंपनी के मालिक हें |भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर कंपनी है|आज इस कंपनी के यूजर्स की संख्या 35करोड़ है |इनटरनेट की दुनिया में सबसे तेज चलने वाली है |आज अधिकतर युवावर्ग एयरटेल को ही पसंद करते हैं |

हाल ही में अपने सभी प्रीपेड योजना को 20-25% तक बढ़ाकर देश भर में चर्चित हैं |आइये एयरटेल कैसे ब्रांड बना की कहानी निम्नावत सिलसिलवार से जानते हैं –

श्री सुनील भारती मित्तल की कहानी-

सुनील भारती जी का जन्म पंजाब प्रांत के लुधियाना में 23अक्तूबर 1957 को एक राज नेता परिवार में हुआ था |इनके पिताजी का नाम सतपाल मित्तल जो की दो बार सांसद भी चुने गए|सुनील जी की प्रारम्भिक शिक्षा मसूरी के विनबर्ग विदद्यालय में हुई|इसके बाद वे सिंधिया स्कूल ग्वालियर में पढ़ने चले गए |

फिर 1976 में पंजाब की ओर रुख किया और पंजाब इनवरसिटी के आर्य कॉलेज से ग्रेजुएशन पूर्ण किया |सुनील जी कहते हैं कि जो सीख मुझे पढ़ाई के वक्त क्लास में नहीं मिली वह मुझे सड़कों पर मिली|लुधियाना का माहौल ऐसा था कि इन्होंने कारोबार करने का मन बना लिया |

सबकुछ ट्राइ करने के बाद सही चुना

जैसे ही ग्रेजुएशन पूरा हुआ, उसके बाद अपने पिता से इन्होंने 20हज़ार रुपये उधार मांगा और एक साइकल पार्ट्स का काम शुरू कर दिया |लेकिन फिर कुछ ही दिनों में यह एहसास हुआ कि इस करोबार में मैं सीमित हो जाऊंगा|मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिसमें मैं ऊंची उड़ान भर सकूँ |

लिहाजा 1980 में दूसरे बीजिनेस की तलाश में मुंबई का रुख किया | लेकिन अबकी बार सुनील ने अपने भाइयों राकेश और राजन के साथ मिलकर भारती ओवरसीज ट्रेडिंग की स्थापना की और अपनी साइकिल की दुकान बेच दिया |उन पैसों से उन्होंने इम्पोर्ट लाइसेन्स हासिल कर लिया |

अब इन्होंने सबसे पहले सुजुकी का डीलरशिप  लिया और भारत में उनके इलेक्ट्रिक पावर्ड जनरेटर्स को सेल करने लगे |इस में मोटा मुनाफा होने लगा और कारोबार जमने लगा| लेकिन जैसे ही पूरी तरह कारोबार जम रहा था कि वैसे ही सरकार ने जेनरेटर निर्यात पर रोक लगा दी|एक झटके में कारोबार बंद हो गया |लेकिन फिर भी हार नहीं मानी|

टेलीकॉम में एंट्री पुश बटन वाली फोन से

लेकिन जिन लोगों को कुछ नया करने का जुनून हो उसे ऊपर वाला भी रास्ता दिखा ही देता है और फिर सुनील जी ने 1986 में पुश बटन फोन को इम्पोर्ट करने का फैसला लिया | ताइवान से पुश बटन फोन इम्पोर्ट करने लगे और बीटेल ब्रांड के नाम से भारत में बेचने लगे |इसमें इनको बहुत मुनाफा हुआ |फिर 1990 के दशक मे पुश बटन के अलावा फ़ैक्स मशीन और अन्य दूरसंचार बटन बनाने लगे |

1992 में पहली बार भारत सरकार द्वारा मोबाइल सेवा के लिए लाइसेन्स बाँटने कि प्रक्रिया शुरू हुई| तब सुनिलजी ने इस मौके को समझकर फ्रेंच कंपनी विवेण्डि के साथ मिलकर दिल्ली और आस-पास के इलाकों के सेल्यूलर लाइसेन्स प्राप्त किए |सुनील मित्तल ने 1995 में सेल्यूलर सेवाओं कि पेशकश के लिए भारती सेल्यूलर लिमिटेड कि स्थापना की और एयरटेल ब्रांड के अंतर्गत काम करना शुरू कर दिया |देखते ही देखते 20 हज़ार यूजर्स हुवे ,फिर 20 लाख हुवे और आज 20 करोड़ यूजर्स इनके है |

कैसे एयरटेल कंपनी दुनिया की टॉप कंपनी बनी

सन 1999 में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भारतीय इंटरप्राइजेज़ ने सेल्यूलर आपरेश बढ़ाने के लिए जेटी होल्डिंग का अधिग्रहण किया |सन 2000में चेन्नई में स्काइसेल कम्यूनिकेशन्स का अधिग्रहण किया |2001में स्पाइस सेल कोलकाता का अधिग्रहण किया |इतना ही नहीं उसके बाद कंपनी BSE और NSC स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हुई |

इसके बाद 2008 में इस कंपनी ने भारत में 6करोड़ कस्टमर का आंकड़ा पार किया|आपको बता दें, कि उसी समय एयरटेल का वैल्यूएशन 40विलियन डॉलर को छु दिया था |जिसके कारण भारतीय एयरटेल दुनियाँ की टॉप टेलिकॉम कंपनी बन गयी |

जियो के आने से डगमई थी एयरटेल कंपनी 
उस समय जब जियो 2016 में फ्री लॉन्च हुआ था,तब कंपनी डगमगाई थी |जियो के लोंचिग के समय टेलिकॉम इंडस्ट्री में 8कंपनियां रन कर रही थीं,जो अब सिमटकर 4 बची हैं | उस समय कॉलिंग रेट एवरेज 58 पैसे प्रति मिनिट था,जो 2018 में घटकर 18 पैसे पर आ चुका है | समयानुसर एयरटेल को भी अपनी दरें नीचे लानी पड़ी |

एयरटेल इंडिया व साउथ एशिया के MD और CEO श्री गोपाल विट्ठल का कहना है कि,”मुनाफे में हमें आने के लिए करीब 300/-रुपए के आरपू ARPU (इसका मतलब एवरेज़ रेवेन्यू पर यूजर )पर आना होगा |अभी हम टैरिफ में बढ़ोतरी कर 162/-रुपये पर तो आ गए हैं ,लेकिन इतना काफी नहीं है |पानी से सिर बाहर रखने के लिए हमें 200/-के अरपु पर जाना होगा |”

यदि उसी समय जब जियो 4जी स्पेक्ट्रम पर काम कर रहा था ,तब एयरटेल ने कुछ नहीं किया|एयरटेल 25 साल से टेलिकॉम सेक्टर में लीड कर रहा था|सिर्फ अपनी 2जी और 3जी सर्विसेज को सुधारने में लगा रहा|एयरटेल ने 4जी पर बहुत बाद में काम शुरू किया |हालांकि अब स्थिति में काफी सुधार हुई है|यह कंपनी कस्टमर बेस बढ़ाने के अलावा  प्रीपेड टैरिफ प्लान में 25% तक की बढ़ोतरी करके मुनाफे में भी आने का प्रयास शुरू कर दी है |

जानकारी अच्छी लगे तो शेयर करें |अपना प्यार और आशीर्वाद बनाएँ रखें |

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