Nav Varsh Ki Shubh Kamnayein | नववर्ष(Happy New Year) की शुभ कामनाएँ
Nav Varsh Ki Shubh Kamnayein- बीते हुए साल को विदा करते हुये ,नए साल का स्वागत करना है | हे!प्रभु कभी नहीं 2020-21 जैसे जीवन में नव वर्ष का आगमन हो| कितने अपने छूटे, कितने अपने पराए हो गए |हर किसी ने अपना रंग दिखया |
अपने, अपने ना रहे |गैरों ने रिश्ता निभाया |जिसको अपना समझा हमनें ,उसी ने गंभीर घाव दिया |जिनके कंधे पर सिर रख कर रोना था उन्होंने ही आँसू दिया | जिनको समझा मशीहा मैंने,उन्होंने कलेजे को चीर डाला |
करके छली भरोसे को, हमें अपना दुश्मन बताया |जिसे बेकार समझा था, उन्हीं ने जिंदगी का सही मायने समझाया है |टूटकर बिखरने का नहीं ,निखरने का मार्ग दिखाया |किसी को समय ने खुद सिखाया, किसी को परायों ने संभाला, सहेजा |
असली दुनियाँ से रु-ब-रु कराया | बड़ा दर्द दिये बीते साल |कितने आनाथ हुवे ,कितनों की मांग सुनी हो गई |कितनों की गोद सुनी हो गयी, तो कितनों का, घर का घर साफ हो गया | परंतु सभी दर्द को भुला कर नूतन वर्ष का अभिनंदन करना है |
अब नए साल के साथ नव वर्ष का स्वागत करते हुए कुछ मन भावन, कुछ-कुछ विपरीत, कविताओं का आनंद लें| बात-चीत में पता चला की यह नया साल पूरे विश्व को एक साथ एक सूत्र में बाँधकर खुशियों में डूबो देता है |
जिसे निम्नवत मैंने अपने भाव को व्यक्त किया है| त्रुटियों को नजर अंदाज करेंगे |नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ दिल से स्वीकार करते हुये पढ़ें| मुझे बहुत खुशी होगी |आप सभी का प्यार और आशीर्वाद अपेक्षित है….|
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
1.कविता
नव वर्ष के साथ-साथ, बदल जाता है नया साल |
हम वहीं के वहीं रह जाते है,भले हीं आए नूतन साल ||
नहीं कुछ सोच समझ पाते ,नहीं कर पाते विचार|
धीमें पाँव वक्त फिसलता, आगे हैं इसके लाचार ||
पर,हर बार दे जाता संदेश , निशान उम्र का छोड़ जाता है |
फिर भी, मन कितना नादान, पल भर में गुम हो जाता है ||
इस बार आओ कुछ अलग करें ,सबके होंठों पर मुस्कान भरें |
दुख दर्द सभी के बांटें हम, जो बेसहारा उसका सहारा बनें |
नव वर्ष में हर इंसान मनाये, खुशियां मस्त मगन होके |
थिरके पग, बाजे मृदंग , ताता थइया थइया बोलके ||
कुछ काम करो ऐसा जग में, जिंदगी का वक्त पल-पल घटता|
बस यादें जहाँ में रह जाती, गुजरा पल लौट कभी न आता ||
रचना -कृष्णावाती कुमारी
कुछ लोगों के विचार आइये निम्नवत कविता में जानते हैं कि नए साल के विषय में उनका क्या मत है ,|वे इसे मनाते हैं या अस्वीकार करते है …..
2. कविता
नहीं मानता नव वर्ष को , नहीं जानता ये त्यौहार |
जिसे पुरखों ने ना माना कभी , वैसा ही हमारा है व्यवहार |
जहां ठिठुरन धरा पर अधिक सतावे, आसमान में कोहरा छावे|
कोई-घर से बाहर निकाल ना पावे, जहां ठंढ हवा के पहरा धावे |
प्रकृति की बगिया सुनी हैं , हर कोई रज़ाई में ,दुबका है |
रंग बेरंग उमंग नहीं , बचवा गोदिया में सुबका है |
कुछ मास तनिक इंतजार करो ,अपने हियारा में विचार करो |
नए साल में नूतन मिले कछु , बस ठहरों जरा इंतजार करो |
कछु उल्लास नहीं मन में है ,आई अभी यहाँ बाहर नहीं |
ये ढूंध कुहासा छटने दो ,ये अपना नूतन साल नहीं|
फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति को दुलहन बनने दो |
जब महुवा से रस टपकेगा ,घर घर खुशियों को सजने दो |
है रीति यहाँ की सदा-सदा,नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा|
अनपूर्णा माई घर घर में ,वास करेंगी सदा सदा |
फिर क्या , भूखा कोई नर ना रहे, घर-घर में सबके समृद्धि आए |
हे प्रभु आस यही है मेरी ,विपत्ति कभी पास नहीं आए |
पुनः नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ|
धन्यवाद,पाठकों
रचना -कृष्णावाती कुमारी
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