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Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai

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Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai | शारदीय नवरात्री नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, चैत्रनवरात्रि, वसंत नवरात्रि, महा नवरात्रि, राम नवरात्रि, राम नवमी,नवरात्रे,

Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai- देवताओं की भूमि भारत में ऐसे तो अनेकों त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है|परंतु शारदीय नवरात्री प्रति वर्ष जिस तरह हर्षोउल्लास से मनाया जाता हैं |

जन मानस पटल पर इसकी छाप महीनों तक रहता है |नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ जगदम्बे की नौ रूपों की पूजा की जाती हैं |भारत में सदियों से इस त्यौहार को मनाया जाता रहा हैं |देश के सभी प्रान्तों में अलग-अलग तरीकों से इस त्यौहार को मनाया जाता है |

लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिर श्र्दिय नवरात्री क्यों मनाया जाता है? | आइए इसके पीच्छे की पौराणिक मान्यता को निम्नवत जानते हैंShardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai.

माँ दुर्गा ने क्यों महिषासुर का बद्ध किया था:Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai

नवरात्री के पर्व के पर्व को मनाने के पीछे कई किम बदन्तियाँ हैं ,कई मान्यताएँ हैं |एक मान्यता के अनुसार एक असुर था ,जिसका नाम महिशासुर था|उसने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था,कि वह कभी मर नहीं सकता |

यानि आम्रता का वरदान प्राप्त किया था | अमर होने के वरदान के चलते वह सभी देवताओं को घोर कष्ट देने लगा |उससे सभी देवता  ट्रस्त होकर शिवजी ,विष्णुजी और ब्रह्माजी के पास गए |

देवताओं की वेदना सुनकर ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवताओं ने माँ आदि शक्ति का आवाहन किया |भगवान विष्णु और शिव के क्रोध से व अन्य देवताओं के मुख से एक ऐसा प्रकाश प्रकट हुआ जो नारी के भेष में बदल गया |

बाकी देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किया |इस तरह देवताओं से शक्तियाँ पाकर दुर्गाजी ने महिषासुर सुर को ललकारा |दोनों में में युद्ध शुरू हुआ और यह युद्ध 9 दिनों तक चलता रहा | उसके बाद जब डसवा दिन आया तो माँ दुर्गा नऔर महिषासुर के बीच घमासान युद्ध हुआ |

इस तरह 10वें दिन माता ने महिषासुर का बद्ध कर दिया | ऐसी मान्यता हैं की इन दिनों में देवताओं ने प्रति दिन देवी की पूजा अर्चना करके उन्हें बल प्रदान किया| तभी से आज तक भारत में नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरुवात हुई और हम सभी आज इस पर्व को मानते हैं |

नवरात्रि में हर दिन का अपना महत्व(Importance) :Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai

नवरात्रि में प्रति दिन का महत्त्व होता है |इन सभी दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी गई है|शास्त्रों के अनुसार इन दोनों तिथियों में देवी की उपासना का फल पूरे नवरात्रि के व्रत पूजा के समान माना गया है | नवरात्रि महानवमी पर क्या करना चाहिए ?विधिवत जानते है:-Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai.

  • आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि नवरात्रि महोत्सव का समापन दिन होता है |इस दिन माँ दुर्गा के नौवे रूप देवी सिद्धि दात्री की पूजा की जाती है |
  • महानवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है |इस दिन व्रतधारी नौ कन्यावो को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराते हैं और उन्हें प्रेम स्वरूप उपहार भेंट करते है |जिनमें नौ के अलावा एक बटुक बालक भी होता है | इन सभी कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ रूपों को मान कर पूजा किया जाता है |ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन से पूरे नवरात्रि की पूजा का दोगुना फल मिलता है |
  • अंत में नवरात्रि की नवमी पर हवन करने का विधान है |इसमें देवी के हज़ारों नामों का जाप करते हूए आहुति दिया जाता है |ऐसी मान्यता है कि नवमी पर हवन करने से नौ दिन के ताप का फल कई गुना और अति शीघ्र प्राप्त होता है |
  • आर्थर बाशम ,हिस्टोरीयन के मुताबिक आर्यों के आने से पहले भारत मातृसतात्मक समाज था |किसान मानते थे कि पुरुष वास्तव में स्त्री पर निर्भर हैं,क्योंकि वो जीवन ,भोजन और शक्ति देती है |इसीलिए भारतीय किसान लंबे समय से देवी की पूजा करते आ रहे हैं |

Shardiy Navratri Qyon Manai Jaati Hai.आज के समय में भारत के सभी प्रान्तों में धूम धाम से दुर्गापूजा उत्सव मनाई जाती है |सभी आस्था रखने वाले भक्त दुर्गाजी का नवों दिन वरट का अति महत्व होता है|

FAQ:

Q-दुर्गापूजा में महालय क्या है ?

ANS-दुर्गा पूजा शुरू होने से एक सप्ताह पहले मां दुर्गा के भक्तों द्वारा महालय मनाया जाता है । यह देवी पक्ष (देवी का युग) की प्रारम्भ का प्रतीक है, और पितृ पक्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है (16-दिवसीय चंद्र दिवस का समय है जब सभी हिंदू अपने पितरों को श्रद्धांजलि देते हैं|

Q-दुर्गा माता का सच क्या है ?

ANS- पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति कहा गया है। दुर्गा शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है जो एकाग्र चित होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है।

 

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