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Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi

durga chalisa lyrics

Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi| दुर्गा चालीसा लिरिक्स हिन्दी में 

Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi – जब मनुष्य विकट परिस्थितियों से गुजरता हैं तो ,वह स्थिर नहीं रहता | ऐसी स्थिति में अधिकतर व्यक्ति देवी देवताओं के शरण में जाता है |यदि आप भी इसी परिस्थिति से गुजर रहें है और दुर्गा चालीसा लिरिक्स कि खोज में हैं तो यह आपको Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi. इस आर्टिकल में उपलब्ध हैं |

तब इन्सान ऐसी जगह ढुढता है | जहां उसे सुकून मिले और वह स्थान होता है देवी देवताओं का | जिनमें माँ दुर्गा अपने शरण में आए सभी भक्तों के दुख को क्षण भर में हर लेतीं हैं |आइये हम सब मिलकर माता रानी की आराधना करें |

दुर्गा चालीसा लीरिक्स :Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi

  • नमो नमों दुर्गे सुख  करनी, नमो नमो अम्बे हरनी |
  • निराकार है ज्योति तुम्हारी ,तिहु लोक फैली उजियारी |
  • शशि ललाट मुख महा विशाला,नेत्र लाल भृकुटी विकराला |
  • रूप मातु को अधिक सुहावे,दरश करत जन अति सुख पावे |
  • तुम संसार शक्ति लय कीना,पालन हेतु अन्न धन दीना |
  • अन्नपूर्ण हुई जगपाला,तुम्हीं आदि सुंदरी बाला|
  • प्रलय काल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिव शंकर प्यारी|
  • शिव योगी तुम्हारे गुण गावे,ब्रह्मा विष्णु तुम्हे नीत ध्यावे |
  • रूप सरस्वती को तुम धारा,दे सुबुद्धि ऋषि मुनीन उबारा |
  • धरा रूप नरसिंह को अम्बा,प्रकट भाई फाड़ कर खंभा|
  • रक्षा करी प्रहलाद बचायों, हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो|
  • लक्षमी रूप धरो जग माहीं,श्री नारायण अंग समाही|
  • क्षीर सिंधु में करत विलासा,दया सिंधु दीजै मन आशा |
  • हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमिट न जात बखानी|
  • मातंगी अरु धूमवाती माता , भूनेश्वरी बंगला सुखदाता|
  • श्री भैरव तारा जग तारिणी,छिन्न भाल भव दुखनिवारिणी |
  •  केहरी वाहन सोह भवानी,लंगूर वीर चालत अगवानी |
  • कर में खप्पर खड्ग बिराजे,जाको देख काल डर भाजे |
  • सोहे अस्त्र और त्रिशूला,जाते उठत शत्रु हिय शूला |

दुर्गा चालीसा |Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi

 

  • नगर कोटि में तुम्हीं विराजत, तिहूं लोक में डंका बाजात |
  • शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे,रक्त बीज शंखन संघारे|
  • महिषासुर नृप अति अभिमानी,जेहि अधमार महि अकुलानी|
  • रूपकराल कालिका धारा ,सेन सहित तुम तिहिं संहारा|
  • परी गाढ़ संतन पर जब-जब ,भई सहाय मातु तुम तब-तब|
  • अमर पुरी अरु-बासव लोका,तब महिमा सब रहे अशोका
  • ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी,तुम्हें पूजे सदा नर नारी |
  • प्रेम भक्ति  जो यश गावें,दुख दरिद्र निकट नहि आवे
  • ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई,जन्म मरण ताकि छूटि जाई |
  • जोगी सुर मुनि क़हत पुकारी,जोग न हो बिनु शक्ति तुम्हारी |
  • शंकर आचरज तप किन्हों,काम अरु क्रोध जीति सब लिंहों |
  • निशि दिन ध्यान धरो शंकर को काहू काल नहीं सुमिरो तुमको
  • शक्ति रूप को मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो |
  • शरणागत हुई कीर्ति बखानी,जयजय जय जगदंब भवानी
  • भई प्रसन्न आदि जगदंबा ,दई शक्ति नहीं कीन्ह बिलम्बा|
  • मोको मातु कष्ट अति घेरो,तुम बिन कौन हरे दुख मेरो |
  • आशा तृष्णा निपट सतावे,मोह मदा दिक सब विनशावे|
  • शत्रु नाश कीजे महारानी सुमिरौ एक चित तुम्हें भवानी |
  • करो कृपा हे मातु दयाला,रिद्धि सिद्धि दे करहू निहाला
  • जब लगी जियौं दया फल पाऊँ तुम्हारों यश मैं सदा सुनाऊँ
  • दुर्गा चालीसा जो नर गावे ,सब सुख भोग परम पद पावे|
  • देवी दास शरण निज जानी,करहु कृपा जगदम्ब भवानी |

 दोहा – शरणागत रक्षा करे ,भक्त रहे निःशंक |मैं आया तेरी शरण में मातु लीजिये अंक ||

श्री दुर्गा जी की आरती :Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi

  • जै अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
  • तुमको निश दिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवरी |
  • मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को
  • उज्ज्वल से दौ नैना चंद्र वादन निको |
  • कनक समान कलेवर रक्तामबर राजे
  • रक्त पुष्प गल माला कंठन पर साजे |
  • केहरी वाहन राजत खड़ग खप्पर धारी|
  • सुर नर मुनि जन सेवत जिनके दुख हारी |
  • कानन कुंडल सोभित नाशाग्रे मोती |
  • कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योति|
  • शुंभ निशुंभ बिडारे महिशासुर घाती|
  • धूम्र विलोचन नैना निश दिन मदमाती |
  • चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरु|
  • बाजत ताल मृदंगा अरु बाजत डमरू |
  • भुजा चारी अति शोभित खड़ग खप्पर धारी|
  • मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी |
  • कंचन थाल बिराजत अगर कपूर बाती
  • श्री मालकेतु में राजत कोटी रतन ज्योति|
  • श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे
  • भजत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे|
  • जै अम्बे गौरी मैया जै श्यामा गौरी जै अम्बे ……

 

 

आरती श्री काली जी की :Durga Chalisa Lyrics Aarti In Hindi

मुखड़ा – अम्बे तु है जगदम्बे काली ,जै दुर्गे खप्पर वाली, तेरे हि गुण गाए भारती, मैया हम सब उतारे तेरी आरती |वो मैया हम सब उतारें तेरी आरती |

अंतरा- माता तेरे भक्त जनों पर भीड़ परी है भारी, दानव दल पर  टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी |सौ सौ सिहों से बलशाली ,अष्ट भुजाओं वाली ,दुखियों के दुख को निवारती |ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती |……

माँ बेटे का इस जग में है बड़ा ही निर्मल नाता ,पूत कपूत सुने हैं पर ना, माता सुनी कुमाता |सब पर करुणा दरशाने वाली ,अमृत बरसाने वाली ,दुखियों के दुख को निवारती |ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती | ……….

नहीं मांगते धन और दौलत नहीं मांगते सोना,हम तो मांगते तेरे मन का, एक छोटा सा कोना |सबकी बिगड़ी बनानेवाली लाज बचानेवाली सतियों के सत को सवारती|ओ मैया हम सब उतरे तेरी आरती |

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