Who Is Gurvindar Singh |जाने सिरसा गुरविंदर सिंह के बारे में जिन्हें मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार
Who Is Gurvindar Singh- बहुत लोग थोड़ी सी समस्या से घबड़ा कर हार मान लेते हैं, लेकिन दोनों पैर खोने बाद भी सिरसा के गुरविंदर सिंह ने हार नहीं मानी और लगभग तीन दशकों से जरूरत मंदों की सेवा कर रहे हैं |इनकी हिम्मत और साहस को देखकर केंद्र सरकार द्वारा गणतन्त्र दिवस के पूर्व संध्या पर पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है |
कौन हैं गुरविंदर सिंह
एक बार कहीं जाते वक्त सड़क दुर्घटना में कमर के नीचे का भाग काम करना बंद कर दिया |लेकिन सिंह साहब ने कभी हार नहीं मानी| जहां कहीं भी निराश्रित लोग दिखते उनकी सहायता में दिलोजान से लग जाते है |अपनी परवाह किए बिना सेवा भाव से मदद के लिए सबसे आगे रहते हैं |भले हीं अपने व्हील चेयर पर रहते हैं |
आज के समय में जहां अपने भी जरूरत पड़ने पर पराए हो जाते हैं |वहीं दोनों पैर खो देने के बाद भी गुरविंदर सिंह असहायों की सहायता करने में पीछे नहीं रहते | तीन दशकों से सेवा में लगे हुए हैं |जिसका पुरस्कार अब मिल रहा है |
जैसे ही गणतन्त्र दिवस की पुर्व संध्या पर सिंह साहब के नाम की पद्मश्री पुरस्कार के लिए घोषणा हुई |वैसे ही इनके चाहने वालों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई | सुबह से इनके घर पर बधाई देने वालों की लाइन लग गई |
गुरविंदर सिंह क्या करते हैं
गुरविंदर सिंह सिरसा में बहुत लंबे समय से बेसहारा लोगों के लिए एक आश्रम चलाते हैं|जिसका नाम भाई कन्हैया आश्रम है |यहाँ जिनके पास रहने के लिए घर,निराश्रित महिलाओं ,अनाथों और दिव्याङ्ग जनों की भलाई करते हैं|
अब तक गुरुविंदर सिंह जी ने दुर्घटना पीड़ित और गर्भवती महिलाओं के लिए 6000 से अधिक मुफ्त एंबुलेंस की सेवा दी है है|जो लोग अशिक्षित है उन्हें यहाँ एक विद्यालय खोलवाये है जिसमें शिक्षा दी जाती है |अब प्रश्न उठता है कि इनके मन में ऐसे विचार आया कैसे? इन्होंने आश्रम का गठन कब और कैसे किया ?
एक दिन इन्होने कुछ लोगों को अस्पताल में सुबह के समय मरीजों को दूध, दातुन, ब्रैड बांटते हुए देखा | फिर उन लोगों से सिंह साहब ने पूछा: तो पता चला की ये लोग जरूरतमंदों की सेवा में लगे है |यही से इनको प्रेरणा मिली और इनके दिमाग में घर कर गया !क्यों न सिरसा के अस्पतालों जैसी सेवा शुरू की जाय|
इन्होंने 1जनवरी 2005 से सिरसा के असपतालों में समाजसेवी लोगों के साथ मिलकर दूध सेवा शुरू की |इसी के बाद भाई कन्हैया आश्रम समिति की गठन कर मुहिम का विस्तार हुआ |
इस आश्रम की शुरुवात 2012 में जनसेवा के रूप में हुई जो आज भी कायम है |सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस आश्रम को चलाने वाले गुरविंदर सिंह जी खुद दिव्याङ्ग हैं |इसके बावजूद इनके हिम्मत और साहस इतना बुलंद है कि इस आश्रम में रहने वाले लोगों के सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं |
सिंह साहब खुद व्हीलचेयर पर रहते हैं |परंतु लोगों के लिए खुद सहारा बने हैं |इनकी जगह कोई और होता तो खूद दूसरों का सहारा लेता| लेकिन इनके अदम्य साहस को सलाम जो खुद लोगों को सहारा देते हैं |
इनके अदम्य साहस को देखते हुए जो लोग हटे-कट्ठे हाथ-पैर से सीधे है| फिर भी भीख मांगते हैं |अपनी लाचारी का राग आलापते हैं |ये इन्हें देखे और सीखें |
आइये निम्नवत इनके अदम्य साहस को अपने विचारों की कुछ पंक्तियों से सजाकर इन्हें समर्पित किया जाय |आप सभी का इस छोटी सी कविता के लिए प्यार और दुलार अपेक्षित है |
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गुरुविंदर सिंह पर कविता
नमन तुझे
नमन तेरे अदम्य साहस को, नमन तेरे कर्मों को |
नमन तेरे सहयोग हिम्मत को ,नमन तेरे शत कर्मों को ||
हे पथ प्रदर्शक नमन तुझे, आने वाले पीढ़ियों के |
हे प्रेम प्रदर्शक नमन तुझे, सब बेसहारे लोगों के ||
तेरे वंदन में लिखने की, साहस मुझमें कहाँ हैं |
तुझपर लिखने की क्षमता,मेरी कलम में कहाँ है |
मैं निशब्द हूँ भाई गुरविंदर, शब्द नहीं कुछ सूझे |
इतनी हिम्मत इतनी साहस कहाँ से आई तुझे |
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