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How to make your married life happy

How to make your married happy| खुशहाल शादी सुदा जीवन बनाने का सही तरीका

How to make your married life happy- दोस्तों आज समय काफी बदल गया है। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। धरती आसमान जल और चाँद पर तक अपनी कृति स्थापित कर रहीं हैं। परन्तु कईयों की शादी सुदा  जिन्दगी आज भी खुशहाल नहीं है। चाहें वो पुरूष वर्ग हो या महिला वर्ग, दोनों ही इस जटिल समस्या से परेशान हैं।

आइए निम्नवत जानते हैं कि शादी शुदा जिंदगी को कैसे खुशहाल और  इसे आसान बनाया जा सकता है। सबसे पहले मेरे विचार से जब हमारी शादी होती है,तो इसमें दोनों कि अपनी- अपनी जरूत होती है । ना पति पत्नी के साथ पैदा हुआ था, नाही पत्नी, पति के साथ पैदा हुईं थीं।

आमतौर पर आजकल  शादी व्याह  को एक बहुत बड़ा पैकेज माना जाता है जो इन सभी जरूरतों को पूरा करता है। जब शादी होती है तो सभी समस्याएं एक साथ किसी की उलझ जाती है तो किसी की सुलझ जाती है। मेरा मानना है कि आपने अपनी भलाई के लिए शादी की थी। किसी और के लिए कोई बलिदान नहीं किया था

आप को यह गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि आपने शादी करके एक दुसरे इंसान को अपने साथ अपनी जरूरतों के लिए  बाँध लिया है। आपने सिर्फ यह अपनी जरूरतों के लिए किया है। दूसरे इंसान के लिए नहीं किया है।

यदि आप इसे याद रखेंगे तो आभारी होकर जीवन जीयेगे।इंसान यदि परिवार में गलतियाँ और कमियां देखना बंद कर दें तो घर का माहौल सौहार्द पूर्ण (खुशहाल) बना रहेगा। घर में शांति का माहौल रहेगा। प्यार मोहब्बत बनाप एक मनुष्य के रूप में पैदा हुए थे, क्योंकि आप की कुछ जरूरते है- जैसे कि शारीरिक-मानसिक, भावनात्मक शायद आर्थिक  सामाजिक इत्यादि रहेगा|

-Sahi jivan sathi ka chunav kaise kaise?

अगर आप अपने व्यवहार में नरमी रखें तो सदैव आनंद मय जीवन व्यतीत करेंगे।नाकारात्मक व्यक्ति सदैव संकुचित रहता है।  शांति बनाने के लिए चुप्पी का भी बहुत बड़ा रोल होता है। चुप रहना भी एक बहुत बड़ा गुण होता है। हो सकता है कि सामने वाला व्यक्ति को यह व्यवहार पसंद आये। इंसान  अपना रास्ता अपनी जरूरतों के लिए चुनता  है।

परन्तु सही मायने में इंसान को अपना रास्ता अपनी जरूरतों के लिए चाहिए।  हिसाब से चूनना |मजबूरी में किया गया चुनाव संतोष जनक नहीं होता |ऐसे में गुलामी महसूस होती है। दोनों अपनी भड़ास एक दुसरे पर निकालते हैं।

सम्पूर्ण जीवन घुटन में इंसान बीता देता है। जीवन साथी का चुनाव कभी भी दबाव में नहीं, अपने होसो हवास में करनी चाहिए। महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले आप हजारों बार सोचें कि क्या यह उचित है? जो जीवन भर का सौदा हो उसे ठोक बजा कर लेना चाहिए। जिस तरह से घड़ा  को ठोक बजाकर खरीदा जाता है।

उसी तरह बेटी हो या बेटा विवाह के समय काफी सोच समझकर उचित निर्णय लें | तब जाकर विवाह का फैसला करें |आज कोम्यूनिकेशन की सुविधा हो गयी है |अच्छे से जांच परखकर शादी करें |बिटिया के एक बार घर से विदा होने के बाद कोई ऐसा बिरले परिवार होगा जो उसके दुख को समझता है |नहीं तो सभी यही सलाह देते हैं की वही तुम्हारा घर है दुख सुख सह कर रहो |

जिस तरह से आज  जीवन साथी बनाने से पहले आपस में बात चीत शुरू हो जा रही है क्योंकि आज सुविधाएं है। मेरी समझ से  यह बिल्कुल सही है क्योकि  एक दुसरे को जानने समझने का मौका मिल जाता है। यह  बिल्कुल सही है। इस तरह का चुनाव सदा कुशल और खुशहाल जीवन बनाता है। यह मेरी राय है जो निम्नवत है-

गाड़ी की दोनों पहिया जब साथ साथ रहती है।

    चलते जाती सहज सड़क पर कभी नहीं थकती है।।

                                  जहाँ एक पहिया बिगड़े तो  वही हार रूक जाए।

                                  राह निहारे एक टक देखे कहीं कोई अब आए।।

                                   मानो बात कृष्णा की यारों त्यागो इस अभिमान को।

                                  ताख पर रखों झूठी शान को, समेटो अपने स्वाभिमान को।

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धन्यवाद पाठकों

       लेखिका-कृष्णावती कुमारी

 

 

 

 

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