कामकाजी महिलएं Life Of Working Women’s
कामकाजी महिलाएं – बात उस समय की है ,जब मैं 2003 में मध्य प्रदेश के एक बहुत ही प्रसिद्ध जनपद के शिक्षण संस्थान में कार्यरत थी | जहां सम्राट अशोक की ससुराल है | विदिशा उनकी पत्नी का नाम था | जिनके नाम पर इस जनपद का नाम विदिशा पड़ा|
साथियों , मैं वहां किराये के मकान में रहती थी I मेरी बेटी वहां मात्र 2 साल की थी I पड़ोस में एक शर्मा परिवार रहता था I उस परिवार में सेवानिवृत्त एक अंकल जी रहते थे I अंकलजी मेरी बेटी के साथ हमेशा खेला करते थे I उनकी आदत सुबह सुबह चाय की चुस्की के साथ पेपर पढ़़ने की थी I
शर्मा जी एक प्रतिष्ठित पद पर पदासीन थे I अच्छी रकम लेकर सेवानिवृत्त हुए थे I उनकी एक बेटी थी ,जिसका नाम सुधा था और बेटे का नाम संग्राम था I संग्राम किसी तरह तीन डंडे यानि स्नातक तृतीय स्थान से उत्तीर्ण था I परंतु पिता की दाया दृष्टि से क्लार्क की नौकरी मिल गई थी I
अब चूंकि पिता अच्छी रकम लेकर retired हुए थे I जिसके कारण बेटे की शादी एक अच्छी सुन्दर और सरकारी नौकरी वाली लड़की से हो गई थी I बेटी सुधा बड़ी थी इस लिए शर्मा जी पहले बेटी की शादी बहुत दान दहेज देकर काफी धनी परिवार में कर दिए थे I बेटी की शादी धनी परिवार में होते हुए भी बेटी सुखी नहीं थी, क्योंकि सुधा भी अच्छी नौकरी में थी I
इधर संग्राम की पत्नी भी अच्छी जॉब में थी I लेकिन संग्राम की माँ हमेशा बहु को ताने मारती थी I पता नहीं नौकरी में कौन सा काम करना है ? बैठ कें कुर्सी तो ही तोड़ना होता है I शर्मा जी की पत्नी पढ़ी लिखी नहीं थी I परंतु शर्मा जी अपनी पत्नी की बहुत कदर करते थे और उनकी दिली इच्छा रहती थी कि मेरा बेटा भी बहु की कदर करे I लेकिन शर्माजी बेटे से कुछ नहीं कहते थे I
परिवार कैसे संभालती है कामकाजी महिलाएं?
शर्मा जी को यह हमेशा खटकता था, कि मेरी बहु के साथ ठीक नहीं हो रहा है I और उन्होंने एक दिन एक तरकीब सोचा I एक दिन सुधा यानि उनकी बेटी का फोन आया कि, पापा आज कल मेरी तबीयत ठीक नहीं रह रही है! मन उदास रहता है ! शर्मा जी बड़े हिम्मत जुटा कर संग्राम से बोले I उस समय संग्राम सेंटर टेबल पर पैर रखकर चाय की चुस्की के साथ पेपर पढ़ रहा था I
शर्मा जी बड़े उदास स्वर में बोले: बेटा संग्राम ,तुम्हारी बहन सुधा का फोन आया था I बहुत उदास थी ,कह रही थी आजकल उसकी तबियत ठीक नहीं रहती है ! मन भी बड़ा उदास रहता है ! संग्राम बोलता है क्यों? क्या हुआ पिताजी दीदी को ? सुधा ऑफिस से काम करके आती है और फिर घर के काम निबटाने में लग जाती है और तुम्हारे जीजाजी तो कोई मदद भी नहीं करते है !
बस ऑर्डर देते रहते है ये कर दो, वो कर दो I सुधा कुछ कहती है तो कहते हैं कि “ये सब काम तो औरतों का ही है ”I मैं बस हमेशा थका रहता हूँ I य़ह सुनकर संग्राम गुस्से में बोला,, जीजाजी को समझना चाहिए I दीदी कोई मशीन थोड़े न है, जो दिन भर काम करते रहेगी? जब वह थकते हैं तो, क्या दीदी नहीं थकती है? उन्हें भी तो आराम की जरूरत है I अभी मैं जीजा को फोन करता हूं I
शर्मा जी मुस्कराते हुए कहते है – किस मुह से बोलोगे बेटा ? तुम भी तो यहीं करते हो I तुम्हारे लिए आज इतवार है और तुम्हारी भी तो छुट्टी है I पर बहु के लिए इतवार कहां है ! वह तो आज भी रसोई में जुटी हुई है सबका ख्याल रख रही है I संग्राम कुछ देर चुप रहा और फिर रसोई घर मे गया अपनी पत्नी शीला का हाथ पकड़ कर लाया और प्यार से बोला आज तुम आराम करोगी और मैं सबके लिए नाश्ता और खाना बनाऊँगा sssss I
शीला के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे और पिताजी के चेहरे पर जीत की मुस्कान थी क्योंकि उनके तीर निशाने पर जो लगे थे। यह सत्य घटना हैI I””इसी को कहते है साँप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी “‘I यह सत्य घटना है जो मेरे आंखो के सामने घटी थी।
दोस्तों ,अब मैं अपनी भावनाओं को एक छोटी सी कविता का रूप दे रही हूँ ,उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी I
घर बाहर कैसे काम करती हैं कामकाजी महिलाएं
कविता
जबसे व्याह के आई,हाल हुआ बेहाल
बट गई दो पाटन मेें ,जीवन हुआ बदहाल |
पहली किरण सूरज की,कभी नहीं देख पाती,
कामकाज निपटा के,तभी मैं ऑफिस जाती।
सोची थी अपनी पहचान से,मैं जानी जाऊँँगी I
क्या पता कि मैं यहाँ, दो पाटन में पीसी जाऊँगी I
सास ननद की अलग उम्मीदें ,जेठ जेठानी को अलग अपेक्षा I
पतिदेव की अलग कहानी, होतीं रही सदैव उपेक्षा I
नई सुबह एक दिन ले आई,मेरे भाग्य की हुई भलाई।
ससुर जी मेरे पतिदेव को,एक दिन ऐसी पाठ पढ़ाई I
कुछ ही पल में पतिदेव को, अकल ठिकाने आई I
तब कुछ सोचा, मनन, किया फिर,लपक के कदम बढ़़ाई ।
बस तू आज आराम करोगी ,रसोई मैं आज सम्भालूगा ।
नास्ता खाना डिनर तक, मैं ही आज बनाऊँगा I
शिक्षा – साथियों समाज में जिस परिवार का मुखिया ऐसा सूझ बुझ वाला होगा । उस परिवार में निश्चित ही कामकाजी महिलाओं को घर और ऑफिस दोनों को संभालना आसान हो जाएगा और वह घर स्वर्ग से भी सुंदर लगने लगेगा | घर को स्वर्ग बनाने में महिला पुरुष दोनों का सहयोग होता है |कमला भसीन जी की कविता सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें
नमस्कार, साथियों मैं Krishnawati Kumari इस ब्लॉग की krishnaofficial.co.in की Founder & Writer हूं I मुझे नई चीजों को सीखना अच्छा लगता है और जितना आता है आप सभी तक पहुंचाना अच्छा लगता है I आप सभी इसी तरह अपना प्यार और सहयोग बनाएं रखें I मैं इसी तरह की आपको रोचक और नई जानकारियां पहुंचाते रहूंगी I
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