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Mahabharat Yuddh Ke Baad Jivit Bache Yoddha

 Mahabharat Yuddh Ke Baad Jivit Bache Yoddha|महाभारत युद्ध के बाद कौन -कौन योद्धा जीवित बचे 

Mahabharat Yuddh Ke Baad jivit bache Yoddha- The -महाभारत  युद्ध में  लगभग 18 अक्षौहिणी सेना ने भाग लिया था I   कौरवो की सेना में 11 अक्षौहिणी सेना और पांडवों की सेना में कुल 7 अक्षौहिणी सेना |  युद्ध के समाप्त होते होते इन 18 दिनों में लग भग दोनों पक्षों की सेना समाप्त हो चुकी थी |

हाभारत युद्ध के समाप्ती के बाद कौन कौन योद्धा जीवित बचे थे, निम्नवत वर्णन है |महाभारत युद्ध के बाद सिर्फ मुट्ठी भर ही योद्धा शेष रह गए थे I उस विनाश कारी युद्ध में दोनों पक्षों का लगभग सबकुछ तबाह हो चुका था I तब जो योद्धा कौरव पक्ष से युद्ध लडे़ थे, और जो जिंदा बच गए थे, उनका क्या हुआ ?साथियों ,इस पोस्ट में हम  उन्हीं के विषय मे जानेंगे कि उनका क्या हुआ और  महाभारत युद्ध के बाद वह कहां चले गए ? 

कृपाचार्य

महाभारत युद्ध में कृपाचार्य बच गए थे क्योंकि उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान मिला था I इनकी मृत्यु की कोई कथा कहीं उपलब्ध नहीं है I माना जाता है कि वह आज भी जिवित हैं I कृपाचार्य जी के पिता का नाम शरद्वान था और माता का नाम जनपदी  था I जो इंद्र द्वारा भेजी गई देव कन्या या अप्सरा थीं I

जिन्हें ऋषि शरद्वान की तपस्या भंग करने के लिए भेजी गईं थीं I महर्षि शरद्वान और जनपदी के मिलन से दो प्यारे बालकों का जन्म हुआ I जिन्हें माता और पिता दोनों ने ही जंगल में  ही छोड़ दिया I समय की लीला समय ही जाने I उसी समय महाराजा शांतनु जंगल में विहार कर रहे थे,तभी उनकी नजर उन बालकों पर पड़ी I

राजा उन बालकों को अपने महल ले गए और उनका पालन पोषण किया I उन दोनों बच्चों में से एक का नाम कृप और दूसरे का नाम कृपी रखा गया I कृप  की बहन कृपि का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ I द्रोणाचार्य और कृपि से एक बहुत ही महान पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम अस्वस्थामा पड़ा I

युद्ध समाप्ति के बाद कृपाचार्य  पांडवों के पास वापस आ गए थे I  तदुपरांत उनके कूल गुरु बन गए थे I उन्होंने पांडवों के पौत्र और अभिमन्यु और उतरा के पुत्र परीक्षित को भी अस्त्र विद्या सिखाई थी I

कृत वर्मा- 

कृति वर्मा यादव वंश के थे I उन्हें एक अतिरथी योद्धा के श्रेणी में रखा जाता था I महाभारत  युद्ध में ये अपनी 1 अक्षौहिणी सेना लेकर कौरवो के तरफ से युद्ध लड़ने आये थे। कृत वर्मा कोई आम योद्धा नहीं बल्कि अति बलशाली  योद्धा  थे I अपने पराक्रम का उन्होंने अनेक बार प्रदर्शन किया था I महाभारत में उन्होंने भीमसेन युधिष्ठर और धृष्टद्युम्न जैसे शक्ति शाली योद्धाओं को अपने पराक्रम से पराजित किया था I
महाभारत के अंत में जब दुर्योधन सरोवर में जाकर छुप गया था,  तब कृत वर्मा ने सामने आकर युद्ध के लिए प्रोत्साहित किए थे I जब अस्वस्थामा ने  रात में छुप कर अनेक पाण्डव योद्धाओं का अनीति कर बद्ध कर दिया था।तब कृत वर्मा ने जान बचाकर भाग रहे सैनिकों का बद्ध कर दिया था। भले ही वह महाभारत युद्ध में जिवित बच्चे थे, किन्तु मौसल युद्ध में सात्विक ने कृत वर्मा का सिर धड़ से अलग कर दिया था।

अश्वत्थामा-

अश्वत्थामा महाभारत महाकाव्य का अत्यन्त दुर्लभ किरदार है I जिसके जिवित होने की आज भी चर्चा है I गुरु द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी कृपि ने ऋषिकेश के समीप तमसा नदी के तट पर एक दिव्य गुफ़ा में जिसमें तपेश्वर नामक शिव लिंग था उन्होंने  उसकी घोर तपस्या की थी।तब भगवान शिव ने स्वयं की शक्तियों के अंश से उन्हें एक शक्तिशाली पुत्र प्रदान किया था I

अश्वत्थामा के मस्तक पर एक मणि थी I जिसके प्रभाव से वह लंबे समय तक बिना थके  वह युद्ध कर सकता था I गुरु द्रोणाचार्य को अपने पुत्र की शक्तियों पर इतना भरोसा था कि उनके पुत्र को कभी कोई मार नहीं सकता I तभी तो, तभी तो जब अपने पुत्र की मृत्यु की बात सुने तो वह गंभीर शोक में पड़ गए और मौका पाकर धृष्टद्युम्न ने उनका गर्दन धड़ से अलग कर दिया I

जब सोये हुए निरपराध बच्चों की हत्या कर दी थी तब पाण्डव महाभारत के अनुसार अश्वत्थामा को पकड़ कर द्रौपदी के पास ले गए थे I  अश्वत्थामा को अपने पाप का एहसास था। उसे देखकर द्रौपदी का हृदय पिघल गया था I आर्यों य़ह ब्राह्मण पुत्र है I

इनकी हत्या करना महा पाप है I इनकी माता भी इनकी मृत्यु से मेरी तरह विलाप करेंगी I इनकी हत्या से मेरे पुत्र वापस नहीं आ सकतेl इसी लिए इन्हें मुक्त कर दीजिए I तब अश्वत्थामा के मस्तक से मणि निकाल कर और सिर से बाल काट कर मुक्त कर दिया गया I

Mahabharat Yuddh Ke Baad Jivit Bache Yoddha-

वृष केतु

वृषकेतु कर्ण का पुत्र था जो महाभारत युद्ध के बाद जिवित बचा था I वृषकेतु के 8(आठ) भाई थे I जिनका नाम वृष सेन, सत्य सेन ,चित्र सेन, सुषेन,प्रसेन, वनसेन, शत्रुन्जय और  द्विपाल। वृषकेतु को छोड़कर इन सभी की महाभारत मृत्यु हो गई थी I कथा के अनुसार कर्ण ने वृष केतु को अस्त्र शस्त्र  ज्ञान के साथ ब्रह्मास्त्र का भी ज्ञान दिया था I

महाभारत युद्ध के बाद कर्ण की पत्नी जिसका नाम वृशाली था कर्ण के चिता के साथ ही सती हो गई थी I तब तक पांडवों को पता चल चुका था कि कर्ण उनका बड़ा भाई था I तब उन्होंने वृष केतु को अपना पुत्र मानकर इंद्र प्रस्त का राज सौप दिया था I

शकुनी पुत्र विप्रचित्ति

मामा शकुनी के पत्नी का नाम आरुषि था I इनके तीन पुत्रों का वर्णन महा भारत में मिलता है , जिनका नाम

  • उलूक,
  • वृकासुर
  • विप्रचित्ति था l

विप्ररचित इनमें से सबसे छोटा था। वृकासुर का जन्म भी एक यज्ञ से हुआ था। वह भी खड़ग धारी बलशाली योद्धा था।

महाभारत युद्ध के 17 वें दिन नकुल और वृकासुर के बीच हुए युद्ध मे वृकासुर का अंत हो गया था। शकुनी पुत्र उलूक को महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले ही पान्डवो को धमकाने के लिए भेजा गया था। उसने पाण्डवों को दुर्योधन का अपमान भरा संदेश सुनाया था। तब अर्जुन उसे मारने चले थे। तब कृष्ण ने अर्जुन को यह कहकर रोक दिया कि संदेश वाहक का इसमें कोई गलती नहीं है।

वह तोअपने राजा का संदेश सुना रहा है। युद्ध के 18 वें दिन सहदेव के हाथों उसका बद्ध हुआ था। जब तक शकुनी जिन्दा था तब तक विप्रचित्ति  एक प्रधानमंत्री की तरह गंधार  राज्य को संचालित करता था। शकुनी और अपने समस्त भाइयो के मृत्यु के बाद इसे गंधार राज्य का राजा बना दिया गया था। इनके अलावा कौरव पक्ष से धृतराष्ट्र और गंधारी  भी जिवित बचे थे।

महाभारत युद्ध में जो  योद्धा पाण्डवों के पक्ष से लड़े थे और जिन्दा बच गए थे उनका नाम इस प्रकार है
  • युयुत्सु  सात्यकी,
  • श्री कृष्ण  पांचों पाण्डव,
  • श्री कृष्ण पुत्र प्रद्युम्न
  •  भीम पुत्र सार्गव।
महाभारत युद्ध में जो योद्धा कौरवो के तरफ से लड़े थे ,उसमें से आज दो योद्धा जिवित है जिनका नाम-
  • अश्वत्थामा
  •  कृपाचार्य।
  क्या यह आपको भी सत्य लगता है या मिथक। उम्मीद है आप सभी को य़ह संग्रह अच्छा लगेगा I
नमस्कार, साथियों मैं Krishnawati Kumari इस ब्लॉग की krishnaofficial.co.in की Founder & Writer हूं I मुझे नई चीजों को सीखना  अच्छा लगता है I आप सभी इसी तरह अपना प्यार और सहयोग बनाएं रखें I मैं इसी तरह की आपको रोचक और नई जानकारियां उपलब्ध करवाती रहूंगी |

 

FAQ

 

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  3. कैसे खतम हुआ कृष्ण सहित यदुवंश
  4. प्रभु बिटिया जनम न दिजो 
  5. दीवाना यार मेरा कविता                                                              धन्यवाद साथियों,
                                                       संगृहीत- कृष्णावती कुमारी ,
Note – य़ह सारी जानकारियां इन्टरनेट, पत्रिका और बुजुर्गों द्वारा संग्रह की गई है I
 

 

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