Janein Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah
Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah -मुकेश अंबानी 1981 में और अनिल अंबानी 1983 में रिलायंस के साथ जुड़े |दुर्भाग्यवश जुलाई 2002 में धीरु भाई अंबानी का देहांत हो गया |
उन्होंने वसीयत नहीं बनवाया था कि किसके हिस्से में क्या रहेगा |मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेरमैन बने और अनिल अंबानी डाइरेक्टर बने |अब प्रश्न उठता है कि दोनों को अच्छे पद मिल गए तो,Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah क्या हुई |
अब आपको बतादें कि सन 2004 में पहली बार आपस की लड़ाई घर से बाहर हुई | अखबारों में भारत के सबसे बड़े उद्योग पति के घर की बात छपने लगी |जिसके कारण उनकी माताजी कोकिलबेन काफी परेशान रहने लगी |कोकिलबेन का परेशान होना वाज़िब था |अपनी औलाद जब आंखो के सामने झगड़ती है, तो खासकर माँ बाप को बहुत तकलीफ होती है |
अब कोकिलाबेन ने यह सब देखते हुवे बीजिनेस का बंटवारा कर दिया |यह बंटवारा सन 2005 में हो गया था |लेकिन किसके हिस्से में क्या मिलेगा इसका फैसला सन 2006 तक चला| इस बँटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत को भी हस्त क्षेप करना पड़ा |
बंटवारे के बाद बढ़ता गया मुकेश अंबानी का साम्राज्य, जानें कैसे बड़े भाई से पिछड़ते गए अनिल अंबानी
आज की बात करें तो मुकेश अंबानी का नाम जहां ना सिर्फ भारत में ही है , बल्कि एशिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन्स में से एक हैं |आपको ज्ञात हो कि लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं और उनकी संपत्ति 16लाख करोड़ आंकी गई है।
वहीं दूसरी तरफ अनिल अंबानी आज खराब दौर से गुजर रहे हैं | उनकी संपत्ति घटकर सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर रह गई है। ऐसे में ये सवाल उठना स्वभाविक है, कि मुकेश अंबानी ने ऐसा क्या किया कि वह तेजी से ऊंचाईयों को छू रहे हैं।
वहीं अनिल अंबानी की स्थिति लगातार खराब होते जा रही है। इकॉनोमिक टाइम्स ने अपने एक लेख में दोनों भाईयों के करियर ग्राफ का एक विश्लेषण दिया है, जिसके आधार पर कुछ बातें निकलकर सामने आयी हैं।जिसका निम्नवत जानकारी हैं।
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मुकेश अंबानी की सफलता का कारण:Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah
अंबानी परिवार का जब बंटवारा हुआ, तो मुकेश अंबानी के हिस्से में रिलायंस इंडस्ट्री, जो कमाई का मुख्य पीलर, पेट्रोकेमिकल और ऑयल रिफाइनिंग का बिजनेस आया।
हालांकि, जिस वक्त मुकेश अंबानी के हिस्से में यह व्यवसाय आया, उस वक्त अन्तरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 60 बैरल प्रति डॉलर तक पहुंच चुकी थी। ऐसे में संसय थी, कि पेट्रोकेमिकल बिजनेस में मार्जिन घट सकता है।
लेकिन मुकेश अंबानी ने अपनी काबलियत और कड़ी मेहनत से पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी बिजनेस को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया।
जिसके कारण रिलायंस की कुल कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा आज भी पेट्रोकेमिकल के बिजनेस से आता है। अभी हाल ही में मुकेश अंबानी ने जियो के रुप में टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में भी इंटरी मारा और अपनी सूझ बुझ के दम पर यहां भी अपना झण्डा लहरा दिया है।
मुकेश अंबानी ने जियो में 34 बिलियन डॉलर का निवेश किया है और सिर्फ दो साल के समय में 2 करोड़ 70 लाख यूजर्स को अपने साथ जोड़ लिया है।मुकेश अंबानी ने भारत में इंटरनेट और मोबाइल फोन के बाजार को इतनी तेजी से बढ़ाया कि आज गाँव गाँव तक सभी इनके नाम को जानते है|
सभी के हाथ में मोबाइल है |इतना ही नहीं सरकार की कैशलेस इकॉनोमी की परिकल्पना को पंख लगा दिए हैं। अब मुकेश अंबानी ई-कॉमर्स बाजार पर भी अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं और जल्द ही इस दिशा में बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
अनिल अंबानी के मुश्किल में फंसने का कारण!:Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah
किसी ने सच ही कहा है,कि भाग्य जिसका अच्छा होता है वह व्यक्ति अगर मिट्टी भी छुवे तो, सोना हो जाता है और जिसका भाग्य खराब होता है वह सोना भी छुवे तो मिट्टी हो जाता है |
कुछ ऐसे ही भाग्य अनिल अंबानी का था | बंटवारे में अनिल अंबानी के हिस्से में रिलायंस कम्यूनिकेशन, रिलायंस पॉवर जैसी इंडस्ट्री आयी थीं। भारत जैसे उभरते और बड़े बाजार में कम्यूनिकेशन और पॉवर काफी संभावनाओँ वाली इंडस्ट्री मानी जाती है।
इसके बावजूद अनिल अंबानी उम्मीदों के अनुरुप इसका फायदा नहीं उठा सके। बता दें कि बंटवारे के वक्त दोनों भाईयों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों एक दूसरे के व्यवसायों में प्रतिद्वंदिता पेश नहीं करेंगे।
इसके चलते मुकेश अंबानी टेलीकम्यूनिकेशन के फील्ड से दूर ही रहे। लेकिन साल 2010 में बनी सहमति के बाद मुकेश अंबानी जियो के रुप में अब इस फील्ड में उतर आए हैं और उन्होंने देखा कि जब अनिल ने कुछ नहीं किया, तो यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए | इस बात की झलक दिखाई है कि कहीं ना कहीं अनिल अंबानी चूक गए।
Mukesh Anil Bich Kadvahat Ki Vajah
अनिल अंबानी को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब साल 2015 में रिलायंस की नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। दरअसल अनिल अंबानी की योजना भारतीय रक्षा क्षेत्र का बड़ा खिलाड़ी बनने की थी|
लेकिन रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयरों में 75 प्रतिशत की गिरावट से उनकी यह योजना को बड़ा झटका लगा।
अभी बीते दिनों भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल फाइटर जेट की डील में भी अनिल अंबानी की कंपनी को साझेदार बनाए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। जिससे अनिल अंबानी की मुश्किलों में इजाफा ही हुआ है।
अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस पॉवर के शेयर भी गिरे। विशेषज्ञों का मानना है कि अनिल अंबानी ने कर्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनी कई प्रॉपर्टी बेच दीं। इसका असर ये हुआ कि रिलायंस में शेयर धारकों का विश्वास डगमगा गया और इसका खामियाजा कंपनी को अपने शेयरों में गिरावट के रुप में भुगतना पड़ा।
इसे अनिल अंबानी की बदकिस्मती ही कहेंगे कि जब उनकी कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी थी, उसी वक्त कई बड़े लेनदार बैंकों का पैसा लेकर फरार हो गए।
जिसके चलते बैंकों ने अपने कर्ज के लिए कंपनियों पर दबाव बढ़ा दिया और उद्योगपतियों पर कर्ज चुकाने के लिए अपनी प्रॉपर्टी बेचने का दबाव बढ़ गया। इससे भी अनिल अंबानी की परेशानियों में इजाफा हुआ।
बहरहाल अनिल अंबानी संकट से उबरने के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं और रक्षा क्षेत्र के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को देखते हुए इस तरफ अपना ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। जो भी हो “कर्म प्रधान विश्व करी रखा” कर्म करते रहिए फल तो मिलना निश्चित है | अनिल भाई Best of luck. मैंने wish दिया है आप निश्चित ही आगे बढ़ेगे |
QNA:
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