Beta Ke Tilak Geet Bhojpuri| बेटा के तिलक गीत, लोक गीत ,पारंपरिक गीत
Beta Ke Tilak Geet Bhojpuri– हिंदुओं में विवाह संस्कार बेहद महत्वपूर्ण होता है |विबाह संस्कार के बाद लड़का – लड़की अपने अपने नए जीवन की शुरुवात करते हैं |इसे पाणिग्रहण संस्कार भी कहा जाता है | जिसमें वर-वधू दोनों के परिवार अपने – अपने रीति रिवाजों के अनुसार सभी रस्म करते हैं |
विवाह संस्कार में दो परिवारों के बीच संबंध होता है | यह दो लोगों के बीच एक सामाजिक व धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है |इस संबंध में मुख्य भूमिका लड़की के पिता और लड़के के पिता की होती है |
दोनों पक्ष के लोग मिलकर शुभ दिन, शुभ लग्न और मुहर्त में दिन निश्चित करते हैं |उस तिथि पर लड़का लड़की का मंगल गीत और विद्वान पंडितों द्वारा मंत्रोचारण के साथ विवाह सम्पन्न होता है | उस दिन के विवाह के समारोह को विवाह-उत्सव कहा जाता है |English में (Wedding/वेडिंग) कहा जाता है |
विवाह से पहले तिलोकोत्सव होता है |इसमें कन्या पक्ष से वर पक्ष के यहाँ तिलक जाता है| वर को कन्या का भाई तिलक का रश्म कर के मंगलगीत व मंत्रौच्चारण के साथ विधि करता है |आइये निम्नवत कुछ मंगल गीत से निम्नवत रूबरू हुआ जाय ….
1.आइल GST जमाना |Beta Ke Tilak Geet Bhojpuri
तर्ज- दो हंसों का जोड़ा बिछड़ गया रे …….
मुखड़ा -:
*आइल GST जमाना संभल जाई जी,
ना तिलक चाहीं समधी समझ जाईं जी |
आइल GST जमाना संभाल जाईं जी,
ना दहेज चाहीं समधी समझ जाईं जी |
अंतरा
*तिलक में नगदी लाईब कुछउ ना चाहीं,
बस 20 लाख रुपया आँगन में चढ़ाइब |
तिलक में नगदी लाइब, कुछउ न चाहीं,
बस 20 लाख रुपया आँगन में चढ़ायब |
चेक मति ले आइब लिफ़ाफ़ा चाहीं जी,
ना दहेज चाहीं समधी समझ जाईं जी |
आइल जीएसटी जमाना संभल जाईं जी ,
ना चाहीं दहेज समधी समझ जाईं जी |
ना दहेज चाहीं समधी ………………………….
* बर्तन में बटुला और बटुली ना चाही,
चाँदी के थाली बस पाँचे गो चाहीं |
पैकिंग पेपर से समधी पैक चाहीं,
ना तिलक चाहीं समधी समझ जाईं जी |
आइल GST जमाना संभल जाईं जी, ना चाहीं दहेज समधी समझ जाईं जी |
ना चाहीं दहेज समधी…………………………….
* साइकिल ना चाहीं,
मोटर साइकिल ना चाहीं |
बाबुवा के गिफ्ट में ,
बस चार चक्का चाहीं |
बस रउरा आईं, समाज सहित जी,
ना चाहीं दहेज समधी समझ जाईं जी |
आइल GST जमाना संभल जाईं जी,
ना दहेज समधी समझ जाईं जी |
ना चाहीं दहेज समधी …………………………
2. समा बा सुहानी, छाईल बा बाहर |Beta Ke Tilak Geet Bhojpuri
चढ़ी बाबुवा के तिलक सखी मंगल गाईं चार |
तर्ज- दिल का खिलौना हाय टूट गया……..
मुखड़ा -:
* समा बा सुहानी, छाईल बा बहार,
चढ़ी बाबुवा के तिलक, गाईं मंगल सखी चार |
अंतरा:-
*हाली आईं समधीजी लगन बीती जाई,
वेद पढ़ाईं रउरा मंत्र उचारी |
शुभ मुहूरत बीते बीते घड़ी चार
चढ़ी बाबुवा के तिलक
गाईं मंगल सखी चार …………..
समा बा सुहानी, छाईल बा बहार,
चढ़ी बाबुवा के तिलक, गाईं मंगल सखी चार ……
* सहित समाज पापा दुवरा पर बईठल,
आजन बाजन दुवारा पर पहिले साजल |
मोतियन जड़ल टेंट तानल बावे चार
चढ़ी बाबुवा के तिलक
सखी मंगल गाईं चार ……….
समा बा सुहानी, छाईल बा बहार,
चढ़ी बाबुवा के तिलक
सखी मंगल गाईं चार ………
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3.शुभ लगन बीतल जाला |Beta Ke Tilak Geet Bhojpuri
तर्ज-हम तो हैं छुई मुई
मुखड़ा:-
*शुभ लगन बीतल जाला
समधी रउरा तिलक चढ़ाईं जी |
चौका पर बईठल दूल्हा,कबे से बावे,
अब अगुताइल जी |
अंतरा:-
अपने त आईं रउरा समधिन के ले आईं ,
मिलन में पापजी से समधिन के मिलाईं |
अपने त आईं रउरा समधिन के ले आईं ,
मिलन में पापजी के समधिन के मिलाईं |
पूरा होई तिलक चढ़ाई ,
समधी राउरा तिलक चढ़ाईं जी ………
शुभ लगन बीतल जाला
समधी रउरा तिलक चढ़ाईं जी |
चौका पर बईठल दूल्हा,कबे से बावे,
अब अगुताइल जी |………..
* अपने त आई अपना भवे के ले आईं,
मिलन में चाचाजी से भवे के मिलाईं |
अपने त आई अपना भवे के ले आईं,
मिलन में चाचाजी से भवे के मिलाईं |
पूरा होई तिलक चढ़ाई,
समधी रउरा तिलक चढ़ाईं जी ………
शुभ लगन बीतल जाला
समधी रउरा तिलक चढ़ाईं जी |
चौका पर बईठल दूल्हा,कबे से बावे,
अब अगुताइल जी |………….
नोट – यह संस्कार गीत यदि आप के काम आये तो अपना प्यार बनाये रखे |
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