Bhojpuri Haldi Geet Lyrics | भोजपुरी हल्दी गीत लिरिक्स हिन्दी में
Bhojpuri Haldi Geet Lyrics – किसी भी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह,उपनयन संस्कार आदि में हल्दी कुटाई का प्रचलन है,इस आर्टिकल में bhojpuri Haldi Geet Lyrics हिन्दी में लिखित मिलेगा जो नीचे क्रमानुसार है :
हल्दी विधि :
खासकर उत्तर प्रदेश बिहार और मध्य प्रदेश में विवाह से पहले हल्दी कुटाई की रश्म होती है |जिसमें पाँच सुहागिन कन्या या वर के विवाह में हल्दी रश्म हल्दी कूट कर और कन्या व वर को पाँच बार पाँच मंगल गीत गाते हुए हल्दी लगातीं है| आपको बतादें कि हल्दी का महत्व इतना शुभ माना जाता हैं, कि कोई भी विवाह से संबन्धित किसी भी कार्य का प्रारम्भ हल्दी कूटने के बाद हीं होता है |इतना हीं नहीं कोई भी शुभ कार्य में हल्दी का सर्वोच स्थान होता है |
Bhojpuri Haldi Geet Lyrics
आज सुंदर बाबा अंगनावा:
1.मुखड़ा-आज सुंदर बाबा अंगानावा बड़ा सुहावन लागे,
सुंदर दुलहा के चढ़ेला हरदिया मन भावन लागे |
अंतरा- बाबा बेसहले हरदिया दादी पिसन लागे ,
सेहो हरदी दूल्हा के चढ़ाइबो बड़ा पवना लागे|
आज सुंदर बाबा अंगानावा बड़ा सुहावन लागे,
सुंदर दूल्हा के चढ़ेला हरदिया मन भवन लागे |……
चाचाजी बेसहनी हरदिया चाची पिसन लागे,
सेहो हरदी दूल्हा के चढ़इबो बड़ा पावन लागे|
आज सुंदर बाबा अंगानावा बड़ा सुहावन लागे,
सुंदर दूल्हा के चढ़ेला हरदिया मन भवन लागे |….
भैया बेसहलीं हरदिया भाभी पीसन लागे,
सेहो हरदी दूल्हा के चढ़ईबों बड़ा पावन लागे |
आज सुंदर बाबा अंगानावा बड़ा सुहावन लागे,
सुंदर दूल्हा के चढ़ेला हरदिया मन भवन लागे |…..
जीजाजी बेसहिले हरदिया दीदी पीसन लागे ,
सेहो हरदी दूल्हा के चढ़ाइबो बड़ा पावन लागे |
आज सुंदर बाबा अंगानावा बड़ा सुहावन लागे,
सुंदर दूल्हा के चढ़ेला हरदिया मन भवन लागे |
हल्दी ले आईले सुंदर पापा
- हरदी ले अइले सुंदर पापा हरदी पिसाइल हे,
उबटन लगवतारी अम्मा संघे पाँच सुहागिन हे |
गम गम गमके ली बबुनी हमार हो ,
चम चम चमकेली बडी सुकुमार हो |
हरदी चढ़ावेले सुंदर चाचा हरदी पिसाईल हों ,
उबटन लगावतारी चाची संघे पाँच सुहागिन हो |
हरदी चढ़ावेले सुंदर भैया रुपया लुटावेले हो ,
उबटन लगावतारी भाभी संघे पाँच सुहागीन हो |
हरदी चढ़ावेले कवन जीजा बगली छुपावेले हो ,
उबटन लगावतारी दीदी संघे पाँच सुहागिन हो |
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हमरो सुंदर पापा बड़ा सुकुमार हे
- मुखड़ा – हमरो सुंदर पापा बड़ा सुकुमार हे ,
कार चड़ी खोजेले हरदिया के गांठ हे|
हमरो कवनी अम्मा बड़ी सूकवार जी ,
पिसही ना जानेली हरदिया के गांठ जी |
हमरो कवन चाचा बड़ी सुकुमार जी ,
कार चढ़ी खोजिले हरदिया के गांठ जी |
हमरो कवन चाची बड़ी सुकुमार जी ,
पिसही न जनेली हरदिया के गांठ जी |
हमरो कवन भैया बड़ी सुकुमार जी,
कार चढ़ी खोजिले हरदिया के गांठ जी |
हमरो कवानी भाभी अति सुकुवारी जी ,
पिसहीन ना जनेली हरदिया के गाँ जी |
हाली आव नाऊनी हरदी सुखाव हे ,,
सेहो हरदी पीसीहे कवन दूल्हा के अम्मा हे |
पहिले हरदिया देवतन के चढ़ाईहे ,
दूसरे सुंदर दूल्हा के उबटन लागिजी |
पिस हो अम्मा धीरे धीरे हरदी के गांठ हो
4.पिसहो अम्मा धीरे धीरे हरदी के गांठ हो ,
पिसहो आमा धीरे धीरे ..
पहिले हरदिया अम्मा पंडित जी चढ़ावेले- 2,
पाहीले हरदिया पंडित जी चढ़ावेले |
पीछे से चढ़इह अम्मा पापा जी के साथ हो
पिसह हो आमा धीरे धीरे हरदी के गांठ हो ….|
पहिले हरदिया पंडित जी चढाइले -2
पीछे से चढ़इह चाची चाचाजी के साथ हो
पिसा हो चाची धीरे धीरे हरदी के गांठ हो ,
पिसा हो चाची धीरे धीरे |
पहिले हरदिया भैया पंडित चढ़इहें -2,
पीछे से चढ़इह भाभी भैया के साथ हो |
पिसहो भाभी धीरे धीरे हरदी के गांठ हो
पीस हो भाभी धीरे धीरे …….|
पहिले हरदिया पंडितजी चढ़ाईले -2,
पीछे से चढ़इह दीदी जीजा जी के साथ हो |
पिसा हो दीदी धीरे धीरे हरदी के गांठ हो
पीस हो दीदी धीरे धीरे …….|
- खुशियों की छाई है बहार बनो तेरी हाल्दी में-2
आया है सब परिवार बनो तेरी हल्दी में
खुशियों की छाई है बहार बनो तेरी हल्दी में |
-पहिले हरदी दादाजी मोलाएँ ,
पीसी के दादी गणपति को चढ़ावें |
पूर्ण होवे सब काज बनो तेरी हल्दी में …
खुशियों की छाई है बहार बनो तेरी हल्दी में |
दूसरी हल्दी पापाजी मोलावें ,
पीसीके अम्मा लक्ष्मी जी को चढ़ावे |
भर गयो सब भंडार ,बनो तेरी हल्दी में ,
खुशियों की छाई है बहार
बनो तेरी हरदी में ……
तीसरी हल्दी चाचा जी मोलावें ,
पीसी के चाची सीता मैया को चढ़ावें |
मिल गयो धर्म संस्कार ,बनो तेरी हल्दी में ,
छाई है खुसियों की बहार बनो तेरी हल्दी में ……|
चौथी हल्दी भैया मोलावें ,
पीसीके भाभी गौरा मैया को चढ़ावें
हो गयो अमर सुहाग बनो तेरी हल्दी में
छाई है खुशियों की बाहर ,
बनो तेरी हल्दी में …………|
FAQ:
Q-शादी में तिलक क्या होता है?
ANS-कन्या के पिता कुछ अपने साथियों के साथ वर के घर जाते हैं। वहां वे शुभ मुहूर्त में घर के लिए आवश्यक समान के साथ वर के घर जाते है और पूरे समाज के सामने विधि विधान से मंत्रोउच्चारण के साथ तिलक की विधि होती है | तत्पश्चात वर पक्ष से निश्चित तिथि को बाजे-गाजे के साथ बारात जाती है और वर- कन्या का विवाह सम्पन्न हो जाता है |
Q-विवाह संस्कार में कौन कौन से कर्मकांड किया जाता है ?
ANS-(१) आसन (२) पाद्य (३) अघ्यर् (४) आचमन (५) नैवेद्य आदि पंडित जी द्वारा मन्त्रोंउच्चारण के साथ समर्पित किया जाता है । वर पक्ष का सत्कार किया जाता है। गृहस्थाश्रम में वर और कन्या दोनों के प्रवेश का महत्त्व सवोर्परि होता है। वर कन्या दोनों पक्ष अपने सभी परिजनों के समक्ष मंडप में सात जन्मों तक एक दूसरे के साथ रहने का वचन लेते है |इस प्रकार विवाह सम्पन्न होता है |
Q-शादी में गठबंधन कौन करता है?
ANS-विवाह के सामी पाणिग्रहण का रस्म होता है| उसके बाद वर के चादर( गमछा ) और कन्या के दुपट्टे या साड़ी के कोने को नाउ बांधता है , जिसे गठबंधन कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि यह गठबंधन वर व कन्या दोनों के शरीर और मन को आपस में बांधने का प्रतीक माना जाता है।