- Advertisement -
HomekavitaKinar Society Should Not Rebuilt किन्नर समाज का पुनर्निर्माण न हो 

Kinar Society Should Not Rebuilt किन्नर समाज का पुनर्निर्माण न हो 

Kinar Society Should Not Rebuilt|किन्नर समाज का पुनर्निर्माण न हो

Kinar Society Should Not Rebuilt- आज इंसान चाँद पर पहुँच गया है |हम सभी एक्कीशवी शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं |परंतु इंसान को इंसान खुद ही आपस में एक समूह बनाकर एक नाम के साथ बाँट दिया है |

इसी संदर्भ में आज मैं आप सभी के सामने अपनी व्यथा और मांग को लेकर उपस्थित हुई हूँ|जिसे मैंने कुछ पंक्तियों में अपने भावों को कविता का रूप दिया है, आप पढ़कर अपनी सुझाव जरू दें |अब निम्नवत कविता जो इस प्रकार है :- 

Kinar Society Should Not Rebuilt

किन्नर समाज का पुनर्निर्माण न हो

चाहें जन्में बेटा बेटी ,चाहें जन्में किन्नर |
तजेगी कोई माँ ना अबसे,ना कोई कहेगा किन्नर ||
धिक्कार है, हे प्रभु उस ममता को ,जिसने रखा नौ मास सहेज ,
फलभर में सामज की खातिर, दियो अंजान संघ भेज ||

दर दर की ठोकर खाने को ,छोड़ दिया मुह मोड़,
नाते रिस्ता ताख पर रखके ,ममता हुई कठोर ||
क्या? मोहे तजते हिया फटो नहीं ,मैया कुछ तो बोलो… |
दोषी तुम हो या मैं हूँ…,कुछ तो मुह खोलो ||

मैया बोली.. क्या बोलू मैं… इस समाज के आगे |
रोती, बिलखती, चीखती रही, गोद से छिन ले भागे ||
अब मैं होने दूँगी न ऐसा ,बंद नैन गयो खुल |
तेरी रक्षा करूंगी लल्ला, कभी ना होगी भूल ||

अब,कोई समाज तेरा ना होगा ,नहीं होगा अपमान |
मेरे कूल की मर्यादा तू,अधिकार है तेरा समान ||
मायें सभी एक लें  संकल्प ,कदम से कदम मिलाएँ |
ऐसी भावना जागृत हो जहां,सिर्फ मानव समाज कहलाए ||

 

यह भी पढ़ें :

Kinar Society Should Not Rebuilt

आज मैं एक लेखिका की कविता को फेस बूक पर पढ़ रही थी | शीर्शक था किन्नर किन्नर शब्द मेरे हृदय को बेधता है… |मुझे पता नहीं क्यों… ? मेरे दिल में सदैव एक प्रश्न उठता है, कि  इस किन्नर समाज को  यदि हम सभी महिलाएं चाहे तो समाप्त कर सकते हैं |

इसमें हम सभी महिला पुरुष का सहयोग हो तो ये काम बहुत हीं सरल हो जाएगा |आप सभी से हाथ जोड़ कर आग्रह है कि अपनी संतान को इस तरह समाज के डर से दर- बदर भटकने ना दे….. |

ईश्वर का निरादर ना करें |इनका जन्म जिस घर में होता है, ऐसा माना जाता है कि वह साक्षात शंकर भगवान का रूप है |उस घर में भगवान शंकर का  वास होता हैं |अरे, जब भगवान खुद अर्ध नारीश्वर का रूप धारण किए , उस रूप कि हम पुजा करते हैं गुणगान गाते है , तो हम कौन होते है इनको अपने से अलग करने वाले |

आज एक माँ अपने हृदय कि वेदना को आप सभी से साझा कर रही है |सभी माओं को आमंत्रित कर रही है कि,कोई भी माँ ऐसा नहीं करें |अपनी औलाद को अपने से अलग ना करें | यात्रा करते ये जब कहीं दिखते हैं तो मेरा हृदय छलनी हो जाता है |

भगवान से एक ही प्रार्थना करती हूँ कि इनके माता-पिता को भगवान सद्बुद्धि दे | ताकि वो अपने पास बुला ले और फिर इस समाज का पुनरावृति न हो |जब हम अपने अंश को अपने से अलग नहीं करेंगे ,तो भल्ला किसमें  दम कि वो हमसे छिन ले |अंत में किन्नर समाज का निर्माण के  जिम्मेदार हम सभी हैं | इस समाज का पुनर्निर्माण न हो हम सभी इस पहलू पर कार्य करें |

आओ एक संकल्प लेते हैं >

हम अपने अंश को, किसी भी परिस्थिति में,अपने से दूर नहीं करेंगे, समान  अधिकार देंगे, साथ साथ लालन पालन करेंगे ,उच्च शिक्षा देंगे , उसे सबल बनाएंगे , और उसके हित में सदैव खड़े रहेंगे ताकि ऐसे समाज का पुनर्निर्माण न हो |

नोट -खुद  बदलो, समाज स्वयं बदल जाएगा |माताएँ आप खुद आंगे आयें |किन्नर शब्द का बहिष्कार करें|हमारा अंश, हमारी ज़िम्मेदारी , मैं किसी को नहीं दूँगी, इस नन्ही सी जान की क्या दोष , अपने संतान को, मैं उसकी रक्षा करूंगी |ये मेरा संकल्प है |

जय हिन्द, जय भारत, जय माताएँ

FAQ:

 

 

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

604FansLike
2,458FollowersFollow
133,000SubscribersSubscribe

Must Read

- Advertisement -

Related Blogs

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here