Jab Antar man Mein Dwand Chale |जब अन्तरमन में द्वन्द चले कविता
Jab Antar man Mein Dwand Chale – इंसान जब दुविधा में होता है तब कोई न कोई गलत निर्णय जरूर लेता है |इस कविता मे उन्हीं परिस्थितियों का वर्णन किया गया है | साथियों जब भी आपके मन में दुविधा हो तो हमारी इस कविता को जरूर पढ़ें|
आपके मन का संसय दूर करने में यदि थोड़ी भी सहायता मिली तो मुझे बहुत खुशी होगी |आप सभी का प्यार और आशीर्वाद अपेक्षित है |आइये इस कविता का आनंद कुछ पंकियों में निम्नवत लिया जाय|
अन्तर्मन में संघर्ष:
Jab antar man mein dwand chale
Tab koi nirnay mat lena
Kuchh chhodo niyati ke aage
Kuchh mukhiya upar taj Dena
Yah kalyug hai,
Yahan riston ka koi mole nhi.
Jab bhai bhai par tute
Tab dekh ganwar maze lute
Ab put kaput na koi kahe
Yha bap hi apna rang badle
Mata bhi rup kai badle
Sab riste Nate takh dharen
Jinka ho hath bada jag men
Sab gir pade unke pag men.
Sab mithya ke sang dhawawat hain.
Jab Sach ki bari aawat hai
Tab nain feri sab bhagat hain.
Dhanyavad pathakon ,
Rachna…. KRISHNAWATI KUMARI
हिन्दी में कविता जब अन्तर मन में द्वन्द चले:
जब अन्तर मन में द्वन्द चले
तब कोई निर्णय मत लेना
,कुछ छोड़ो नियति के आगे
कुछ मुखिया उपर तज देना
यह कलियुग है यहाँ
रिस्तों का कोई मोल नहीं,
जब भाई भाई पर टूटे तब
देख गवाँर मजे लुटे
अब पूत कपूत कोई ना कहे
यहाँ बाप भी अपना रंग बदले,
माता भी रुप कई बदलें
सब रिस्ते नाते ताख धरे
जिनका हो हाथ बडा़ जग में
सब गिर पड़े उनके पग में
सब मित्थया के संग धावत है
तब नैन फेरी सब भागत है
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