Preet Hai Ajab Nirali |प्रीत है अजब निराली
Preet Hai Ajab Nirali– इस कविता में हम जानेंगे एक प्रेमी प्रेमिका के दिल का हाल प्रेम प्रसंग में दिल का हाल कैसा होता है | चाहें वह प्रीत भगवान से हो ,माता पिता से हो, मित्र से हो औलाद से हो |प्रेम में दर्द कृष्ण ने भी सहा ,मीरा ने भी सहा ,राधा ने भी सहा ,गोपियों ने भी सहा ,अनन्य भक्तों ने सहा |
पर आग बराबर की लगी |जब कृष्ण भगवान गोपियों को छोड़कार देवकी जी के पास आ गए थे और अपने शयनकक्ष में आराम कर रहे थे |तभी शयनकक्ष में अचानक उद्धव जी पहुँच गए …..| उद्धव जी ने देखा की कृष्ण जी रो रहे हैं …. |
उद्धवजी ने पूछा : कन्हा- तुम रो रहे हो !! कृष्ण ने कहा: हाँ! मुझे नन्द बाबा, यशोदा मैया, राधे, गइयां,सखा और गोपियों की बहुत याद आ रही है …!! यह है प्रेम जिससे भगवान भी अछूते नहीं रहे | उस मनः स्थिति का वर्णन किया गया है | आइये निमन्वत इस कविता का आनंद लेते हैं |आप सभी का प्यार और आशीर्वाद अपेक्षित है |
कविता
जब प्रीत की लत लग जाती है
दिन रैन चैन नहीं आती है।
हियरा में आग लगाती है।
रैना निंदिया नहीं आती है।
जिया धड़क धड़क
जिया तड़प तड़प
रहिया में नैन बिछाये हैं।
आवन की आश लगाये हैं।
चाहे प्रीत मीत के संग में हो।
चाहें प्रीत पिया के रंग में हो ।
बड़ी प्यारी है ओ दुलारी हैं।
महके जैसे फुलवारी हैं।
रंग ऐसा है जहां चढ़ जाये।
उस पर दूजा ना रंग भाये।
प्रीत पावन है मन भावन है।
प्यासे की प्रयास बुझावन है।
बन्द आंखों में मुझे रहने दो।
श्रींगार प्रीत का करने दो।
कोई रोको ना कोई टोको ना।
प्रीत जी भरके मुझे जीने दो।
शिक्षा- इस कविता में व्यक्ति के आजादी का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति आजाद रहना चाहता है। जिससे भी प्रेम हो समर्पित होकर उसके साथ इन्सान जीना चाहता है।
धन्यवाद दोस्तों
रचना- कृष्णावती
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