Main Bharat Maa hun|मैं भारत माँ हूँ
Main Bharat Maa hun-रोज की तरह बेटी अपनी सेवा देकर दफ्तर से लौट रही थी | उस स्थान के लिए जहां अपनी दो पहिया वहाँ प्रति दिन रखा करती थी |लेकिन उसे क्या पता की कुछ हैवान उसके जिस्म को नोचने के लिए घाट लगाए बैठे हैं |बेटी के वाहन की पहिया से हवा निकाल दिया |
दरिंदों ने सहायता के लिए दाही बनकर सामने आ गए |लेकिन कहते है न जब काम बिगड़ना होता है, तो मति मारी जाती है और हुआ भी वहीं | छल से हैवानियत ऐसे सिर चड़ी की दरिन्दों ने नोच नोच कर बिटिया को खाया और अंत में जलाकर मार डाला |ऐसे लोगों के लिए ऐसी सजा का प्रावधान होना चाहिए कि कोई इस तरह के जघन्य अपराध करने की हिमाकत ना करें |
लेकिन जहां बलात्कारियों को सजा के नाम पर छोड़ दिया जात है |जहां कुछ ऐसे पुरुष बी हैं जो उच्च पद पर आसीन होते हुए हंस कर टाल देते है |वैसे लोगों से क्या उमीद कि जा सकती | आगे की जो घटना है उसे कविता में मैंने लिखा आप इसे जरूर पढ़ें जो नीचे है |
मैं भारत मा हूं
वर्षों से बेटियां
दरिंंदो के हाथों बलि चढ़ रहीं थीं,
आज दारिंदे बलि चढ़े
आज मैं खुश हुई।
वर्षों से करोड़ों बेटे मौन थे।
आज कुछ बेटे आगे आए,
बेटे होने का फर्ज निभाया
भाई होने का फर्ज अदा किया
राखी का कर्ज चुकाया
आज मै खुश हुई ।
बड़ा दर्द था सीने में
जब जब अस्मद लूटा गया,
असहाय अपने ही गोद में,
देखती रहीं, कब कौन बेटा,
आगे आएगा और मेरी,बेटियों को बचायेगा,
क्या करती?
हाथ पैर तो है नहीं।
आज हैदराबादी बेटों ने,
दूध का कर्ज चुकाया,
मै खुश हुई।
बेटों, बस इतनी विनती,
कभी, किसी बेटी का अस्मद
कोई लूट ना पाए,
कभी कोई आंखे,
बेटियों को घुर ना पाए,
ऐसी सजा तय कर दो,
ताकि कभी दरिंदगी,
पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए।
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धन्यवाद पाठकों
रचना_कृष्णावती कुमारी
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