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वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है ?

वसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है |When do you celebrate vasant panchami

वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है – ऐसे  तो भारत  त्योहारों का देश है I विश्व के किसी भी देश में इतने त्योहार और उत्सव नहीं मनाए जाते है l इसी कड़ी में भारत देश का  वसंतपंचमी एक प्रमुख त्योहार  है जो वसंत ऋतु में  मनाया जाता है I

यह हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है I  वसंत पंचमी को “श्रीपंचमी” भी कहा जाता है I ऋतुराज वसंत, सभी ऋतुओ में श्रेष्ठ हैं यानि की अन्य पांच ऋतुएं हैं-वर्षा,ग्रीष्म, शरद,शिशिर, एवं हेमंत। इसीलिए इन्हें सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इसका समय ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रैल तक और  हिन्दू कैलंडर के अनुसार फाल्गुन से चैत्र मास तक होता है I

हिंदी मास के अनुसार वसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष यानि जब चांद प्रकाशित होने लगता है, उसी पक्ष में पांचवें दिन मनाया जाता है I इस दिन हिन्दू समाज के लोग  विद्या की देवी सरस्वती माँ की पूजा श्रद्धा भक्ति से करते हैं Iलगभग भारत के एक तिहाई राज्यों में सरस्वती जी की पूजा की जाती है।

इसी दिन से वसंत का आगमन होता है I इस दिन वसंत ऋतु का स्वागत बड़ी धूमधाम धाम से किया जाता है I इस ऋतु में वातावरण का तापमान समान्य बना रहता है I इस ऋतु में प्रकृति अपनी सुंदरता से सबका मन मोह लेती है I चारों तरफ फ़ूलों से सजी धरती दुल्हन सी लगती है l

“कहीं पियर सरसों, कहीं तीसी की बैंगनी,  कहीं गेहूं की बालीl खिले फूलों से सुन्दर बगिया लहरे खेतों में हरियाली। “

 वसंत पंचमी क्यों मनाया जाता हैं ?

‘ऋग्वेद’ में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहाः गया है कि-

“प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवति धीनामणित्रयवतु”

अर्थात यह परम चेतना हैं I सरस्वती माता के रूप में यह हमारी बुद्धि विवेक की संरक्षिका हैं। ग्यानदायिनी माँ सरस्वती हमारे विवेक बुद्धि कौशल की आधर हैं I पुराणों के अनुसार जब श्री कृष्ण जी सरस्वती जी से प्रसन्न हुए थे तो उन्हें वरदान दिए कि, हे देवी, वसंत पंचमी के दिन वीणा पाणि के रूप मे, आपकी अराधना होगी। तभी से हमारे देश में सरस्वती माँ की पूजा होती है।

वसंत पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है ?

उपनिषदों की कथा के अनुसार,  शंकर जी के आदेश पर ब्राह्मजी ने सृष्टि में मनुष्यों, के साथ अन्य जीवों  की रचना की I परंतु अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे I उनको अपनी रचना में कुछ कमी लगी, जैसे कि उनकी रचना मौन थी I तब उन्होंने शंकर जी से अपने मन की बात यानि अपनी रचना की उदासी बतायी I शंकर जी ने इस निवारण के लिए विष्णु जी की स्तुति की I

विष्णु जी प्रकट हुए और उनसे समस्या की चर्चा की गई I यह सब सुनकर विष्णुजी ने आदिशक्ति दुर्गा जी का  आव्हान किया और माता तत्क्षण प्रकट हुई I ब्रम्हा जी और विष्णु जी ने इस संकट का निवारण करने का निवेदन किया I माता के शरीर से उसी क्षण एक स्वेत तेज उत्पन्न हुआ I

जिससे चारों भुजाओं वाली एक हाथ में माला, दूसरे में वीणा तीसरे में वर मुद्रा, और चौथे हाथ में, पुस्तक धारण किए स्वेत हंस पर विराजमान अति सुन्दर स्त्री प्रकट हुई और यहीं सरस्वती देवी के नाम से जानी जाएंगी I सभी देवी-देवताओं के देखते ही देखते आदि शक्ति दुर्गा माँ अंतर्ध्यान हो गईं I

उसके बाद सभी देवता गण सृष्टि की रचना में संलग्न हो गए I माता सरस्वती के वीणा से संगीत की उत्पत्ति हुई। इसीलिए इन्हें संगीत की देवी कहा जाता है I वसंत पंचमी के दिन को इनके प्रकोटत्सव के रुप मे भी मनाया जाता है। संगीत की बात हो और संगीत ना हो,ऐसा हो ही नहीं सकता I तो आइये सरस्वती जी की आराधना में एक सुन्दर सा भजन का आनंद लिया जाय I उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा I

                      सरस्वती  वंदना

                             स्थाई

माँ तुम्हारी वंदना में आज अर्पण क्या करें हम I

माँ तुम्हारी वंदना आज अर्पण क्या करें हम I

 

अंतरा

हम अकिंचन हैं हमें तुम ग्यान का मधु ठोर दोI

जिंदगी में है अंधेरा ज्ञान का हमे भोर दो I

आसरा बस है तुम्हारा 2 लो शरण में आ गए हम I

माँ तुम्हारी वंदना………………

 

बुद्धि दात्री विद्या दायिनी कृपा करो हे दयामयी।

प्रकट पुण्य  प्रबल हो कविता ऐसी दान दें दयामयी।

ध्रुव बनूँ प्रहलाद बनूँ मैं ऐसी मनोकामना करें हम I

माँ  तुम्हारी वंदना… ……………….I

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वसंत पंचमी कैसे और कब मानते हैं
Krishnawati Kumari

नमस्कार, साथियों मैं Krishnawati Kumari इस ब्लॉग की krishnaofficial.co.in की Founder & Writer हूं I मुझे नई चीजों को सीखना  अच्छा लगता है और जितना आता है आप सभी तक पहुंचाना अच्छा लगता है I आप सभी इसी तरह अपना प्यार और सहयोग बनाएं रखें I मैं इसी तरह की आपको रोचक और नई जानकारियां पहुंचाते रहूंगी I

धन्यवाद साथियों

रचना- कृष्णावती कुमारी

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