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Melodious Holi Geet Lyrics |होली गीत लिरिक्स हिन्दी में

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Melodious Holi Geet Lyrics | होली गीत के लिरिक्स हिन्दी में 

Melodious Holi Geet Lyrics -इस पोस्ट में आपको मिट्टी से जुड़ी होली गीतो का बेहतरीन कलेक्शन Hindi में लिखित रूप में निम्नवत मिलेगा, जो क्रमानुसार है |

सबसे पहले हम जानेंगे होली  के कुछ महत्वपूर्ण पहलू :

होली भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक है जिसे बड़े हीं धूम धाम से  हिन्दू लोग मानते हैं |इस त्यौहार को  विश्व के जिस भी कोने में हिन्दू भारत वासी हैं, बड़े ही धूम धाम से मानते हैं |

होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है |यानि की होली जलायी जाती है | दूसरे दिन लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर गुलाल, धूल मिट्टी , कादो इत्यादि डालते हैं और खुशियाँ मानते हैं |इस दिन ढ़ोल मंजीरा बजाकर घर घर जाकर होली के गीत गाते नाचते  और कई तरह के व्यंजन एक दूसरे के घर खाते हैं | इस दिन सभी अपने वैर भाव भूल कर एक दूसरे से गले मिलते है |

आइये हम सभी इस होली गीतों के लिरिक्स का आनंद उठाएँ

 होली गीत|Melodious Holi Geet Lyrics 

1.मुखड़ा

खेले मसाने में होली दिगंबर, खेलें मसाने में होली,

खेलें मसाने में होली दिगंबर |

खेले मसाने में होली दिगंबर, खेलें मसाने में होली,

खेलें मसाने में होली दिगंबर |

 

अंतरा – लगे सुंदर फागुनी छटाके

लगे सुंदर फागुनी छटाके

मन से रंग गुलाल हटाके

चीता भस्म की झोरी

दिगंबर खेले मसाने में होरी

 

गोप न गोपी शाम ना राधा

ना कोई रोक ना कवनों बाधा

ना साजन ना गोरी हो sss

ना साजन न गोरी दिगंबर खेले मसाने में होरी

खेले मसाने में होरी दिगंबर

खेलें मसाने में होरी

 

भूत नाथ की मंगल होरी

देखते हाय ब्रज की छोरी

धन धन नाथ अघोरी हो sss

धन धन नाथ अघोरी दिगंबर

खेले मसाने में होरी |

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Melodious Holi Geet Lyrics | चुनिन्दा होली गीत 

2.मुखड़ा 

कौने रंग मूंगवा कवने हो रंग मोतिया

कवने हो रंग मोतिया ना ना ननद तोरे भैया

आरे कौने हो रंगवा ना ना

 

अंतरा-

लाली तोहरे मूंगवा हो सबुज रंग मोतिया

आरे साबुज रंग मोतिया ना ना

ननदो तोरे भैया आरे श्याम रंग ना

ननदो तोहरे भैया |

 

कहा शोभे मूंगवा कहाँ रे शोभे मोतिया

कहाँ रे शोभे ना ननदो तोहरे भैया

आरे कहाँ रे शोभे ना |

गले रे शोभे मोतिया अंगुठी शोभे मोतिया

अंगुठी शोभे मूंगवा

अरे सेजिया हो शोभे ना ना

सेजिया हो शोभे ना ननदो तोर भैया

आरे सेजिया हो सोभे ना |

 

3.मुखड़ा 

होरी खेले नंदलाल ब्रिज में धूम मचाई

गोपियाँ के संग ग्वाल ब्रिज में धूम मचाई

 

अंतरा –

इत से आए कुँवर कनहाई

कुँवर कनहाई हो कुँवर कनहाई

उत से राधा बाल ब्रिज में धूम मचाई

होरी खेले नंदलाल ब्रिज में धूम मचाई

 

सब सखियाँ मिली घेर लई शाम को

सब सखियाँ मिल घिर लई शयम को

मुख  पे मले गुलाल ब्रिज में धूम मचाई

होरी खेले नंदलाल ब्रिज में धूम मचाई |

 

हाथ में श्याम ने ली पिचकारी

ली पिचकारी हो ली पिचकारी

कर दिया चुनर लाल ब्रिज में धूम मचाई

होरी खेले नंदलाल ब्रिज में धूम मचाई

NOTE: इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हुई |

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FAQ

Q- होली क्यों मनाई जाती है ?

ANS-हिरण्यकश्यप का अत्याचार अपने पुत्र प्रह्लाद के प्रति इस कदर बढ़ा कि अपनी बहन होलिका (Holika) को अग्नि में बैठने के लिए कहा ;होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से उनका भक्त प्रह्लाद बच जाता है और होलिका जलकर भस्म हो जाती है| ये घटना फाल्गुन पूर्णिमा के दिन हुई थी.|मान्यता है कि तभी से होलिकोत्सव मनाया जाता आ रहा है और तभी से होली से पहले होलिका दहन किया जाने लगा |

Q- होलिका कौन से जाति की थीं ?

ANहोलिका हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकसिपु नामक दैत्यों की बहन और कश्यप ऋषि और दिति की कन्या थी। जिसका जन्म जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था। होलिका राक्षसी भक्त प्रहलाद की बुआ थी।

Q- होली के रंगों का क्या मतलब है ?

ANS- लाल प्यार और उर्वरता का प्रतीक है; पीला हल्दी का रंग है, जो भारत का मूल पाउडर है और इसका उपयोग प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है; नीला हिंदू भगवान कृष्ण का प्रतिनिधित्व करता है; और हरा रंग नई शुरुआत के लिए है

 

 

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