Mahavir Jayanti Kya Hai | महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है
Mahavir Jayanti Kya Hai- कहा जाता है कि भगवान महावीर करीब 599 ईशा पूर्व बिहार के कुंडलपुर के राज घराने में जन्म लिए थे |इनका बचपन का नाम वर्धमान था |30 साल की उम्र में इन्होंने राजपाट त्याग कर सन्यास धारण कर लिया था और अध्यात्म की राह पर चल दिये थे |
महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है |Mahavir Jayanti Kya Hai
प्रति वर्ष चैत मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है |इस दिन जैन धर्म के लोग 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मानते है |कहा जाता है की भगवान महावीर करीब 599 ईशा पूर्व बिहार के कुंडल पुर के राजा घराने में जन्म लिए थे |
इनका बचपन का नाम वर्धमान था | बचपन से ही वे बड़े निर्भीक थे | इनके माता पिता जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जो महावीर जो महावीर से 250 वर्ष पूर्व हुए थे |उनके अनुयाई थे |
आठ वर्ष की उम्र से ही इनको पढ़ना, शिक्षा धनुष आदि चलना सीखने के लिए शिल्प शाला में भेजा गया | 28 वर्ष के उम्र में इनके माता पिता का देहांत हो गया |दो वर्ष तक अपने बड़े भाई के साथ घर पर रहे | 30 साल की उम्र में इन्होंने राजपाट त्याग कर सन्यास धरण कर लिया था और अध्यात्म की राह पर चल दिये थे|
जैन धर्म के अनुवाइयों का मानना है की भगवान महावीर 12 वर्ष की कठोर मौन तप के बाद उन्होंने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त किया और उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ | सहशीलता निडर और अहिंसक होने के कारण उनका नाम महावीर पड़ा |
भगवान महावीर की 72 साल की उम्र में ईशा पूर्व 527 में पवापुरी जो कि अब बिहार में है |उन्हें कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मोक्ष की प्राप्ति हुई |महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभात फेरी अनुष्ठान शोभायात्रा निकालते हैं और फिर महावीर जीके मूर्ति का सोने और चांदी का जलाभिषेक किया जाता हैं |
महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है |Mahavir Jayanti Kya Hai
इस दौरान जैन संप्रदाय के गुरु भगवान महावीर के द्वारा दिये गए उपदेश बताते है और उनपर चलने की सीख देते हैं |राज घराने की विलासिता को छोडकर अध्यात्म की राह अपनाने वाले महावीर स्वामी ने जीवन भर सम्पूर्ण मानव जाति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम किया|
लोगों को अर्ध मागधी भाषा में उपदेश देने लगे |उनका प्रवचन सरल भाषा में होता था |ताकि सभी लोग उनका उपदेश समझ सकें | भगवान महावीर के प्रवचनों में सदैव प्रेम, त्याग, करुणा, शील दया की भावना का जिक्र होता था|
भगवान महावीर ने श्रामण और श्रामणी,श्रावक और श्राविका सबको लेकर चतुर्विध संघ की स्थापना की | देश के भिन्न-भिन्न भागों में घूम-घूम कर भगवान महावीर ने अपना पवित्र संदेश फैलाया |
महावीर स्वामी ने पाच प्रमुख सिधान्त बताए थे |जिन्हें पंचशील सिधान्त कहा गया |पंचशील सिधान्त के नाम : सत्य ,अहिंसा,चोरी ,अपरिग्रह (यानि विषय व वस्तुओं के प्रति लगाव न होना ),ब्रह्मचर्य का पालन करना |
आपको बतादें कि जो व्यक्ति इन पांचों सिद्धांतों का पालन करता है ,वह मोक्ष को प्राप्त करता है |भगवान महावीर के दिये हुए उपदेशों का पालन करते हुए आज जैन धर्म के लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से पालन करते हैं और भगवान महावीर के जयंती को धूम धाम से मनाते हैं |
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भगवान महावीर की संक्षिप्त जीवनी:Mahavir Jayanti Kya Hai
नाम | वर्धमान |
पिता का नाम | सिद्धार्थ |
माता का नाम | त्रिशला |
जन्म दिन | चैत मास शुक्ल पक्ष त्रेयोदशी |
बड़े भाई का नाम | नंदिवर्धन |
बहन का नाम | सुदर्शना था |
जन्म स्थान | बिहार के वैशाली गणराजय के कुंडलपुर राजघराना |