How To Be Happy In Life | ख़ुशी आती कहाँ से है
How To Be Happy In Life – जब आप बड़ी कामयाबी पाने के लिए तेज रफ़्तार में काम करना शुरू करते हैं ,तब जान लें कि आप खुशियों के छोटे छोटे स्टेशनों पर बिना रुके चले जाते हैं |द्वारा – रिचर्ड कैरिसन
ख़ुशी आती कहाँ से है और जाती कहाँ से है ,इस बारे में अनेकों मनोवैज्ञानिकों व समाज- शास्त्रियों ने लम्बा शोध किया है |वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ख़ुशी जहाँ से आती है वहीँ चली जाती है |
फ़िक्र,उलझन ,परेशानियाँ- इन सब बातों से हमारा मूड ख़राब हो जाता है, खुशियां गायब हो जाती हैं |पर यह नहीं कहा जा सकता हैं, कि मुड किस वजह से कब ख़राब हो जाय और खुशियाँ गायब हो जाए|
ख़ुशी का कोई पैमाना नहीं होता |फिर भी वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए है |वैज्ञानिकों द्वारा ख़ुशी पर किये गए शोध में पता चला है कि हर व्यक्ति को अलग -अलग भाव से ख़ुशी मिलती है |
किसी को नौकरी मिल जाने पर ख़ुशी मिलती है ,किसी को बच्चे के एडमिशन मिल जाने पर ख़ुशी मिलती है ,किसी को स्टेशन लेट पहुँचने पर पता चलता है कि गाड़ी २ घंटे लेट है तब वह खुश होकर उछलने लगता है|किसी को रिजल्ट में अच्छा परिणाम प्राप्त होने पर ख़ुशी मिलती है |खुश होने के कोई पैमाने नहीं है |
ख़ुशी के कई प्रकार होते है
ख़ुशी एक भाव है|इसके कई रूप हैं जैसे- भौतिक ख़ुशी, विलासितापूर्ण ख़ुशी,घटना आधारित ख़ुशी , अहंकार आधारित ख़ुशी ,भविष्य आधारित ख़ुशी,मूल भुत आवश्यकता की पूर्ति होने पर ख़ुशी,आतंरिक ख़ुशी और अध्यात्मिक ख़ुशी |ख़ुशी के ऐसे और भी भाव हो सकते हैं |
ख़ुशी की भावनाएं हर पल बदलते रहती हैं |कोई किसी बात पर क्षणिक सुख पाता है तो कोई उसी बात पर अपार ख़ुशी पाता है |वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क में स्थित न्युरोक्लियर एक्युबेंस के हिसे में कार्यशील है |वो ख़ुशी के उत्पादन का काम करता है |लेकिन जब इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी आ जाती है,तब ख़ुशी की प्राप्ति में गड़बड़ी हो जाती है |
वैज्ञानिक मानते हैं कि मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर में बढ़ोतरी हो जाने पर व्यक्ति अधिक खुश रहता है |ये तो रही वैज्ञानिकों की बात |भगवद्गीता में भी कहा गया है कि ‘”जो व्यक्ति सभी इच्छाओ को त्याग देता है,बिना किसी कमाना के कर्म करता है और जिसके अन्दर ‘मैं’ या ‘मेरा’ का भाव नहीं रह जाता है ,वहीँ शांति प्राप्त कर पता है |
How To Be Happy
जिस तरह से दुःखी होने के कई करण हो सकते हैं उसी तरह खुश होने के भी कई करण हो सकते हैं | आपने अपने घर के बच्चों को देखा होगा वो सबसे अधिक खुश रहते हैं क्योंकि उसे किसी बात की फिकर नहीं होती |बच्चो की ख़ुशी को देखकर लाखों लोग खुश होते हैं |
प्रोफ़ेसर मार्टिन ने प्रसन्न लोगो को तीन श्रेणियों में बांटा है , पहला – अच्छा जीवन ,दूसरा -सुखी जीवन ,तीसरा -अर्थपूर्ण जीवन |अच्छा जीवन जीने वाले अपने काम से अधिक प्यार करते हैं |अपने काम को वो बोझ समझकर नहीं करते ,बल्कि वो काम करना है समझकर करते है |
सुखी जीवन जीने वाले लोग लोकप्रिय होने और घुमाने फिरने में आनंद लेते हैं |तीसरे ,अर्थपूर्ण जीवन जीने वाले लोग अपनी श्रेष्ठतम शक्ति और सद्गुणों को सहायता ,स्वयं सेवा ,धर्म व राजनीति के जरिये इस्तेमाल कर खुश रहते हैं|
अधिकतर लोग दुसरे की ख़ुशी सुन्दरता एवं व्यक्तित्व को देखकर दुखी हो जाते हैं, जो खुद को उनसे कम आंककर हैरान परेशां हो जाते हैं |ऐसा करना खुद को नुकसान पहुचना होता हैं |जब आप किसी से इर्ष्या करते हैं, तो सबसे पहले आपके शरीर का नुकशान होता है |
जैसे की जब इर्ष्या करते हैं तो आपको क्रोध आता है और क्रोध में आप जलने लगते है ,तब आप हीं के शारीर की इन्द्रियों का नुकशान होता है |इसीलिए हमेशा पोजिटिव सोचे |
अपने शरीर की रक्षा स्वयम करें |इसलिए दुसरे की ख़ुशी में भरपूर ख़ुशी मनाये |खुश रहने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है |दुखी रहने वाला व्यक्ति बिमारियों से घिरा रहता है |
आप को जिस काम में ख़ुशी मिले उस काम को बिंदास करें और खुश रहे |हमेशा पोजिटिव सोचें |निगेटिव लोगों से दूर रहे | निगेटिविटी को अपने ऊपर हाबी ना होने दें |
अपने घर का माहौल खुशनुमा रखें| अपने बच्चों के साथ प्यार से रहे |ऐसा व्यहार करने से घर का वातावरण हेल्दी रहेगा |सभी सकारात्मकता से बहरे रहेन्गे| दुःख आपके पास कभी नहीं आ सकता | अपनी लेखनी को यहीं विराम देती हूँ उमीद हैं आप सभी लाभान्वित होंगे |द्वारा M.K Majumdar
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