Rashtriy Aapda mein Mr Narendr Modi, PM Narendra Modi Ke Bhauk Apil Par Poem| मोदीजी पर कविता
Rashtriy Aapda mein Mr Narendr Modi- आज मैं आप सभी के समक्ष माननीय प्रधानमंत्री जी का जनता से किस तरह नियमों का पालन करने के लिए अनुरोध किया गया ,जो मेरे हृदय को द्रवित कर दिया। मैंने अपनी लेखनी से इस भाउक अपील को शब्दों में बांधने का प्रयास किया है जो निम्नवत है ।
मोदीजी के भाउक अपील पर कविता
आज दिनांक 24.03.2020 को 8PM माननीय PM Narendra modi प्रधानमंत्री जी ने बड़ा ही भाउक मन से जनता से अपील किया कि 25 मार्च से सभी 21 दिन तक घर से बाहर नहीं निकलें। तभी हम कोरोना से निजात पा सकते हैं। हम सभी भारत वासियों का कर्तव्य है कि महोदय की बात माने क्योंकि कोरोना बहुत तेजी से पूरी दुनिया के साथ- साथ भारत में भी अपने पाँव पसार रहा है, जानते है कैसे? क्योकि हम उसकी मदद कर रहे हैं। कृपया कोई घर से बाहर नहीं जाये।
………………………………………………………………….
PM Narendra Modi ke bhauk Apil
बुरे वक्त में एक दूसरे का सहयोग करना मानव धर्म है कृपया इस वक्त मनुष्य होने का परिचय दें, मानव धर्म का पालन करें। सभी मित्रों से यही विनती और उम्मीद है और मुझे पूरा विश्वास है कि हम सब मिलकर यह जंग जरूर जीतेंगे।
………………………………………………………………….
अब आइए निम्नवत कविता से सीखे और संकल्प लें कि हम इस महामारी से स्वयं को संयमित कर निजात पा
कविता
मांगे जब सहयोग देश का राजा
अपनी प्रजा से ।
जानो तब गहरा संकट है ,
देना सहयोग श्रद्धा से।
एक अकेला रुक जायेगा,
अगर न दोगे साथ तुम।
सबका जीवन थम जायेगा ,
अगर न रुके आज तुम
…………………………………………………..
विनती कर बोले राजा ,
अपना फर्ज निभाओ तुम।
मां भारती पुकारती ,
आज दुध का कर्ज चुकाओ तुम।
घर से बाहर कदम ना रखो,
कुछ ही दिन की बात है।
महामारी का मानो यारों,
कोई धर्म ना जाति है।
….…………………………………………………..
PM modi ke bhauk apil par kavita
अपने से अपना अनुशासन,
खुद ही से तुम रखो।
एक व्यक्ति से गाँव शहर तक,
यह सबक तुम सीखो।
आधी रोटी ठंढा पानी,
पीकर तुम रह सकते हो।
जीवन बच जायेगा तो,
तभी तुम घी पी सकते हो।
………………………………………………………
कोरोना है छुवा छूत की बिमारी
यह कोई मजाक नहीं ।
एक को जहां लगी तो जानो,
हजारों होंगे साफ वहीं ।
अरे, देश के मनचलों ,
छोड़ो अपनी मनमानी।
देश तुम्हारा है क्यों? देश से,
करते हो बेइमानी।
……………………………………………………..
न्यूज चैनल पर मेरा राजा,
जब विनती कर रहा था।
नम हो गई मेरी आँखें,
दिल मेरा रो रहा था।
हम सबका कर्तव्य यही,
रक्षा स्वयं करना है।
हम बचेंगे देश बचेगा,
तभी हमें बढ़ना है।
……………………………………………………..
जयहिंद। जय भारत।
धन्यवाद पाठकों,
रचना- कृष्णावती कुमारी,
यह भी पढ़ेंअब्दुल: